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Image: Reuters
आनंद महिन्द्रा (Anand Mahindra) ने बिहार के एक किसान को ट्रैक्टर भेंट दिया है. इसकी वजह उस किसान की लगन और कड़ी मेहनत है. उस शख्स का नाम लौंगी मांझी (लौंगी भुइयां) है. दरअसल बिहार के गया में लहथुआ क्षेत्र में अपने गांव कोठीलावा के पास की पहाड़ियों से नीचे आने वाले वर्षा जल को जमा करने के लिए लौंगी ने 3 किलोमीटर लंबी नहर खोदी है. इस काम में उनकी जिंदगी के 30 साल लग गए.
शनिवार को ट्विटर पर एक यूजर ने आनंद महिन्द्रा को टैग कर उन्हें लौंगी मांझी के इस अभूतपूर्व काम और उनकी एक जरूरत की जानकारी दी थी. यूजर ने लिखा था, 'गया के लौंगी मांझी ने अपनी जिंदगी के 30 साल लगा कर नहर खोद दी. उन्हें अभी भी कुछ नहीं चाहिए, सिवाय एक ट्रैक्टर के. उन्होंने मुझसे कहा है कि अगर उन्हें एक ट्रैक्टर मिल जाए तो उनको बड़ी मदद हो जाएगी.' यूजर ने उम्मीद जताई थी कि महिन्द्रा, मांझी को सम्मानित कर गर्व का अनुभव करेंगे.
इस ट्वीट के जवाब में आनंद महिन्द्रा ने लौंगी मांझी की मदद करने का आश्वासन दिया था. उन्होंने रिप्लाई में लिखा, 'उनको (लौंगी मांझी) ट्रैक्टर देना मेरा सौभाग्य होगा. जैसा कि आप जानते हैं, मैंने ट्वीट किया था कि मुझे लगता है कि उनकी नहर ताज या पिरामिडों की तरह ही प्रभावशाली है. Mahindra Rise में हमारे लिए यह सम्मान की बात होगी कि मांझी हमारे ट्रैक्टर का इस्तेमाल करें.' आनंद महिन्द्रा ने यूजर से यह भी पूछा था कि उनकी टीम किस तरह मांझी तक पहुंच सकती है.
शनिवार रात तक मिल गया ट्रैक्टर
आनंद महिन्द्रा ने शनिवार सुबह भुइयां को ट्रैक्टर देने का वादा किया था और शनिवार रात तक लौंगी भुइयां को महिन्द्रा ट्रैक्टर्स की ओर से एक ट्रैक्टर उपहार स्वरूप भेंट कर दिया गया. इसके लिए उनसे कोई पैसा नहीं लिया गया. भुइयां का कहना है,'मैं बहुत खुश हूं. मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि यह मुझे मिल जाएगा.'
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Bihar: Laungi Bhuiyan, who carved out a 3-km-long canal to take rainwater coming down from nearby hills to fields of his village in Lahthua area of Gaya, received a tractor free of cost from Mahindra Tractors today. He said, "I am very happy. I never dreamt of getting it." pic.twitter.com/XJ3hSwKryn
— ANI (@ANI) September 19, 2020
'माउंटेन मैन' दशरथ मांझी की दिलाई याद
लौंगी मांझी का यह असाधारण पराक्रम बिहार के ही दशरथ मांझी की याद दिलाता है. दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर रास्ता बनाने के लिए 22 साल लगा दिए थे. लौंगी भुइयां ने जहां यह नहर खोदी है, उस क्षेत्र में 5 किलोमीटर तक सिर्फ जंगल ही था. जंगल हटाकर 3 किलोमीटर की नहर को खोदने में इन्हें 30 साल का समय लगा. पथरीला और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण सिंचाई के लिए बारिश का पानी रुक नहीं पाता था. गांव में खेती के अलावा रोजगार का कोई साधन नहीं था. लोगों के पलायन को देखकर मांझी ने नहर बनाने की ठानी.