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Bihar SIR: बिहार में ड्रॉफ्ट वोटर लिस्ट जारी करने पर रोक नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा - रिविजन में आधार-वोटर कार्ड पर करें विचार

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वो बिहार में वोटर लिस्ट स्पेशल रिविजन के दौरान आधार और वोटर कार्ड जैसे डाक्यूमेंट्स पर विचार करें . कोर्ट ने कहा कि ये दोनों दस्तावेज आमतौर पर सही माने जाते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वो बिहार में वोटर लिस्ट स्पेशल रिविजन के दौरान आधार और वोटर कार्ड जैसे डाक्यूमेंट्स पर विचार करें . कोर्ट ने कहा कि ये दोनों दस्तावेज आमतौर पर सही माने जाते हैं.

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Mithilesh Kumar
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Bihar SIR

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी करने पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि पहले उठाई गई चिंताओं का समाधान पहले ही किया जा चुका है. (Image: IE File)

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार के लिए ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को 1 अगस्त को पब्लिश करने से चुनाव आयोग (EC) को रोकने से इनकार कर दिया. यह लिस्ट 24 जून से 25 जुलाई के बीच चली वोटर वेरीफिकेशन यानी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (Special Intensive Revision - SIR) प्रक्रिया के बाद तैयार की गई है.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की चिंताओं को कोर्ट के 10 जुलाई के आदेश में दिए गए सुझाव से हल किया जा चुका है, जिसमें कहा गया था कि आधार और वोटर कार्ड जैसे डॉक्युमेंट्स पर भी विचार किया जाए. अगर भविष्य में कोई अवैधता सामने आती है, तो कोर्ट दखल दे सकता है और उसे कैंसिल कर सकता है.

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10 जुलाई के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि वो आधार, वोटर ID और राशन कार्ड को वोटर लिस्ट अपडेट करने के लिए विचार करे. हालांकि, ये चुनाव आयोग के ऊपर छोड़ा गया था कि वो इन डॉक्युमेंट्स को स्वीकार करे या नहीं.

जस्टिस सूर्यकांत ने EC की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी से कहा, “पिछले आदेश में बहुत अच्छा सुझाव दिया गया है कि आधार और EPIC पर विचार किया जाए. अभी के लिए ये दोनों डॉक्युमेंट्स सही माने जाते हैं, क्योंकि ये प्रमाणिक हैं. इसलिए आप इन्हीं डॉक्युमेंट्स के साथ प्रक्रिया आगे बढ़ाएं.”

कोर्ट ने कहा कि अगर कहीं जाली दस्तावेज पाए जाते हैं तो उन्हें केस दर केस आधार पर देखा जाए. “दुनिया में कोई भी डॉक्युमेंट जाली हो सकता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि सबको बाहर कर दिया जाए. हमें अधिक से अधिक लोगों को लिस्ट में शामिल करना चाहिए, न कि उन्हें बाहर निकालना.”

सुनवाई की शुरुआत में ही जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि उनका एक प्रशासनिक मीटिंग है और वे पूरे दिन कोर्ट नहीं चला पाएंगे. उन्होंने पक्षों से पूछा कि बहस में कितना समय लगेगा, ताकि अगली तारीख तय की जा सके.

ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि EC ने आधार और EPIC पर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया.

इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने EC द्वारा दिए गए जवाबी हलफनामे की बात कही और कहा कि EC ने इन दस्तावेजों को खारिज नहीं किया है.

इस पर शंकरनारायणन बोले, “जमीनी स्तर पर वे (EC) इन्हें स्वीकार नहीं कर रहे हैं.”

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “EC का कहना है कि जो डॉक्युमेंट्स की लिस्ट पहले दी गई थी, उसमें आधार शामिल नहीं था, लेकिन कोर्ट के निर्देश के बाद अब आधार और EPIC को भी स्वीकार किया जाएगा.”

EC की ओर से वकील द्विवेदी ने कहा, “राशन कार्ड के मामले में हमें बड़ी संख्या में जालसाजी की दिक्कत है. EPIC नंबर को प्री-फिल्ड फॉर्म में शामिल किया गया है, लेकिन क्योंकि यह एक विशेष पुनरीक्षण है, इसलिए EPIC अकेले निर्णायक नहीं हो सकता.”

जस्टिस बागची ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति फॉर्म में आधार दे रहा है, तो EC उसे ध्यान में रख सकता है और जरूरत हो तो नोटिस भेज सकता है.

जस्टिस सूर्यकांत ने फिर कहा, “शायद हजार में एक EPIC कार्ड भी जाली हो सकता है, लेकिन ऐसे मामलों को अलग-अलग देखा जा सकता है. वैसे भी, दुनिया का कोई भी डॉक्युमेंट जाली हो सकता है, यहां तक कि आधार भी. लेकिन फिलहाल आधार और EPIC को सही माना जा रहा है, क्योंकि ये प्रमाणित डॉक्युमेंट्स हैं. इसलिए आप इन्हीं के आधार पर आगे बढ़ें.”

EC के वकील ने कहा कि वे आधार को स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन आधार एक्ट की धारा 9 के मुताबिक आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है.

कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा कि वे मंगलवार को टाइमलाइन जमा करें, उसके बाद अगली सुनवाई की तारीख तय की जाएगी.

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