/financial-express-hindi/media/post_banners/umQE5UHCOj9Hku0eIwxb.jpg)
वर्तमान में कोरोना के इलाज में रेम्डेसिविर का इस्तेमाल किया जाता है और इसकी देश भर में किल्लत बनी हुई है.
Covid-19 Treatment में Plasma Therapy को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा प्रोटोकॉल से बाहर करने के बाद अब Remdesivir को भी हटाया जा सकता है. दिल्ली स्थित गंगा राम हॉस्पिटल के प्रमुख डॉ डीएस राणा का कहना है कि कोरोना मरीजों के इलाज में रेम्डेसिविर प्रभावी है, इसका कोई प्रमाण नहीं मिल सका है, ऐसे में इसे इसे कोरोना ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से हटाया जा सकता है.
डॉ राणा ने कहा कि कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रेम्डेसिविर के प्रभावी होने का कोई प्रमाण नहीं मिल सका है. ऐसे में जो दवा कारगर नहीं साबित हो रही है, उसे इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाना बंद करना चाहिए.
Covid-19 ट्रीटमेंट में सिर्फ तीन दवाइयां कारगर
डॉ राणा के मुताबिक कोरोना संक्रमितों के इलाज में सभी एक्सपेरिमेंटल मेडिसिन्स चाहे वह प्लाज्मा थेरेपी हो या रेम्डेसिविर जो भी कारगर साबित नहीं हो रही हैं, उन्हें बंद किया जाएगा. इसमें से प्लाज्मा थेरेपी को ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से बाहर कर दिया गया है. डॉ राणा के मुताबिक इस समय सिर्फ तीन दवाइयां कारगर साबित हो रही हैं. डॉ राणा का मानना है कि जब तक महामारी के बारे में पूरी जानकारी होगी, तब तक संभवत: यह जा चुका होगा.
साइंटिफिक आधार पर शुरू Plasma Therapy तथ्यों के आधार पर बंद
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में डॉ राणा ने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी के तहत उन लोगों से प्लाज्मा लेकर कोरोना संक्रमितों को चढ़ाया जाता था, जो कोरोना से ठीक हो चुके हैं ताकि एंटीबॉडी वायरस से लड़ सके. आमतौर पर एंटीबॉडी तब बनती है जब कोरोना वायरस से शरीर संक्रमित होता है. हालांकि राणा के मुताबिक पिछले एक साल में प्लाज्मा थेरेपी के तहत इलाज चल रहे मरीजों और अन्य मरीजों की स्थिति में कोई अंतर नहीं दिखा. इसके अलावा यह आसानी से भी उपलब्ध नहीं है. डॉ राणा के मुताबिक प्लाज्मा थेरेपी को साइंटिफिक आधार पर शुरू किया गया था और इसे तथ्यों के आधार पर बंद किया गया है. आईसीएमआर ने कोरोना ट्रीटमेंट के लिए सोमवार को जारी गाइडलाइंस में इसे हटा दिया था. प्लाज्मा थेरेपी को लेकर कई एक्सपर्ट ने सवाल भी उठाए थे.