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बैंक यूनियनों के संगठन ने कहा है कि कोरोना के बढ़ते संकट को देखते हुए बैंकों की शाखाओं का टाइम 3-4 घंटे कम कर देना चाहिए.
Bank Unions Worried About Employees: देश भर में कोरोना के मामले बेतहाशा बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में ग्राहकों के साथ लेन-देन के काम करने वाले बैंक कर्मचारियों में भी बेचैनी है. सवाल यह है कि क्या मौजूदा हालात में बैंकों की शाखाओं में कामकाज के घंटे, खास तौर पर पब्लिक डीलिंग के वक्त में कटौती की जा सकती है? बैंक यूनियनों के संघ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने तो कुछ ऐसी ही मांग की है. देश की 9 बैंक यूनियनों के इस संगठन ने कहा है कि बैंक कर्मचारियों को कोरोना के इंफेक्शन से बचाने के लिए पब्लिक डीलिंग के समय में करीब 3 घंटे की कटौती करनी चाहिए.
बैंक शाखाओं के जरिए इंफेक्शन फैलने का खतरा
UFBU का यह भी कहना है कि जब तक महामारी के हालात संभल नहीं जाते, बैंकों की कुछ सेवाओं को भी सीमित करना चाहिए. कर्मचारी यूनियनों के संघ ने इस बारे में इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) के सामने अपनी बात भी रखी है. UFBU ने कहा है कि बैंकों की ब्रांचों में ग्राहकों का आना-जाना लगातार जारी रहता है. काउंटर पर बैठने वाले बैंक कर्मचारी लगातार उन्हें अपने सेवाएं देते हैं. इस दौरान बैंकों की शाखाएं संक्रमण का बड़ा केंद्र बन रही हैं. बैंक कर्मचारियों के संक्रमित होने, गंभीर रूप से बीमार होकर अस्पताल में भर्ती होने और उनमें से कुछ का निधन होने जाने की दुखद और परेशान करने वाली खबरें लगातार आ रही हैं.
शाखाओं में कामकाज का 3 से 4 घंटे तक कम किया जाए
बैंक यूनियनों के प्रतिनिधि संगठन का कहना है कि इस मुश्किल स्थिति में पूरी बैंकिंग बिरादरी चाहती है कि उनके हालात पर फौरन गौर किया जाए. यूनियनों की मांग है कि हालात में सुधार होने तक ब्रांचों के जरिए सिर्फ बेहद जरूरी बैंकिंग सेवाएं ही जारी रखी जाएं और शाखाओं में कामकाज का समय तीन से चार घंटे तक कम कर दिया जाए. इसके अलावा क्लस्टर या हब बैंकिंग की कंसेप्ट के तहत हर इलाके में कुछ शाखाओं की पहचान करके बैंक कर्मचारियों को रोटेशन में काम करने की सुविधा भी दी जा सकती है.
बिगड़ते हालात की वजह से घबराहट का माहौल
UFBU ने भरोसा जाहिर किया है कि अगर इन उपायों पर अमल किया जाएगा तो न सिर्फ बैंक कर्मचारियों के लिए इंफेक्शन का खतरा कम हो जाएगा, बल्कि संक्रमण का सिलसिला तोड़ने में भी काफी मदद मिलेगी. यूनाइटेड फोरम का कहना है कि छोटे शहरों, कस्बों और दूरदराज के इलाकों से ऐसी खबरें लगातार मिल रही हैं कि बीमार पड़ने वालों को अस्पताल में आसानी से बेड नहीं मिल रहे हैं. उन्हें जरूरी दवाएं और ऑक्सीजन मिलना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में पूरे देश के बैंक कर्मचारियों में घबराहट का माहौल है.
पिछले हफ्ते UFBU ने डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज के सेक्रेटरी को भी चिट्ठी लिखकर ऐसा ही अनुरोध किया था. जाहिर है अब इस बारे में फैसला सरकार को ही करना है. लेकिन अगर बैंक कर्मचारियों की मांगों पर गौर किया गया तो आने वाले दिनों में बैंकों की शाखाओं में कामकाज के घंटे कम हो सकते हैं.