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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सरकार और राज्य चुनाव आयोग से मृतक पोलिंग ऑफिसर्स के परिवारों को कम से कम 1 करोड़ रुपये तक का मुआवजा देने पर विचार करने को कहा है.
UP Panchayat Election 2021: उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों के दौरान कई पोलिंग ऑफिसर्स की कोरोना के चलते मौत हुई थी. इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य चुनाव आयोग से इन मृतक पोलिंग ऑफिसर्स के परिवारों को कम से कम 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने पर विचार करने को कहा है. जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की दो जजों की बेंच ने राज्य में कोरोना महामारी के संक्रमण और क्वारंटीन केंद्रों की स्थिति पर दाखिल एक पीआईएल पर सुनवाई के दौरान ये बात कही.
दो जजों की बेंच ने पीआईएल पर सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य और राज्य चुनाव आयोग ने बिना आरटी-पीसीआर सपोर्ट के चुनाव कर्मियों को ड्यूटी करने के लिए बाध्य किया. इस वजह से कोरोना के चलते इनकी मौत होने की स्थिति में इन्हें कम से कम 1 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए. बेंच ने उम्मीद जताई है कि राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग मुआवजे की राशि पर दोबारा विचार करके अगली तारीख में इसके बारे में जानकारी देंगे. कोर्ट ने 30 लाख रुपये के मौजूदा मुआवजे को बेहद कम बताया है.
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प्रति मरीज 100 रुपये के आवंटन पर सवाल
कई जिलों में लोगों ने सरकारी व निजी अस्पतालों के स्टाफ और जिला प्रशासन द्वारा असहयोग की शिकायत की जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि हर जिले में तीन सदस्यों वाली महामारी सार्वजनिक शिकायत समिति का गठन किया जाना चाहिए. यह समिति आदेश पारित होने के 48 घंटे के भीतर बन जानी चाहिए. इस बारे में जरूरी दिशा-निर्देश राज्य के गृह मुख्य सचिव द्वारा सभी डीएम को जारी किए जाएंगे. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि लेवल 1, लेवल 2 और लेवल 3 श्रेणियों के अस्पतालों को सप्लाई किए गए भोजन की कोई डिटेल्स नहीं मिली है. सिर्फ यह उल्लेख किया गया है कि लेवल 1 अस्पताल में प्रति मरीज 100 रुपये आवंटित किए गए हैं.
कोर्ट ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि कोरोना संक्रमितों को अधिक पोषण वाले भोजन की जरूरत है जिसमें हर दिन फल और दूध जरूर शामिल होने चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उसके लिए यह समझ पाना मुश्किल है कि सिर्फ 100 रुपये में किसी मरीज को तीन बार पर्याप्त और पौष्टिक भोजन कैसे मुहैया कराया जा रहा है.
संभावित मामले में हुई मौत भी Covid Death: कोर्ट
मेरठ के एक अस्पताल में 20 मरीजों की मौत पर कोर्ट ने कहा कि अगर यह कोरोना का संभावित मामला है तो भी इन्हें कोरोना के चलते हुई मौत में गिना जाना चाहिए. किसी भी अस्पताल द्वारा सिर्फ कोरोना के चलते हुई मौत की संख्या घटाने के लिए इन्हें नॉन-कोविड डेथ केसेज के तौर पर दर्ज नहीं किया जा सकता. अदालत ने मेरठ के मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को कोविड टेस्टिंग औऱ SpO2 स्टेटस की सटीक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है जो उनके अस्पताल में भर्ती होने के दौरान रिकॉर्ड किया गया था.
प्रिंसिपल ने कोर्ट को सूचित किया कि मौत से पहले ये 20 लोग अस्पताल में भर्ती किए गए थे, जिनमें तीन की कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट है, जबकि बाकी मरीजों का एंटीजन टेस्ट किया गया था, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी. प्रिंसिपल के मुताबिक वे कोरोना के संभावित मामले थे, इसलिए उन्हें कोविड से हुई मौत नहीं कहा जा सकता है.