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George Soros on Adani Group: जॉर्ज सोरोस ने पहली बार कोई विवादित बयान नहीं दिया है. अमरीकी प्रेसिडेंट जॉर्ज बुश के ऊपर उन्होंने कई दफा विवादित टिप्पणी की हैं. (Bloomberg: Simon Dawson)
George Soros on Adani Group: अरबपति अमेरिकी जॉर्ज सोरोस (George Soros) ने अडानी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में जारी उठा-पठक के बीच एक बड़ा बयान दिया है. जॉर्ज सोरोस का मानना है कि गौतम अडानी के व्यापारिक साम्राज्य में हलचल से सरकार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की पकड़ को कमजोर कर सकती है. सोरोस ने यह बयान गुरुवार को म्यूनिख सिक्योरिटी सम्मेलन में दिया. उन्होंने कहा कि भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को अडानी ग्रुप के ऊपर लगे आरोपों पर विदेशी निवेशकों (Foreign Investors) और संसद के सवालों का जवाब देना होगा.
पीएम मोदी और अडानी सहयोगी
म्यूनिख सिक्योरिटी सम्मेलन में चले अपने अपने 42 मिनट लंबे भाषण में जॉर्ज सोरोस ने जलवायु परिवर्तन, रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका, तुर्की और चीन के ऊपर भी टिप्पणी की. अडानी पर बोलते हुए उन्होंने दावा किया कि मोदी और बिजनेस टाइकून अडानी करीबी सहयोगी हैं और उनकी किस्मत आपस में जुड़ी हुई है. उन्होंने कहा है कि अडानी पर स्टॉक हेरफेर का जबसे आरोप लगा है, उनका स्टॉक ताश के पत्तों की तरह ढह गया. मोदी इस विषय पर चुप हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों का जवाब देना होगा.
सरकार पर नरेंद्र मोदी का दबदबा होगा कमजोर
अपने संबोधन में जॉर्ज सोरोस ने अडानी ग्रुप के ऊपर जमकर बयानबाजी की लेकिन उन्होंने अपने दावे के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया. अपने बयान में उन्होंने आगे कहा है कि अडानी ग्रुप का मामला सामने आने से भारत की संघीय सरकार पर नरेंद्र मोदी का दबदबा काफी कमजोर हो जाएगा. सोरोस का मानना है कि अडानी में उथल-पुथल देश में एक लोकतांत्रिक रिवाइवल हो सकता है.
कौन हैं जॉर्ज सोरोस
फोर्ब्स के मुताबिक जॉर्ज सोरोस 6.7 अरब डॉलर के मालिक हैं. उन्हें अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी का सबसे बड़ा समर्थक माना जाता है. फोर्ब्स के मुताबिक, उन्होंने अपनी आधी से ज्यादा दौलत दान कर दी है. संघर्ष के दिनों में उन्होंने कुली और वेटर का भी काम किया है. हालांकि जॉर्ज सोरोस ने पहली बार कोई विवादित बयान नहीं दिया है. अमरीकी प्रेसिडेंट जॉर्ज बुश के ऊपर उन्होंने कई दफा विवादित टिप्पणी की हैं.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट का असर
गौरतलब है कि 24 जनवरी को अमेरिकी शार्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के बाद से अडानी समूह गंभीर दबाव में है. हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के ऊपर एकाउंटिंग धोखाधड़ी और स्टॉक हेरफेर का आरोप लगाया था, जिसे अडानी समूह ने "दुर्भावनापूर्ण", "आधारहीन" और "भारत पर सुनियोजित हमला बताया था. हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद मात्र तीन सप्ताह के भीतर ही अडानी ग्रुप ने 125 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का नुकसान उठाया. हालांकि ग्रुप की अधिकांश कंपनियों के शेयरों में पिछले कुछ दिनों में तेजी आई है.