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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बायोपिक ‘अजेय’ सिनेमाघरों में रिलीज. (Image: IE)
Ajey Box Office Opening Day Collection: उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बायोपिक फिल्म अजेय - द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई. बॉक्स ऑफिस पर रिलीज के पहले दिन फिल्म की शुरूआत धीमी रही. फिल्मों के परफार्मेंस पर नजर रखने वाली वेबसाइट इंडस्ट्री ट्रैकर sacnilk के मुताबिक ओपनिंग डे पर फिल्म अजेय 20 लाख रुपये (अनुमानित) की कमाई की. फिल्म का डायरेक्शन रवींद्र गौतम ने किया है.
सीएम योगी की बायोपिक अजेय की क्या है कहानी?
बॉम्बे हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद आखिरकार शुक्रवार को फिल्म अजेय सिनेमाघरों में रिलीज हुई. सीएम योगी आदित्यनाथ की बायोपिक फिल्म अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी शान्तनु गुप्ता की किताब द मॉन्क हू बीकेम चीफ मिनिस्टर (The Monk Who Became Chief Minister) पर बेस्ड है और इसे भारत में 500 से ज्यादा स्क्रीन पर और दुनिया भर के कई देशों में दिखाया जा रहा है.
इससे पहले सेंसर बोर्ड की आपत्तियों के चलते फिल्म की रिलीज रुक गई थी, जिसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा. हालांकि आधिकारिक तौर पर भाजपा ने फिल्म की रिलीज़ पर कोई बयान नहीं दिया, लेकिन लखनऊ के सरोजिनी नगर से भाजपा विधायक राजेश्वर सिंह ने एक स्पेशल स्क्रीनिंग का आयोजन किया. इसमें स्थानीय भाजपा पदाधिकारी, ‘तारा शक्ति सिविंग सेंटर’ की महिलाएं और ‘रण बहादुर सिंह डिजिटल एजुकेशन एंड एम्पावर सेंटर’ के युवा शामिल हुए.
भाजपा विधायक राजेश्वर सिंह ने कहा कि योगी आदित्यनाथ की संघर्षपूर्ण, तपस्या और बलिदान से भरी जीवन यात्रा ने सभी को भावुक कर दिया. भाजपा लखनऊ नॉर्थ के विधायक नीरज बोरा ने ANI से कहा, “लोग इस फिल्म को देखने के लिए बहुत उत्साहित हैं. यह सीएम योगी के संघर्ष भरे जीवन और समाज एवं देश के लिए उनके कार्यों को दिखाती है. सभी को इसे जरूर देखना चाहिए.” फिल्म में भोजपुरी स्टार और पूर्व भाजपा सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ मुख्य भूमिकाओं में हैं. फिल्म आदित्यनाथ के सीएम बनने से पहले के जीवन पर आधारित है और अंत में उनके माफिया से लड़ने के संकल्प को दर्शाती है.
फिल्म में मुख्य भूमिका अजेय का किरदार अनंत विजय जोशी ने निभाया है, कई विजुअल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शैली और हाव-भाव में नजर आते हैं. विधानसभा में फरवरी 2023 में सीएम के बोलों की तरह ही फिल्म में अजेय कहता है, “जब तक मैं CM रहूंगा, यूंही माफियाओं का सफाया होता रहेगा.” फिल्म में अजेय स्पष्ट रूप से यह भी कहते हैं कि उन्हें किसी जाति या धर्म से कोई समस्या नहीं है.
बात करें फिल्म की कहानी की तो अजेय, जो एक फॉरेस्ट रेंजर के बेटे हैं, 1989 में ऋषिकेश में पुलिस के अन्याय का सामना करते हैं. इसके बाद उनके पिता उन्हें कोटद्वार भेजते हैं, जहां वे साइंस में ग्रेजुएशन के लिए दाखिला लेते हैं. कॉलेज में जब कुछ लोग महिला स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष के खिलाफ अश्लील शब्द पुरुष शौचालय की दीवार पर लिखते हैं और प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता, तो अजेय बगावत कर देते हैं. वह कहते हैं, “अगर मेरे पास 200 रुपये होते, तो मैं उस दीवार को जिस पर अश्लील शब्द लिखे हैं, बुलडोजर से गिरवा देता.”
फिल्म में दिखाया गया है कि अजेय कॉलेज में महिला सम्मान के मुद्दे पर छात्र संघ चुनाव लड़ते हैं, लेकिन बैलेट बॉक्स में गड़बड़ी की वजह से हार जाते हैं. इसके कुछ समय बाद, 1992 में, उनकी मुलाकात कोटद्वार कॉलेज के एक कार्यक्रम में गोरखनाथ पीठ के महंत अवैद्यनाथ से होती है.
फिल्म में अवैद्यनाथ का रोल निभा परेश रावल अजेय को राजनीति की अहमियत और दायित्व के बारे में समझाते हैं. इसके बाद अजेय घर छोड़कर गोरखपुर जाने का फैसला करते हैं और रास्ते में पहली बार एक स्थानीय बाहुबली मुश्ताक अहमद से टकराते हैं.
गोरखनाथ पहुंचने पर अवैद्यनाथ उन्हें ‘योगी आदित्यनाथ’ नाम देते हैं और अजेय समाजसेवा शुरू करते हैं. फिल्म में दिखाया गया है कि जब अवैद्यनाथ अजेय को अपना उत्तराधिकारी चुनते हैं और यह खबर फैलती है, तभी उनके परिवार को उनके नए जीवन के बारे में पता चलता है.
