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Image: Reuters
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वाणिज्य मंत्रालय द्वारा एयरपोर्ट की ड्यूटी फ्री दुकानों पर शराब और सिगरेटों की बिक्री के मामले में रखे गए प्रतिबंध प्रस्ताव को अगर मान लिया जाता है तो भारतीय एयरपोर्ट्स को 650 करोड़ रुपये सालाना का राजस्व नुकसान झेलना पड़ सकता है. इतना ही नहीं वे डिफॉल्टर भी हो सकते हैं. यह बात एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेटर्स (APAO) ने कही है.
संगठन ने बयान में कहा कि अगर नॉन एयरो रेवेन्यु को सरकार का आदेश बाधित करता है तो नए ऑपरेटर्स के लिए एयरपोर्ट्स अव्यावहारिक हो जाएंगे और वे कॉन्ट्रैक्ट लेने से इंकार कर सकते हैं.
क्या है मंत्रालय का प्रस्ताव
वाणिज्य मंत्रालय बजट पूर्व वित्त मंत्रालय को भेजे अपने प्रस्तावों में यह भी शामिल किया है कि देश के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों की ड्यूटी फ्री दुकानों से टैक्स फ्री शराब की खरीद को एक बोतल तक सीमित किया जाए, जो अभी दो बोतल तक है. वहीं सिगरेट कार्टन्स की खरीद को पूरी तरह बंद किया जाए तो अभी 100 सिगरेटों वाले एक कार्टन तक है.
APAO का कहना है कि यह कदम भारतीय विमानन उद्योग पर बेहद नकारात्मक प्रभाव डालेगा और इसके दायरे में एयरपोर्ट, एयरलाइन्स, पैसेंजर, ड्यूटी फ्री ऑपरेटर्स समेत सभी स्टेकहोल्डर्स आएंगे. संगठन का कहना है कि प्रस्तावित प्रतिबंध पैसेंजर चार्ज बढ़ाएंगे, एयरपोर्ट इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचाएंगे. इससे सभी एयरपोर्ट को सालाना 650 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ सकता है और स्मगलिंग को प्रोत्साहन मिल सकता है.
जा सकती हैं 10000 नौकरियां
अधिकतम भारतीय एयरपोर्ट्स पर ड्यूटी-फ्री से आने वाला राजस्व नॉन-एयरो रेवेन्यू में 15 से 20 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है. कुल ड्यूटी फ्री बिक्री में दारू और सिगरेट की बिक्री 75 से 80 फीसदी की हिस्सेदारी रखती है. एपीएओ का कहना है कि राजस्व में होने वाली कमी की भरपाई करने के लिए एयरपोर्ट की जमीन और पार्किंग चार्ज बढ़ाना पड़ेगा. अनुमान है कि देशभर में एयरो चार्ज सालाना कम से कम 200 करोड़ रुपये बढ़ जाएगा, जिससे टिकट की कीमतों पर असर पड़ेगा और पैसेंजर ट्रैफिक की ग्रोथ भी प्रभावित हो सकती है. इसके अलावा 8000 से 10000 नौकरियां भी जा सकती हैं.