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The intranasal vaccine is a recombinant replication-deficient adenovirus vectored vaccine with a pre-fusion stabilised spike protein. (File)
Nasal Corona Vaccine: चीन समेत दुनिया के कई देशों में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने नाक से इंट्रानेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज या प्रीकॉशन डोज के तौर पर लगाने को मंजूरी दे दी है. नाक से दी जाने वाली नेजल वैक्सीन को भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने तैयार किया है.
नाक से दी जाने वाली नेजल वैक्सीन के फायदे
- इस वैक्सीन को लगाने में सीरिंज इस्तेमाल की जाएगी, मगर सीरिंज बिना सुई के होगी.
- इस टीके को देने के लिए हेल्थवर्करों को खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होगी.
- 18 साल से अधिक आयु के लोगों और बुजुर्गों को कहीं भी नेजल वैक्सीन की डोज दी सकती है.
- सुई का इस्तेमाल न होने से किसी अन्य तरह के संक्रमण की गुंजाइश न के बराबर है.
इतने बूंदों से बनेगा सुरक्षा कवच (Nasal Corona Vaccine)
बूस्टर डोज के तौर पर एक शख्स को नेजल वैक्सीन की 8 बूंद नाक से दी जाएगी. जानकारी के मुताबिक नेजल वैक्सीन के परीक्षण में शामिल लोगों को करीब 28 दिन के अंतराल पर टीके की दोनों खुराक दी गई थी. परीक्षण में ये बात सामने आई की जिन लोगों को नेजल वैक्सीन की डोज दी गई थी उनमें वायरस से लड़ने की इम्यूनिटी विकसित हुई थी.
नेजल वैक्सीन परीक्षण के दौरान रही असरदार
केंद्र सरकार के मुताबिक इफेक्ट और सेफ्टी को जानने के लिए नेजल वैक्सीन के तीसरे फेज में देशभर में 14 जगहों पर 3100 लोगों पर रिसर्च हुआ. प्राइमरी टेस्टिंग के दौरान नेजल वैक्सीन असरदार रही. बता दें कि इस साल पहली दिसंबर को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने एलान की थी कि इमरजेंसी जैसी स्थिति में 18 साल या उससे अधिक आयु के लोगों को नेजल वैक्सीन दी जाएगी.
वैक्सीन लेने के बाद दिख सकते हैं ये साइड इफेक्ट
वैक्सीन लेने के बाद बुखार, सिर दर्द, नाक बहना, छींक आना अनेक जरूरी साइड इफेक्ट देखने को मिल सकते हैं. भारत बॉयोटेक की सलाह है कि जिन लोगों को पहले किसी भी तरह के टीके लगने पर हेल्थ संबंधी तकलीफें महसूस हुई है वे लोग नेजल वैक्सीन की खुराक लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरुर संपर्क कर लें.
इन देशों में नेजल वैक्सीन पर हो रहा काम
नेजल वैक्सीन को विकसित करने में अमेरिका भी जुटी हुई है. नाक से दी जाने वाली कोरोना के वैक्सीन को तैयार करने में कनाडा और नीदरलैंड के वैज्ञानिकों भी लगे हुए हैं. बता दें कि पहले नेजल वैक्सीन के परीक्षण को चीन ने 11 सितंबर को मंजूरी दी थी.
दूसरें टीकों से अलग है भारत बॉयोटेक का नेजल वैक्सीन
दूसरें टीकों की तरह भारत बॉयोटेक की नेजल वैक्सीन इंजेक्शन के जरिए नहीं दी जाएगी. ये वैक्सीन सीधे नाक से लगेगी. यहीं कारण है कि ये वैक्सीन सांस की नली से होते हुए सीधे फेफड़ों तक पहुंचेगी. ये एडिनोवायरस वैक्टर्ड नेजल वैक्सीन आईजीजी, म्यूकोसल आईजीए और टी-सेल की कार्यक्षमता को न्यूट्रलाइज करती है. बता दें कि आपके नाक की म्यूकोसा लेयर की इम्युनिटी जितनी ज्यादा मजबूत होगी उतनी ही मजबूती से कोरोना के वायरस को शरीर में फैलने से रोका जा सकेगा. भारत बॉयोटेक का दावा है कि नाक से जाने वाली नेजल वैक्सीन इंकोवैक लेने के बाद कोरोना संक्रमण होने की संभावना न के बराबर है.
नेजल वैक्सीन से जुड़ी अहम बातें
- कोरोना के नेजल वैक्सीन की 4 बूंदों को इंसान के नाक में डाला जाएगा.
- नेजल वैक्सीन का असर 2 हफ्ते बाद दिखना शुरू हो जाएगा.
- ये वैक्सीन 2 से 8 डिग्री तापमान पर पूरी तरह सुरक्षित रहेगा..