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Ayodhya Ram Janambhoomi: राम मंदिर- विवाद से समाधान और भूमि पूजन तक, जानिए कब क्या हुआ?

Ram Janambhoomi News: आइए राम मंदिर के विवाद, उसके समाधान से लेकर भूमि पूजन तक के घटनाक्रम को जानते हैं.

Ram Janambhoomi News: आइए राम मंदिर के विवाद, उसके समाधान से लेकर भूमि पूजन तक के घटनाक्रम को जानते हैं.

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Ayodhya Ram Mandir Bhumi Pujan know history of ram mandir from babri masjid dispute till today know full timeline incidents chronology

आइए राम मंदिर के विवाद, उसके समाधान से लेकर भूमि पूजन तक के घटनाक्रम को जानते हैं.

Ayodhya Ram Mandir Bhumi Pujan know history of ram mandir from babri masjid dispute till today know full timeline incidents chronology आइए राम मंदिर के विवाद, उसके समाधान से लेकर भूमि पूजन तक के घटनाक्रम को जानते हैं.

Ayodhya Ram Janambhoomi News: अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों सम्पन्न हो गया. मुगल साम्राज्य, ब्रिटिश शासन…और फिर स्वतंत्रता के बाद भी दशकों तक अनसुलझा रहा अयोध्या राम जन्म भूमि विवाद 9 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद जाकर खत्म हुआ. आइए राम मंदिर के विवाद, उसके समाधान से लेकर भूमि पूजन तक के घटनाक्रम को जानते हैं.

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1528: मुगल बादशाह बाबर के कमांडर मीर बाकी ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया.

1885: महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर कर विवादित ढांचे के बाहर शामियाना तानने की अनुमति मांगी. अदालत ने याचिका खारिज कर दी.

1949: विवादित ढांचे के बाहर केंद्रीय गुंबद में रामलला की मूर्तियां स्थापित की गईं.

1950: रामलला की मूर्तियों की पूजा का अधिकार हासिल करने के लिए गोपाल सिमला विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर की.

1950: परमहंस रामचंद्र दास ने पूजा जारी रखने और मूर्तियां रखने के लिए याचिका दायर की.

1959: निर्मोही अखाड़ा ने जमीन पर अधिकार दिए जाने के लिए याचिका दायर की.

1981: उत्तरप्रदेश सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने स्थल पर अधिकार के लिए याचिका दायर की.

1 फरवरी 1986: स्थानीय अदालत ने सरकार को पूजा के मकसद से हिंदू श्रद्धालुओं के लिए स्थान खोलने का आदेश दिया.

14 अगस्त 1986: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित ढांचे के लिए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया.

6 दिसम्बर 1992: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद ढांचे को ढहाया गया.

3 अप्रैल 1993: विवादित स्थल में जमीन अधिग्रहण के लिए केंद्र ने ‘अयोध्या में निश्चित क्षेत्र अधिग्रहण कानून’ पारित किया. अधिनियम के विभिन्न पहलुओं को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में कई रिट याचिकाएं दायर की गईं. इनमें इस्माइल फारूकी की याचिका भी शामिल थी. सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 139ए के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर रिट याचिकाओं को स्थानांतरित कर दिया, जो हाई कोर्ट में लंबित थीं.

24 अक्टूबर 1994: सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक इस्माइल फारूकी मामले में कहा कि मस्जिद इस्लाम से जुड़ी हुई नहीं है.

अप्रैल 2002: हाई कोर्ट में विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू.

13 मार्च 2003: सुप्रीम कोर्ट ने असलम उर्फ भूरे मामले में कहा, अधिग्रहीत स्थल पर किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं है.

30 सितम्बर 2010: हाई कोर्ट ने 2:1 बहुमत से विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया.

9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या जमीन विवाद में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई.

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26 फरवरी 2016: सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाए जाने की मांग की.

21 मार्च 2017: सीजेआई जे एस खेहर ने संबंधित पक्षों के बीच अदालत के बाहर समाधान का सुझाव दिया.

7 अगस्त 2017: सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया जो 1994 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.

8 अगस्त 2017: उत्तर प्रदेश शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विवादित स्थल से उचित दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में मस्जिद बनाई जा सकती है.

