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23 मई को प्रत्येक 10 लाख लोगों में सिर्फ 980 लोगों को वैक्सीन की डोज दी गई जबकि एक हफ्ते पहले ही यह आंकड़ा 1455 था.
वैक्सीन की कमी का असर अब टीकाकरण के आंकड़ों पर दिखने लगा है. वक्त के साथ-साथ देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ने की जगह घटने लगी है. 23 मई को देश के हर 10 लाख लोगों में सिर्फ 980 को वैक्सीन की डोज़ दी गई, जबकि एक हफ्ते पहले ही यह औसत 1455 का था. यानी महज एक हफ्ते में ही टीकाकरण की रफ्तार में 35 फीसदी से भी ज्यादा गिरावट आ गई. महामारी पर काबू पाने की कोशिशों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है. 23 मई को वैक्सीनेशन के वैश्विक औसत की बात करें तो उस दिन दुनिया भर में प्रति 10 लाख लोगों में 3564 को वैक्सीन की डोज दी गई. यानी इस अंतरराष्ट्रीय औसत के मुकाबले भी भारत काफी पीछे छूटता नजर आ रहा है. यह खुलासा क्रिसिल (CRISIL) की एक ताजा रिपोर्ट से हुआ है.
क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक इस समय राहत की बात सिर्फ यही है कि लगातार दूसरे हफ्ते डेली नए कोरोना केसेज में कमी आ रही है. 23 मई को समाप्त होने वाले सप्ताह में इसमें 22 फीसदी की गिरावट आई, जबकि इसके एक हफ्ते पहले यह आंकड़ा 15 फीसदी था. इसका मतलब यह है कि संक्रमण का पीक 6 मई को गुजर गया, जब देश में 4.14 लाख नए कोरोना केसेज सामने आए थे. 16 मई को समाप्त होने वाले सप्ताह में औसतन यह 3.3 लाख था, जो 23 मई को समाप्त होने वाले सप्ताह में घटकर 2.5 लाख रह गया. मंगलवार को डेली केस लोड 2 लाख से कम हो गया. पिछले 24 घंटे में 1,96,427 नए कोरोना केसेज सामने आए.
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पॉजिटिविटी रेट में आई गिरावट
देश के सभी राज्यों में जनसंख्या के अनुपात में सबसे अधिक लोगों को महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली में कोरोना वैक्सीन की डोज लगी है. हालांकि मई में इन राज्यों में भी वैक्सीनेशन धीमी हुई है. चूंकि इस समय वैक्सीन की शॉर्टेज हो रही है तो ऐसे में वैक्सीनेशन और धीमा हो सकता है. क्रिसिल के मुताबिक डेली केसेज में गिरावट आई है लेकिन टेस्टिंग में बढ़ोतरी की गई. पिछले हफ्ते टेस्टिंग में 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 18.8 फीसदी से कम होकर 13.1 फीसदी हो गया है. इसके अलावा रिकवरी रेट में भी सुधार हुआ है और 23 मई को समाप्त होने वाले सप्ताह में यह 88.7 फीसदी था जो उसके पिछले सप्ताह में 84.8 फीसदी ही था.
दूसरी लहर का पीक 6 मई को क्रॉस
क्रिसिल की रिपोर्ट में नए केसेज, पॉजिटिविटी रेट व एक्टिव केसेज में गिरावट और रिकवरी रेट में सुधार के आधार दावा किया गया है कि दूसरी लहर का पीक 6 मई को क्रॉस हो गया. हालांकि तमिलनाडु, ओडिशा और असम में अभी भी केसेज बढ़ रहे हैं जबकि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में केसेज में तेजी से गिरावट आई है. रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी लहर का राज्यों पर आर्थिक असर क्या होगा, इसका आकलन केसेज, लॉकडाउन में सख्ती का स्तर और वैक्सीनेशन की गति के आधार पर होगा. रिपोर्ट के मुताबिक जो राज्य सेवाओं पर अधिक निर्भर हैं और वहां वैक्सीनेशन की गति धीमी है, वहां सबसे अधिक खतरा है.