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बिहार विधानसभा की 243 सीटों का कार्यकाल 22 नवंबर को खत्म हो रहा है. (Image: IE File)
Bihar SIR Final Voter List: तीन महीने की लंबी प्रक्रिया के बाद बिहार की फाइनल वोटर लिस्ट (Electoral Roll) आज कभी भी आ सकती है. इस बीच आगामी बिहार विधान सभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चुनाव आयोग ने मंगलवार को एक समीक्षा बैठक की. वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई इस बैठक में आयोग के वरीय उप निर्वाचन आयुक्त के साथ बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल, राज्य पुलिस नोडल अधिकारी, कमीश्नर, IGP, DIG, जिला निर्वाचन अधिकारी और वरीय पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक मौजूद रहे. बिहार मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने एक्स पर किए लेटेस्ट पोस्ट के जरिए जानकारी दी.
बिहार की फाइनल वोटर लिस्ट स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (Special Intensive Revision – SIR) के तहत तैयार की गई है. इसमें पहले से मौजूद सभी 7.89 करोड़ मतदाताओं को अपने नाम दर्ज रखने के लिए नया फॉर्म भरना जरूरी था. बिहार विधानसभा की 243 सीटों का कार्यकाल 22 नवंबर को खत्म हो रहा है.
आमतौर पर चुनाव आयोग हर साल मतदाता सूची में जोड़-घटाव करता है. लेकिन इस बार 24 जून को आयोग ने बिहार से शुरुआत करते हुए पूरे देश में “स्पेशल इंटेंसिव रिविजन” का ऐलान किया. वजह यह थी कि इस तरह की गहन प्रक्रिया करीब 20 साल पहले हुई थी. इस बार आयोग का मकसद सूची को पूरी तरह दुरुस्त करना और ग़लत नामों को हटाना था.
गहन पुनरीक्षण का मतलब है कि मतदाता सूची पूरी तरह से नए सिरे से बनाई जाती है, जबकि सामान्य संशोधन में सिर्फ़ बदलाव होते हैं. डिजिटलीकरण के बाद से आयोग हर साल और चुनाव से पहले “स्पेशल समरी रिवीजन” करता रहा है, लेकिन पूरी तरह नई सूची बहुत समय बाद तैयार की जा रही है.
आयोग ने कहा कि लगातार शहरीकरण, लोगों का एक जगह से दूसरी जगह जाना, नए युवा वोटरों का जुड़ना, मौत की जानकारी समय पर दर्ज न होना और अवैध विदेशी नागरिकों के नाम चढ़ जाने जैसी वजहों से यह सख़्त प्रक्रिया ज़रूरी हो गई थी, ताकि सूची पूरी तरह साफ और भरोसेमंद हो.
इस आदेश के मुताबिक, बूथ लेवल अफसर (BLO) घर-घर जाकर हर वोटर से फॉर्म भरवाते रहे. 2003 के बाद जिनका नाम जुड़ा था, उन्हें नागरिकता और पात्रता साबित करने वाले दस्तावेज़ देने पड़े. 1 जुलाई 1987 के बाद जन्म लेने वालों को अपने माता-पिता के जन्म से जुड़े सबूत भी जमा करने पड़े.
24 जून से 25 जुलाई तक चले इस सर्वे के बाद 1 अगस्त को 7.24 करोड़ नामों वाली ड्राफ्ट सूची जारी की गई. उस समय दस्तावेज़ों की जांच बाकी थी. 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावा-आपत्ति और कागज़ जमा करने का मौका दिया गया. इस दौरान चुनाव आयोग ने बताया कि ड्राफ्ट सूची से हटाए गए करीब 65 लाख नाम या तो मृतक थे, स्थायी रूप से दूसरी जगह चले गए थे, कई जगह दर्ज थे या फिर ट्रेस नहीं हो पाए.