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Lenders may be forced to seek regulatory forbearance on provisioning and capital requirements.
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बैंकिंग सेक्टर बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है. बैड लोन (NPA) का बहुत बड़ा बोझ इस सेक्टर पर है. सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में सामने आया है कि बैंक ऑफ बड़ौदा में एनपीए पिछले छह साल में छह गुना से अधिक बढ़कर 73,140 करोड़ रुपये हो गया है. इसी दौरान इंडियन बैंक का एनपीए चार गुना बढ़कर 32,561.26 करोड़ रुपये हो गया है. आरटीआई दाखिल करने वाले ने भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक से भी ये जानकारियां मांगी हैं, लेकिन इन्होंने अभी तक डेटा नहीं दिया है.
कोटा के आरटीआई कार्यकर्ता सुजीत स्वामी के आवेदन पर मिले जवाब के अनुसार, बैंक ऑफ बड़ौदा का एनपीए मार्च 2014 के अंत में 11,876 करोड़ रुपये था, जो दिसंबर 2019 के अंत में बढ़कर 73,140 करोड़ रुपये हो गया है. इस दौरान इसके एनपीए खातों की संख्या 2,08,035 से बढ़कर 6,17,306 हो गई है.
बैंक ऑफ बड़ौदा ने एक अप्रैल 2018 से 29 फरवरी 2020 के दौरान एसएमएस अलर्ट शुल्क के माध्यम से 107.7 करोड़ रुपये एकत्र किये. इसी अवधि के दौरान इंडियन बैंक ने एसएमएस सेवा शुल्क के माध्यम से लगभग 21 करोड़ रुपये एकत्र किये.
इंडियन बैंक का NPA
इंडियन बैंक का एनपीए 31 मार्च 2014 को 8,068.05 करोड़ रुपये था? जो बढ़कर 31 मार्च 2020 तक 32,561.26 करोड़ रुपये हो गया. इस दौरान एनपीए खातों की संख्या 2,48,921 से बढ़कर 5,64,816 पर पहुंच गई. आरटीआई से पता चला है कि बैंकों ने एसएमएस अलर्ट सेवा शुल्क, न्यूनतम शेष शुल्क, लॉकर शुल्क, डेबिट-क्रेडिट कार्ड सेवा शुल्क, बाह्य, आवक, खाता बही के प्रभार से बड़ी राशि अर्जित की है.