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कैबिनेट का फैसला, गन्ना किसानों को चीनी मिल्स न्यूनतम 285 रु/क्विंटल का करेंगी भुगतान

केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2020 से शुरू हो रहे विपणन वर्ष के लिए FRP में 10 रुपये की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है.

केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2020 से शुरू हो रहे विपणन वर्ष के लिए FRP में 10 रुपये की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है.

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FE Online
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big relief for sugarcane farmers CCEA approves increase in FRP by Rs 10

FRP गन्ने का न्यूनतम मूल्य होता है, जिसे चीनी मिलों को गन्ना उत्पादक किसानों को भुगतान करना होता है.

big relief for sugarcane farmers CCEA approves increase in FRP by Rs 10 FRP गन्ने का न्यूनतम मूल्य होता है, जिसे चीनी मिलों को गन्ना उत्पादक किसानों को भुगतान करना होता है.

केंद्र सरकार ने बुधवार को गन्ने का उचित एवं लाभकारी (FRP) दाम 10 रुपये बढ़ाकर 285 रुपये क्विंटल करने को मंजूरी दे दी. यह दाम गन्ने के अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले नए विपणन वर्ष के लिए तय किया गया. FRP गन्ने का न्यूनतम मूल्य होता है जिसे चीनी मिलों को गन्ना उत्पादक किसानों को भुगतान करना होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार सुबह हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) की बैठक में यह निर्णय लिया गया.

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देश में प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा अपनी गन्ने की कीमत तय करते हैं, जिसे राज्य परामर्श मूल्य (SAPs) कहते हैं. अमूमन यह केंद्र सरकार की ओर से तय FRP से अधिक होता है.

CACP की सिफारिशों पर मुहर

CCEA ने खाद्य मंत्रालय के इस संबंध में दिए गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. मंत्रालय ने अगले विपणन सत्र के लिए गन्ने का सरकारी मूल्य यानी एफआरपी 275 रुपये से बढ़ाकर 285 रुपये क्विंटल करने का प्रस्ताव दिया था. मंत्रिमंडल समिति का यह निर्णय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश के मुताबिक है. सीएसीपी सरकार को प्रमुख कृषि उत्पादों के दाम को लेकर सलाह देने वाली सांविधिक संस्था है. एफआरपी को गन्ना (नियंत्रण) आदेश 1966 के तहत तय किया जाता है.

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290 लाख टन उत्पादन का अनुमान

सरकार का अनुमान है कि चालू विपणन सत्र में गन्ने का कुल उत्पादन 280 से 290 लाख टन रह सकता है. गन्ने का चालू विपणन सत्र अगले महीने समाप्त हो रहा है. पिछले साल 2018- 19 में देश में 331 लाख टन गन्ने का उत्पादन हुआ था. महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की खेती में कमी आने से चालू विपणन सत्र में उत्पादन कम रहने का अनुमान है.

Sugarcane Ccea