11 सितम्बर 2017: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया कि दस दिनों के अंदर दो अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति करें, जो विवादित स्थल की यथास्थिति की निगरानी करे.

20 नवम्बर 2017: यूपी शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मंदिर का निर्माण अयोध्या में किया जा सकता है और मस्जिद का लखनऊ में.

1 दिसम्बर 2017: इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले को चुनौती देते हुए 32 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने याचिका दायर की.

8 फरवरी 2018: सिविल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की.

14 मार्च 2018: सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी की याचिका सहित सभी अंतरिम याचिकाओं को खारिज किया.

6 अप्रैल 2018: राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 1994 के फैसले की टिप्पणियों पर पुनर्विचार के मुद्दे को बड़ी पीठ के पास भेजने का आग्रह किया.

6 जुलाई 2018: यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कुछ मुस्लिम समूह 1994 के फैसले की टिप्पणियों पर पुनर्विचार की मांग कर सुनवाई में विलंब करना चाहते हैं.

20 जुलाई 2018: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा.

27 सितम्बर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष भेजने से इंकार किया. मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर को तीन सदस्यीय नई पीठ द्वारा किए जाने की बात कही.

29 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई उचित पीठ के समक्ष जनवरी के पहले हफ्ते में तय की, जो सुनवाई के समय पर निर्णय करेगी.

12 नवम्बर 2018: अखिल भारत हिंदू महासभा की याचिकाओं पर जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इंकार.

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4 जनवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मालिकाना हक मामले में सुनवाई की तारीख तय करने के लिए उसके द्वारा गठित उपयुक्त पीठ 10 जनवरी को फैसला सुनाएगी.

8 जनवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई करेंगे. इसमें जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एन वी रमन्ना, जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ शामिल होंगे.

10 जनवरी 2019: जस्टिस यू यू ललित ने मामले से खुद को अलग किया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 29 जनवरी को नई पीठ के समक्ष तय की.

25 जनवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का पुनर्गठन किया. नई पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस् डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर शामिल थे.

26 फरवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का सुझाव दिया और फैसले के लिए 5 मार्च की तारीख तय की, जिसमें मामले को अदालत की तरफ से नियुक्त मध्यस्थ के पास भेजा जाए अथवा नहीं इस पर फैसला लिया जाएगा.

8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए विवाद को एक समिति के पास भेज दिया, जिसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला बनाए गए.

9 अप्रैल 2019: निर्मोही अखाड़े ने अयोध्या स्थल के आसपास की अधिग्रहीत जमीन को मालिकों को लौटाने की केन्द्र की याचिका का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया.

10 मई 2019: मध्यस्थता प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 15 अगस्त तक समय बढ़ाया.

11 जुलाई 2019: सुप्रीम कोर्ट ने “मध्यस्थता की प्रगति” पर रिपोर्ट मांगी.

18 जुलाई 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति देते हुए एक अगस्त तक परिणाम रिपोर्ट देने के लिए कहा.

1 अगस्त 2019: मध्यस्थता की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को दी गई.

2 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता नाकाम होने पर 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई का फैसला किया.

6 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना के आधार पर भूमि विवाद पर सुनवाई शुरू की.

4 अक्टूबर 2019: अदालत ने कहा कि 17 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी कर 17 नवंबर तक फैसला सुनाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा.

16 अक्टूबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा.

9 नवंबर 2019: 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम जन्मभूमि न्यास को देने का आदेश. निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज, सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन देने का फैसला.

5 फरवरी 2020: केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में इस बात का एलान किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार ने अयोध्या कानून के तहत अधिग्रहीत 67.70 एकड़ भूमि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को हस्तांतरित करने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने सदन को यह भी बताया कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोक में सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार से आग्रह किया गया था और उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है.

19 फरवरी 2020: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की नई दिल्ली में पहली बैठक हुई. इसमें रामजन्मभूमि न्यास के महंत नृत्य गोपाल दास को चेयरमैन और चम्पत राय को महासचिव चुना गया.

22 जुलाई 2020: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखने का एलान हुआ. इससे पहले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने एलान किया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री को 3 और 5 अगस्त की दो तारीखें भेजी हैं और वे दोनों में से किसी भी तारीख को भूमि पूजन के लिए चुन सकते हैं.

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