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ममता ने सवाल किया कि अगर यह पीएम और सीएम की बैठक थी तो तूफान की समीक्षा बैठक में भाजपा नेताओं और राज्यपाल को क्यों बुलाया गया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार 28 मई को पीएम मोदी की बंगाल यात्रा के दौरान यास तूफान से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने के मामले पर बीजेपी के आरोपों पर तीखा पलटवार किया है. ममता बनर्जी ने कहा कि जब वह तूफान के कारण संकट में फंसी प्रदेश की जनता के लिए काम करने में व्यस्थ थीं, तब प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) उनके खिलाफ इकतरफा खबरें प्रचारित करके उनकी छवि खराब करने और उनका अपमान करने में लगा था. ममता ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री मुझे बंगाल की जनता की भलाई के लिए अपने पांव छूने को कहेंगे, तो मैं वो भी करने को तैयार हूं, लेकिन मेरा इस तरह से अपमान न किया जाए.
ममता ने तूफान से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने के मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अगर वह बैठक पीएम और सीएम के बीच होनी थी, तो उसमें बीजेपी के नेताओं को क्यों बुलाया गया था? उन्होंने कहा कि हाल ही में गुजरात में इसी प्रकार की समीक्षा बैठक हुई तब विपक्षी नेताओं को क्यों नहीं बुलाया गया? ममता ने कहा कि बीजेपी अब तक पश्चिम बंगाल के चुनाव में हुई हार को पचा नहीं पाई है. इसीलिए उन्हें और उनकी सरकार को लगातार परेशान करने की कोशिश हो रही है.
ममता ने कहा, जब उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली तो राज्यपाल ने कानून और व्यवस्था के बारे में बात की और केंद्रीय टीमों को भेजा गया. बनर्जी ने कहा कि इस तरह केंद्र सरकार उन्हें अपमानित करना बंद करे और बंगाल को बदनाम न करे.
I request PM to withdraw this order of Chief Secy (being attached to DoPT) & let us work. There should be some courtesy. Centre is not letting the State work. Bengal is my priority & I'll never put it in danger. I will remain a security guard for the people here: West Bengal CM
— ANI (@ANI) May 29, 2021
ममता का केंद्र पर काम न करने देने का आरोप
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि राज्य में तूफान के कारण आई तबाही और कोरोना संकट के बीच मुख्य सचिव का अचानक दिल्ली तबादला करने का केंद्र सरकार का आदेश वापस लिया जाए. ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार हमें काम करने से रोकने की कोशिश कर रही है, जो ठीक नहीं है. बंगाल मेरी प्राथमिकता है और मैं राज्य की जनता का नुकसान नहीं होने दूंगी. ममता ने कहा कि वे राज्य की जनता के लिए सुरक्षा गार्ड की तरह हमेशा मुस्तैद रहेंगी.
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क्या है मामला
शुक्रवार को पीएम मोदी ने अपने पश्चिम बंगाल दौरे के दौरान यास तूफान से हुए नुकसान पर विचार के लिए समीक्षा बैठक रखी थी. बीजेपी का आरोप है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बैठक में आधे घंटे देर से पहुंचीं. राज्य के मुख्य सचिव भी उनके साथ ही देरी से पहुंचे. पहुंचने के बाद भी ममता बनर्जी बैठक में पूरी तरह शामिल नहीं हुईं. उन्होंने तूफान से हुए नुकसान से जुड़े कुछ दस्तावेज प्रधानमंत्री को सौंपे और फिर अपने दूसरे कार्यक्रम होने की बात कहकर वहां से चली गईं.
इसके कुछ ही घंटे बाद केंद्र सरकार ने अचानक पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय के तबादले का आदेश जारी कर दिया. बंद्योपाध्याय को केंद्र सरकार में तैनाती के लिए रिपोर्ट करने को कहा गया. इस तबादले को भी टीएमसी केंद्र सरकार की बदले की कार्रवाई के तौर पर देख रही है. अलापन बंद्योपाध्याय का अचानक तबादला इसलिए भी हैरान करने वाला है, क्योंकि उनका कार्यकाल तीन महीने बढ़ाकर 31 अगस्त तक करने के राज्य सरकार के अनुरोध को केंद्र सरकार ने महज 4 दिन पहले, 24 मई को ही मंजूरी दी थी.
चुनाव से ठीक पहले पाला बदलकर टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी आरोप लगा रहे हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके प्रशासन ने प्रधानमंत्री मोदी को 30 मिनट तक इंतजार करवाया, जो न सिर्फ संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ बल्कि शर्मनाक भी है.
Yesterday after aerial survey (of Cyclone Yaas aftermath) in West Bengal there was a review meeting in East Midnapore, but CM Mamata Banerjee and administration made the PM wait for 30 minutes. It was breach of constitutional integrity & was shameful: BJP MLA Suvendu Adhikari pic.twitter.com/SBZwWDdCNh
— ANI (@ANI) May 29, 2021
हालांकि ममता बनर्जी का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात करके अपने पहले से तय कार्यक्रमों में बताया था और अपनी तरफ से रिपोर्ट देने के बाद वे पीएम की इजाजत लेकर ही वहां से रवाना हुई थीं. लेकिन केंद्र सरकार और बीजेपी के नेता पूरे मामले को जानबूझकर गलत ढंग से पेश कर रहे हैं.