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कोरोना की पहली और दूसरी लहर पर सरकार का खुलासा, बीमार पड़ने वालों की उम्र में खास बदलाव नहीं

केंद्र सरकार के मुताबिक दूसरी लहर के दौरान कम उम्र लोगों के ज्यादा बीमार पड़ने की धारणा सही नहीं है.

केंद्र सरकार के मुताबिक दूसरी लहर के दौरान कम उम्र लोगों के ज्यादा बीमार पड़ने की धारणा सही नहीं है.

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FE Online
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Age-wise little change between first and second waves Health Ministry data shows

केंद्रीय मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक महामारी की दोनों ही लहर में सबसे अधिक 21-50 वर्ष के लोग संक्रमित हुए जोकि वर्किंग पॉपुलेशन का बड़ा हिस्सा है.

कोरोना की दूसरी लहर में यह चिंता जताई गई थी कि इस बार वायरस के चलते युवा और बच्चे अधिक प्रभावित हो रहे हैं. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी उम्र के आधार पर संक्रमित लोगों के आंकड़ों के मुताबिक पहली और दूसरी लहर में कुछ खास बदलाव नहीं आया है. आंकड़ों के मुताबिक महामारी की जुलाई से दिसंबर 2020 तक की पहली लहर में 3.28 फीसदी संक्रमित 1-10 वर्ष के बच्चे थे जबकि इस बार यह आंकड़ा 3.05 फीसदी रहा. 11-20 वर्ष के लोगों की संख्या पिछली बार 8.03 फीसदी थी जो मार्च-मई 2021 की दूसरी लहर में बढ़कर 8.57 फीसदी हो गया.

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दोनों ही लहर में सबसे अधिक 21-50 आयु वाले संक्रमित

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केंद्रीय मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक महामारी की दोनों ही लहर में सबसे अधिक 21-50 वर्ष के लोग संक्रमित हुए जोकि वर्किंग पॉपुलेशन का बड़ा हिस्सा है. पहली लहर में 21.21 फीसदी संक्रमित 21-30 वर्ष के थे जबकि इस बार दूसरी लहर में यह आंकड़ा बढ़कर 22.49 फीसदी हो गया. 31-40 आयु वर्ग के संक्रमितों का आंकड़ा 21.23 फीसदी से बढ़कर 22.70 फीसदी हो गया. 41-50 आयु वर्ग के संक्रमितों का आंकड़ा दूसरी लहर में मामूली गिरावट आई है और यह 17.30 फीसदी से घटकर 17.26 पर आ गया.

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कम समय में अधिक केसेज आने पर युवा अधिक संक्रमित

कोविड-19 टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वीके पॉल के मुताबिक अब यह स्पष्ट हो गया है कि कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर दोनों में ही खास आयु वर्ग के लोगों के संक्रमित होने का आंकड़ा लगभग समान है. पॉल के मुताबिक कम समय अवधि में संक्रमण के अधिक केसेज आए जिसके चलते युवाओं में संक्रमण के अधिक मामले दिखे. हालांकि पॉल ने यह भी कहा कि बच्चों के बीच संक्रमण की वास्तविक तस्वीर अगले सीरो सर्वे में ही स्पष्ट होगी लेकिन उन्होंने कहा कि बच्चों के मामले में हर एक मामले की पुष्टि नहीं की जा सकती क्योंकि अगर उनमें लक्षण नहीं दिख रहे हैं तो उनकी टेस्ट नहीं होगा.