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पिछले सप्ताह हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को शहनवाज हुसैन पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था. चुनौती मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया.
Supreme Court Gives Big Respite to BJP Leader Shahnawaz Hussain: बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन को सुप्रीम कोर्ट ने रेप के आरोप से जुड़े मामले में बड़ी राहत दी है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने रेप के आरोप में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर अमल किए जाने पर रोक लगा दी है. शाहनवाज हुसैन पर रेप का यह आरोप साल 2018 में लगाया गया था, लेकिन इस सिलसिले में अब तक उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है.
शाहनवाज हुसैन पर 2018 में दिल्ली की रहने वाली एक महिला ने अपने फॉर्म हाउस में नशीली चीज खिलाकर रेप करने का आरोप लगाया था. इस महिला ने बीजेपी नेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज न किए जाने की शिकायत लोअर कोर्ट में की थी, जिसने जुलाई 2018 में पुलिस को केस दर्ज करने का आदेश दिया था. लेकिन शाहनवाज हुसैन ने ट्रायल कोर्ट के इस आदेश को सेशंस कोर्ट में चुनौती दे दी.
सेशंस कोर्ट ने भी बीजेपी नेता की अर्जी को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के केस दर्ज करने के आदेश पर मुहर लगा दी. इसके बाद शाहनवाज हुसैन एफआईआर रुकवाने की अर्जी लेकर दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे, जिसने उन्हें फौरी राहत देते हुए अपने अंतरिम आदेश में केस दर्ज किए जाने पर रोक लगा दी थी. लेकिन 17 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद अपने अंतरिम आदेश को रद्द करते हुए न सिर्फ शाहनवाज हुसैन के खिलाफ रेप के मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, बल्कि पूरे मामले की जांच करके तीन महीने में रिपोर्ट देने को भी कहा.
अपने खिलाफ रेप के आरोप में मुकदमा दर्ज करके जांच किए जाने के दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश को बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए अर्जेंट सुनवाई का अनुरोध किया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी सोमवार 22 अप्रैल को उनकी अर्जी मंजूर करते हुए दिल्ली हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. शाहनवाज हुसैन को राहत देने वाला यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की जिस खंडपीठ ने सुनाया उसमें जस्टिस उदय उमेश ललित के साथ-साथ जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और सुधांशु धूलिया भी शामिल थे.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश सुनाने से पहले सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने शाहनवाज हुसैन की पैरवी करते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश इस मान्यता के आधार पर दिया है कि पुलिस एफआईआर दर्ज करने के बाद ही सही ढंग से जांच कर सकती है, जबकि कानून की नजर में ऐसा मानना ठीक नहीं है. रोहतगी ने कहा कि अगर बीजेपी नेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश पर अमल हुआ, तो कोई भी शख्स ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा सकता है. उन्होंने कहा कि पुलिस को अपनी आरंभिक जांच में महिला के आरोप में इतने भी तथ्य नहीं मिले कि एफआईआर दर्ज की जा सके.
शिकायतकर्ता महिला ने आरोप लगाया था कि बीजेपी नेता की तरफ से उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिलती रही हैं, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उसे यह छूट दे दी है कि वो पुलिस से सुरक्षा दिए जाने की मांग कर सकती है. जून 2018 में पीड़ित महिला ने बीजेपी नेता शहनवाज हुसैन के खिलाफ IPC की धारा 376,328,120B और 506 के तहत केस दर्ज करने की मांग की थी. लेकिन दिल्ली पुलिस ने 4 जुलाई 2018 को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (MM) के सामने कार्रवाई रिपोर्ट (ATR) पेश करके दावा किया कि शिकायतकर्ता के आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी है.