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Bilkis Bano Case: बिलकीस के गुनहगारों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख, गुजरात सरकार से कहा- अपराध की गंभीरता पर गौर करना जरूरी था

Bilkis Bano Case: कोर्ट ने ग्यारह दोषियों को समय से पहले रिहा करने के अपने फैसले के पीछे के राज्य सरकार से कारण बताने को कहा है.

Bilkis Bano Case: कोर्ट ने ग्यारह दोषियों को समय से पहले रिहा करने के अपने फैसले के पीछे के राज्य सरकार से कारण बताने को कहा है.

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FE Hindi Desk
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Bilkis Bano Case

Bilkis Bano Case: पीठ अब इस मामले की सुनवाई 2 मई को करेगी

Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो बलात्कार और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट एक्शन में नजर आ रहा है. कोर्ट ने मंगलवार को गुजरात सरकार को बिलकिस बानो मामले में जवाबतलब किया है. सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों रिहाई से संबंधित फाइलें नहीं दिखाने पर सरकारों से सवाल किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपराध काफी "भयावह" था और सरकार को इसकी गंभीरता पर गौर करना जरूरी था. कोर्ट ने इससे पहले भी सरकार से दोषियों के रिहाई के पीछे का कारण बताने को कहा था. लाइव लॉ ने अपने एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी.

सरकार को करना चाहिए था अपराध की गंभीरता पर विचार

दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली 27 मार्च की याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को अपराध की गंभीरता पर विचार करना चाहिए था. इस बीच, केंद्र और गुजरात सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि वे उसके 27 मार्च के आदेश की समीक्षा के लिए याचिका दायर कर सकते हैं, जिसमें दोषियों को छूट देने की मूल फाइलों के साथ तैयार रहने को कहा गया है. पीठ अब इस मामले की सुनवाई 2 मई को करेगी और गुजरात सरकार द्वारा दाखिल की जाने वाली प्रस्तावित पुनर्विचार याचिका पर भी फैसला करेगी.

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हमारे-आपके साथ भी हो सकती है यह घटना: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के बेंच ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि केंद्र सरकार राज्य के फैसले से सहमत है, इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य को अपना दिमाग लगाने की आवश्यकता नहीं है. पीठ ने कहा कि सवाल यह है कि क्या सरकार ने अपना दिमाग लगाया और किस आधार पर उसने दोषियों को रिहा किया? शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती. कोर्ट ने यह भी कहा कि ये घटना बिलकिस बानो से साथ हुई है, कल ये घटना आपके और हमारे साथ भी हो सकती है.

विपक्ष भी हुआ हमलावर

इस बीच इस मामले में विपक्ष का भी बयान सामने आने लगा है. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने बिलकिस बानो बलात्कार और हत्या मामले में गुजरात सरकार द्वारा 11 लोगों को रिहा करने के मामले को चुनौती दी. जिन्हें बलात्कार और बलात्कार के दोषी ठहराया गया था. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा, "केंद्र और गुजरात सरकार की ओर से देरी की रणनीति अपनाई गई. वे स्पष्ट रूप से अवमानना ​​​​कर रहे थे क्योंकि उन्होंने फाइलें (रिहाई के संबंध में) पेश नहीं कीं.

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क्या है मामला?

ये मामला साल 2002 के गुजरात दंगों दे जुड़ा है. उस दौरान गुजरात के दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में 3 मार्च, 2002 को 14 लोगों की एक भीड़ ने बिलकिस और उसकी तीन साल की बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. इस मामले में कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद से सभी 11 दोषी जेल में बंद थे और पिछले साल 15 अगस्त को सभी को रिहा कर दिया गया था. बिलकिस ने अपनी याचिका में कहा था, "दोषियों की समय से पहले रिहाई ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है."

Supreme Court Bilkis Bano Gujarat