/financial-express-hindi/media/post_banners/CR8KU0eRoQ5xOpfBZN7y.jpg)
पेगासस जासूसी विवाद में आज गुरुवार 5 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर मामला बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को लेकर जिस तरह से आरोप लगाए गए हैं, अगर वह सही हैं तो यह बहुत गंभीर मसला है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने यह टिप्पणी पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच को लेकर दायर नौ याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमन और जस्टिस सूर्य कांत ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों एन आर और शशि कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कुछ सवाल भी पूछे. इस मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते 10 अगस्त मंगलवार को है. कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वालों को अपनी याचिकाओं की कॉपी केंद्र सरकार को सौंपने को कहा है.
फोन टैपिंग मामले में टेलीग्राफ एक्ट के तहत मामला दर्ज कराएं
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले की गहराई तक पहुंचने से पहले उनके कुछ सवाल हैं जैसे कि इसे लेकर जानकारी जुटाने में देरी क्यों हुई क्योंकि यह मामला पहली बार करीब दो साल पहले 2019 में सामने आया था. कोर्ट ने कहा कि उसे नहीं पता है कि इस मामले में अधिक जानकारी जुटाने के लिए क्या कोशिशें की गई. कोर्ट ने कहा कि वह हर मामले के तथ्यों को नहीं देखेगी. अगर किसी शख्स की शिकायत है कि उसके फोन को इंटरसेप्ट किया गया यानी सेंध लगाई गई है तो इसके लिए टेलीग्राफ एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया जा सकता है. पहली बार यह मामला सामने आने के करीब दो साल बाद याचिका दर्ज कराए जाने के सवाल पर याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि पेगासस के हमले की ज्यादा जानकारी सिटीजन लैब की रिपोर्ट सामने आने के बाद मिली है और इसके शिकार हुए व्यक्तियों के लिए इस बारे में ज्यादा मैटेरियल जुटाना संभव नहीं है क्योंकि पेगासस सिर्फ सरकारों को अपनी सेवाएं देती है.
कई बड़े नाम पेगासस की टारगेट लिस्ट में
वैश्विक स्तर पर एक इंवेस्टिगेटिव प्रोजेक्ट में पिछले महीने अहम खुलासा हुआ था कि इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाईवेयर ने भारत के 300 से अधिक मोबाइल फोन नंबर्स को टारगेट किया यानी कि इनकी जासूसी की गई. इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कुछ केंद्रीय मंत्री, विपक्ष के नेता, संवैधानिक पद पर बैठे शख्स और कई मीडिया संस्थानों के बड़े पत्रकार शामिल हैं.