फिल्म में दिखाया गया है कि अजेय राम मंदिर आंदोलन के दौरान राजनीति में शामिल होने का ऑफर ठुकरा देते हैं. इसके बाद, जब वह जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चों के लिए सुविधाओं की कमी पर सवाल उठाते हैं, तो गोरखपुर के जिला मजिस्ट्रेट उनका अपमानजनक तरीके से सामना करते हैं. इस घटना के बाद अजेय राजनीति में आने का मन बनाते हैं और पहली बार साल 1998 में गोरखपुर सीट से चुनाव मैदान में उतरते हैं.
गोरखपुर से सांसद बनने के बाद अजेय जनता दरबार लगाने लगते हैं. इनमें एक अल्पसंख्यक समुदाय की महिला भी आती है और कहती है कि “सरकार चाहे किसी की भी हो, चिट्ठी तो सिर्फ बाबा जी की ही काम करती है.”
दर्शकों ने क्या दी प्रतिक्रिया?
नोएडा के एक मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखने आए एच सी धोंडियाल ने कहा कि वह यह देखने आए हैं कि किस तरह एक साधारण ग्रामीण मुख्यमंत्री बने. उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले और अब नोएडा में बिजनेस करने वाले धोंडियाल का कहना था कि योगी जी के अच्छे इरादे और किस्मत दोनों ने उनकी मदद की. गोरखनाथ मठ के महंत बनने के बाद उन्हें मंदिर के अनुयायियों का सपोर्ट मिला, जिसने उनकी राजनीतिक राह आसान कर दी.
लाजपत नगर में बिजनेस करने वाले जी.एस. बिष्ट को हैरानी थी कि फिल्म का प्रचार क्यों नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि उनकी कुछ शिकायतें भी हैं. बिष्ट के मुताबिक लोगों को योगी राज में सुरक्षा का अहसास जरूर है, लेकिन फिल्म में सिर्फ इसी पहलू पर जोर दिया गया है. इसमें उनकी संघर्ष भरी जिंदगी को भी दिखाना चाहिए था."
दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी कर रहे विक्रांत सिंह, जो गोरखपुर जिले के खजनी के रहने वाले हैं और गोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित कॉलेज में पढ़े हैं, मानते हैं कि यह फिल्म योगी जी के काफी करीब है. उनका कहना था कि "योगी जी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में काम किया है." लेकिन उन्होंने आपत्ति फिल्म में योगी आदित्यनाथ की किरदार निभा रहे अभिनेता से नाराजगी जताई और कहा इस किरदार के लिए और बेहतर एक्टर फिल्म में लिये जा सकते थे."
दिल्ली यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता पढ़ रहे अभिनव गुरव ने कहा कि उनकी जिज्ञासा थी कि योगी आदित्यनाथ ने हिंदुत्व की विचारधारा और अपराधियों पर सख्ती का नजरिया कैसे विकसित किया. "मुझे फिल्म में मेरे ज्यादातर सवालों के जवाब मिल गए."
बॉक्स ऑफिस पर धीमी शुरूआत फिल्म के लिए चुनौती
फिल्म की रिलीज पहले 1 अगस्त के लिए तय थी, लेकिन सेंसर बोर्ड की आपत्तियों के कारण इसे आगे बढ़ा दिया गया. उत्तर प्रदेश में यह लगभग 150 स्क्रीन पर रिलीज हुई है. हालांकि प्रचार और फॉलोअर्स की संख्या के बावजूद एडवांस बुकिंग और पहले दिन की कमाई ने उत्साह को थोड़ा कम किया है. अगर अगले कुछ दिनों में कलेक्शन ग्रोथ नहीं दिखती, तो डिस्ट्रिब्यूटर्स और थिएटर मालिक हाथ खींच सकते हैं. लखनऊ और वाराणसी के सिनेमाघरों में स्क्रीनिंग के दौरान दर्शकों ने 'योगी-योगी', 'जय श्री राम' और 'योगी बाबा जिंदाबाद' के नारे लगाए. फिल्म के डायरेक्टर रवींद्र गौतम का कहना है कि फिल्म के दर्शकों से जुड़ने के सभी एलीमेंट इसे बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कराएंगे.
गौतम ने बताया कि फिल्म की तैयारी में उन्हें योगी आदित्यनाथ के जीवन की कई अनजानी बातें पता चलीं. योगी जी 22 साल की उम्र में संन्यासी बनने से पहले साइंस में एमएससी कर रहे थे और एक मेधावी छात्र थे. टीम ने उत्तराखंड में उनके पैतृक घर का दौरा किया और रिश्तेदारों से जानकारी जुटाई. इतना ही नहीं, फिल्म की टीम इतनी प्रेरित हुई कि फिल्ममेकिंग के दौरान उन्होंने खुद मांसाहारी खाना छोड़ दिया. गौतम ने कहा कि उन्होंने यह भी रिसर्च किया कि गुस्सा होने पर योगी जी की प्रतिक्रिया कैसी होती है.
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अजेय की कहानी और उसके प्रेरक तत्व दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच सकते हैं, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर इसकी शुरुआत थोड़ी धीमी रही है. अब देखने वाली बात यह है कि फिल्म आगे कितनी ग्रोथ कर पाती है और दर्शक इसे कितना पसंद करते हैं.