/financial-express-hindi/media/post_banners/XwMK7P3PFzSFRSdSZW9M.jpg)
सिंधिया ने लोकसभा में कहा कि मुनाफे में चल रही एयर इंडिया को यूपीए सरकार की नीतियों के चलते हर दिन 20 करोड़ रुपये का घाटा होने लगा.
सरकारी विमान कंपनी एयर इंडिया (Air India) को टाटा ग्रुप (Tata Group) को बेचने के कदम पर विपक्षी पार्टियों के हमले का बुधवार 23 मार्च को सरकार ने लोकसभा में जवाब दिया है. मोदी सरकार की तरफ से यह जवाब देते हुए नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने सरकारी एयरलाइन की बिगड़ी हालत के लिए मनमोहन सिंह की उसी सरकार को कसूरवार ठहरा दिया, जिसमें वे खुद भी मंत्री हुआ करते थे. सिंधिया ने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार ने मुनाफे में चल रही सरकारी विमान कंपनी को भारी कर्ज में डालकर घाटे में ला दिया. सिंधिया ने लोकसभा में कहा कि मनमोहन सिंह की सरकार की गलत नीतियों के चलते ही ऐसी नौबत आ गई कि एयर इंडिया को हर दिन 20 करोड़ रुपये का घाटा होने लगा.
लोकसभा में बहस के दौरान सिंधिया ने कहा कि पूरी तरह से अलग-अलग वर्क कल्चर वाली विमान कंपनियों एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय, 111 नए विमानों की खरीदारी और द्विपक्षीय अधिकारों के उदारीकरण के चलते एयर इंडिया को बेचने की स्थिति आई. इससे पहले विपक्षी सांसदों ने सिंधिया की इस बात को लेकर आलोचना की थी कि उन्होंने सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को बजट आवंटन पर आठ घंटे की डीबेट पर जो एक घंटे लंबा जवाब दिया था, उसमें एयर इंडिया की बिक्री का जिक्र नहीं किया.
हर दिन 20 करोड़ का हो रहा था घाटा
सिंधिया ने कहा कि वर्ष 2005 में एयर इंडिया को सालाना 15 करोड़ रुपये का मुनाफा हो रहा था और इंडियन एयरलाइंस 50 करोड़ रुपये कमा रही थी. इसके बावजूद एयर इंडिया ने 50-55 हजार करोड़ रुपये में 111 विमान खरीदे, जिसकी वजह से एयरलाइन भारी कर्ज में चली गई. इसके चलते एयर इंडिया को हर दिन 20 करोड़ रुपये का घाटा होने लगा. 14 वर्षों में एयर इंडिया का कुल नुकसान 85 हजार करोड़ रुपये हो गया.
Ruchi Soya: FPO से पहले 1 हफ्ते में 17% टूट चुका है शेयर, क्या करना चाहिए निवेश? एक्सपर्ट व्यू
एयर इंडिया कर्मचारियों का क्या होगा?
सिंधिया ने कहा कि पीएम मोदी ने घाटे में चल रही एयर इंडिया को बेचने का फैसला किया ताकि सरकार के पैसे को बचाया जा सके. इन पैसों का इस्तेमाल उज्ज्वला और जल जीवन जैसी सरकारी योजनाओं के लिए किया जा सकता है. एयर इंडिया के कर्मचारियों के भविष्य के बारे में पूछे गए सवाल पर केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा कि शेयरधारक समझौते के तहत एक साल तक किसी भी कर्मचारी को हटाया नहीं जाएगा और एक साल के बाद उन्हें वीआरएस (वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम) का ऑफर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना के तहत उन्हें मेडिकल सुविधाएं मिलती रहेंगी.