/financial-express-hindi/media/post_banners/guVeki9FQJVzPNh8iOLq.jpg)
नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) ने सरकार के सामने यह मांग रखी है.
/financial-express-hindi/media/post_attachments/uNK99fGSKC2WNYohazlJ.jpg)
भारत को 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिये आगामी बजट में सरकार को रियल एस्टेट क्षेत्र में नकदी की तंगी दूर करने और दबाव में फंसी आवासीय परियोजनाओं को बैंकों से एकबारगी राहत या कर्ज पुनर्गठन की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए. केन्द्र सरकार के शहरी एवं आवास विकास मंत्रालय के तहत कार्य करने वाले नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) ने सरकार के सामने यह मांग रखी है. उसने कहा है कि रियल एस्टेट क्षेत्र इस समय नकदी की भारी तंगी से जूझ रहा है. नकदी के अभाव में अटकी पड़ी आवासीय परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिये सरकार को रियल एस्टेट कंपनियों के कर्ज का पुनर्गठन करना चाहिये या उन्हें बैंकों को ऐसे कर्ज के मामले में एकबारगी राहत देने का विकल्प देना चाहिये.
नारेडको की सरकार से मांग
इससे कर्ज लेने वाली कंपनी का खाता मानक खाता बना रहेगा और संबंधित राशि गैर- निष्पादित राशि (एनपीए) नहीं बनेगी. नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. निरंजन हीरानंदानी ने बुधवार को कहा कि कुछ भी नामुमकिन नहीं है. रियल एस्टेट क्षेत्र में दहाई अंक में वृद्धि हासिल करना मुमकिन है. सरकार को टुकड़ों में नहीं बल्कि समग्र रूप से इस क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करना चाहिए. रियल एस्टेट क्षेत्र से 269 अन्य सहायक उद्योग जुड़े हैं.
हीरानंदानी ने कहा कि जमीन- जायदाद और आवास क्षेत्र अगर तेजी से आगे बढ़ेगा तो पूरी अर्थव्यवस्था की गति बढ़ेगी. यह क्षेत्र भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में अहम योगदान कर सकता है. इसके साथ उन्होंने कहा कि सरकार ने अब तक जो भी कदम उठाये हैं उनको लेकर सकारात्मक संकेत अर्थव्यवस्था में दिखने लगे हैं. बस इसे और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है.
उनके मुताबिक सरकार को चाहिये 31 मार्च 2020 को या इससे पहले होने वाले सभी तरह के रियल एस्टेट सौदों पर स्टैम्प शुल्क में 50 फीसदी कटौती होनी चाहिए. इसका असर यह होगा कि अभी तक इंतजार कर रहे लोग भी आगे बढ़कर घर खरीदना शुरू करेंगे.
बजट 2020: मिडिल क्लास की वित्त मंत्री से उम्मीदें, क्या इनकम टैक्स में मिलेगी राहत?
किरायेदारी आवासों को प्रोत्साहन की जरूरत
हीरानंदानी देश के प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम के भी अध्यक्ष बने हैं. उन्होंने कहा कि देश में 2022 तक सभी को आवास उपलब्ध कराने के लक्ष्य को हासिल करने के लिये देश में किरायेदारी आवासों को प्रोत्साहन देने की जरूरत है. शहरी क्षेत्रों में बढ़ती आबादी को आवासीय सुविधायें उपलब्ध कराने के लिये किरायेदारी आवास बेहतर विकल्प होगा. डेवलपरों को इसके लिये कर रियायतें दी जानी चाहिये. उन्होंने कहा कि आवास कर्ज पर ब्याज दर को कम करके सात फीसदी तक नीचे लाया जाना चाहिए. ब्याज दर में कमी का फायदा अंतिम उपयोगकर्ता तक पहुंचना चाहिए.
हीरानंदानी ने सस्ती आवासीय परियोजनाओं को नये सिरे से परिभाषित करने पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि माल एवं सेवाकर (जीएसटी) और आयकर कानून में हाल ही में सस्ते आवासों की परिभाषा को अलग अलग संशोधित किया गया है. ऐसे में सस्ता घर चाहने वालों को दो-दो शर्तों को पूरा करना पड़ता है. उन्होंने सुझाव दिया है कि सस्ते आवासों के लिये 45 लाख रुपये की मूल्य सीमा को खत्म कर 60 या 90 वर्गमीटर क्षेत्र वाले मकानों को ही यह लाभ देने की सिफारिश की है.