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राजद के मुताबिक बिना क्षेत्रीय दलों की मदद के भाजपा को हटाने में कांग्रेस सफल नहीं हो सकेगी.
Bihar Politics: हाल ही में बिहार में दो विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव में सत्ताधारी जदयू को जीत हासिल हुई लेकिन राजद कड़ी टक्कर देने में सफल रही. पिछले 10 वर्षों में यह पहली बार था कि कांग्रेस और राजद दोनों ही पार्टियां अलग होकर लड़ीं. कांग्रेस और राजद ने अपने रास्ते अलग कर लिए हैं या आगे चुनावों में एक साथ आएंगी, इसे लेकर राजद के महासचिव और प्रवक्ता चितरंजन गगन से फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए बातचीत की.
राजद प्रवक्ता ने स्पष्ट रूप से कहा कि केंद्रीय स्तर पर बिना कांग्रेस के मोदी सरकार को नहीं हटाया जा सकता है लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर कांग्रेस को भी क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका को स्वीकारनी होगी. इस बातचीत में कांग्रेस और राजद के एकजुट होने की संभावना के अलावा राजद की आगामी राजनीतिक रणनीति पर गगन से चर्चा हुई. राजद प्रवक्ता ने लालू यादव के बारे में कहा कि उन्हें सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ खड़े होने के चलते गलत मामलों में फंसाया जा रहा है और अगर आज वह भाजपा के साथ हाथ मिला लेते हैं तो सब मामले खत्म हो जाएंगे.
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केंद्र में भाजपा को हटाने में कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका
राजद प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस की अहमियत को उनकी पार्टी ने कभी नकारा नहीं है. राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को सत्ता हटाने में कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका होगी लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर भी कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों की भूमिका को स्वीकारना होगा. गगन के मुताबिक बिना क्षेत्रीय दलों की मदद के भाजपा को हटाने में कांग्रेस सफल नहीं हो सकेगी. चिराग पासवाल की लोकजनशक्ति पार्टी से हाथ मिलाने की बात पर उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक शक्तियों से लड़ाई में साझेदारी की जा सकती है.
नीतीश सरकार के विधायक राजद के संपर्क में
राजद प्रवक्ता गगन ने कहा, जनता दल और भाजपा के विधायक यह महसूस कर रहे हैं कि अब नीतीश के नाम पर नहीं जीत सकते हैं तो वे राजद से जुड़ना चाह रहे हैं. जनता दल और भाजपा के विधायक जमीनी स्तर पर देख रहे हैं कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता अब पहले जैसे नहीं रही तो वे राजद में आना चाह रहे हैं.
'शराबबंदी' को बताया राजद की नीति
राजद के प्रवक्ता से जब शराबबंदी को लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा कि राजद की सरकार में पूरे बिहार में करीब 900 शराब की दुकान थी. उसके बाद राजग की सरकार में यह नीति बनी कि नेशनल हाईवे और हाईवे पर अगर कोई बार या मदिरालय खोलेगा तो उसे सरकार 40 फीसदी अनुदान देगी. इसके चलते तेजी से शराब की दुकानें तेजी से खुलने लगी. उस सरकार में वित्त मंत्री सुशील मोदी रेवेन्यू की उपलब्धियां बताते थे और अगले साल का लक्ष्य बताते थे.
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राजद प्रवक्ता ने कहा कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में युवा राजद ने 'मदिरालय नहीं, पुस्तकालय चाहिए; शराब नहीं, किताब चाहिए' के नारे के साथ आंदोलन छेड़ दिया. इसके बाद 2015 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद सबसे पहले शराब पर प्रतिबंध लगाया गया. राजद प्रवक्ता ने कहा कि जो नीतीश सरकार शराब की बिक्री से जुटाए गए राजस्व से साइकिलें बंटवा रहे थे, वे कैसे इसे बंद कर सकते हैं. उन्होंने नीतीश सरकार पर शराब को फंड जुटाने का जरिया बनाने का आरोप लगाया है.