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सरकार और एअर इंडिया कर्मचारी संगठनों के बीच अगले 10 दिन में पक्ष एक और बैठक करेंगे.
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Air India Privatisation: केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एअर इंडिया (Air India) के ऊपर करीब 80 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ है. ऐसे में सरकार के पास इसके निजीकरण के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है. पुरी ने एअर इंडिया के 13 कर्मचारी संगठनों के साथ गुरुवार को एक बैठक की. एक कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि ने बताया कि पुरी ने बैठक में एयर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया में कर्मचारियों की बात की.
पीटीआई के अनुसार, प्रतिनिधि के बताया कि पुरी ने सरकार निजीकरण के बाद रोजगार की सुरक्षा को लेकर कर्मचारियों की चिंताओं को दूर करने की बात कही है. हालांकि, संगठनों ने एअर इंडिया के निजीकरण का विरोध किया और कहा कि यदि सरकार समर्थन दे तो कर्मचारी एअर इंडिया को चलाने में सक्षम हैं.
प्रतिनिधि ने एक घंटे चली बैठक के बाद बताया, ‘‘मंत्री ने कहा कि एअर इंडिया के ऊपर 80 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ है और किसी भी विशेषज्ञ के पास इसका समाधान नहीं है. ऐसी स्थिति में सरकार के समक्ष निजीकरण का ही एकमात्र विकल्प उपस्थित रह जाता है.’’ प्रतिनिधि ने कहा कि पुरी ने निजीकरण की प्रक्रिया में सभी कर्मचारी संगठनों से सरकार के साथ सहयोग करने की अपील की.
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10 दिन में होगी अगली बैठक
पुरी ने बाद में ट्वीट किया कि उन्होंने कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ लंबी और सार्थक चर्चा की. उन्होंने कहा कि अगले 10 दिन में दोनों पक्ष एक और बैठक करेंगे. प्रतिनिधि ने कहा, पुरी ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एअर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मेकानिज्म की अभी एक ही बार बैठक हुई है. अगली बैठक में वह कर्मचारियों की सभी दिक्कतों को सामने रखेंगे.
एअर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले सप्ताह कहा था कि यदि जून तक कोई नया निवेशक सामने नहीं आया तो जेट एयरवेज की तरह यह भी बंद हो जाएगी. हालांकि, इसके कुछ ही दिन बाद पुरी ने कहा था कि निजीकरण होने तक एयर इंडिया का परिचालन जारी रहेगा.