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1 मई से 18+ को वैक्सीनेशन की मंजूरी मिलने के बाद भी कई राज्यों में वैक्सीन शॉर्टेज के चलते उनका वैक्सीनेशन नहीं हो पा रहा है.
भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन कार्यक्रम 16 जनवरी से चल रहा है और 1 मई से 18-44 वर्ष के लोगों को भी इसकी डोज लगवाने की मंजूरी मिल गई. हालांकि देश के कई राज्यों में वैक्सीन खत्म होने के चलते अब सिर्फ 45+ लोगों का ही वैक्सीनेशन हो पा रहा है. इसे लेकर नीति आयोग ने आज 13 मई को अहम बयान दिया है कि अब एफडीए और डब्ल्यूएचओ द्वारा अप्रूव किसी भी वैक्सीन को भारत में लाया जा सकता है. नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने कहा कि आयात लाइसेंस को 1-2 दिनों के भीतर ही दे दिया जाएगा. उन्होंने जानकारी दी कि इस समय कोई आयात लाइसेंस पेंडिंग नहीं है.
Any vaccine that is approved by FDA, WHO can come to India. Import license will be granted within 1-2 days. No import license is pending: Dr VK Paul, Member (Health), NITI Aayog#COVID19pic.twitter.com/7wOdnfxlYz
— ANI (@ANI) May 13, 2021
भारतीय कंपनियों के साथ यहां वैक्सीन बनाएंगी विदेशी कंपनियां
पॉल ने कहा कि डिपार्टमेंट ऑफ बॉयोटेक्नोलॉजी समेत अन्य विभाग और विदेशी मामलों का मंत्रालय लगातार फाइजर, मोडेर्ना, जॉनसनएंडजॉनसन के संपर्क में हैं. कंपनियों से आधिकारिक तौर पर पूछा गया कि वे डोज भेजेंगी या भारत में ही मैन्यूफैक्चर करेंगी. ये कंपनियां तीसरी तिमाही जुलाई-सितंबर 2021 तक वैक्सीन उपलब्ध कराने को लेकर बात कर रही हैं. पॉल ने उम्मीद जताई कि भारत में वैक्सीन उपलब्ध कराने को लेकर कंपनियां आगे आएंगी. पॉल ने कहा कि कंपनियों को देश में ही भारतीय कंपनियों के साथ वैक्सीन बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है. पॉल के मुताबिक अगस्त-दिसंबर में भारत में 216 करोड़ डोज उपलब्ध होंगी.
अगले हफ्ते बाजार में उपलब्ध होगी स्पुतनिक
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने जानकारी दी कि स्पुतनिक-5 वैक्सीन अगले हफ्ते से बाजार में उपलब्ध हो जाएगी. कुछ दिनों पहले यह रूस से भारत सप्लाई हुई थी. पॉल ने जानकारी दी कि स्पुतनिक-5 वैक्सीन की अगली खेप भी आएगी और इसका उत्पादन जुलाई में शुरू होगा और 15.6 करोड़ डोज के उत्पादन का अनुमान लगाया गया है. पॉल ने जानकारी दी कि 45 वर्ष से अधिक की उम्र के एक-तिहाई लोगों को वैक्सीन प्रोटेक्शन दी जा चुकी है. नीति आयोग के सदस्य के मुताबिक यह आंकड़ा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कोरोना वायरस के चलते जितने लोगों की मौत हुई है, उसमें से 88 फीसदी लोग 45+ हैं.