/financial-express-hindi/media/post_banners/4wZsBxRKS7YmDBIWGZo1.jpg)
न्यू इंडिया और 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी मिशन को हासिल करने के मकसद से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट घोषणाओं का एलान किया.
/financial-express-hindi/media/post_attachments/HEfBSIG8JkyzzmmyMTnK.jpg)
Budget 2020 and New India: न्यू इंडिया और 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी मिशन को हासिल करने के मकसद से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट घोषणाओं का एलान किया. वित्त मंत्री के बजट में खेती-किसानी को उन्नत बनाने, बुनियादी इंफ्रा को रफ्तार देने, न्यू इंडिया को साकार करने, बिना नया टैक्स लगाए खर्चों के लिए पैसा जुटाने, छोटे एवं मझोले कारोबारियों को बढ़ावा देने, स्टार्टअप का इकोसिस्टम बेहतर बनाने के साथ-साथ करदाताओं को नई टैक्स व्यवस्था में ले जाने की कोशिशों का रोडमैप दिया गया. यह एक सकारात्मक पक्ष रहा. हालांकि, वित्त मंत्री के भाषण में खुलकर उन बातों का जिक्र नहीं हुआ, जिनसे निपटना मौजूदा दौर में जरूरी है. इसमें रोजगार के नए अवसर और सुस्त विकास दर का मसला अहम है.
वित्त मंत्री के भाषण में नई शिक्षा नीति, कौशल विकास पर जोर के एलान किए गए. वहीं, इंफ्रा पर 100 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के खर्च और रूरल ग्रोथ को बढ़ावा की बात कही गई. निश्चित रूप से मोदी सरकार बेरोजगारी और सुस्त विकास दर का समाधान इनके जरिए देख रही है.
करदाताओं को क्या मिला?
आम करदाताओं को वित्त मंत्री ने क्या दिया? निश्चित रूप से इस वाद-विवाद मुमकिन है. लेकिन, बकौल वित्त मंत्री उन्होंने एक नई कर व्यवस्था को देश में पेश किया है, जिसे फिलहाल वैकल्पिक रखा गया है. हालांकि, इस बात के संकेत जरूर हैं कि भविष्य में यह व्यवस्था अनिवार्य भी हो सकती है. Budget 2020: नए टैक्स स्लैब में 15 लाख की इनकम पर बचेंगे 78000 रु
दरअसल, व्यक्तिगत करदाताओं के लिए नए टैक्स व्यवस्था के तहत 5 टैक्स स्लैब पेश किया है. इसमें 2.50 लाख की आय कर मुक्त, 2.5 लाख से 5 लाख तक 5 फीसदी, 5-7.5 लाख तक 10 फीसदी, 7.5-10 लाख तक 15 फीसदी, 10-12.5 लाख तक 20 फीसदी, 12.5-15 लाख तक 25 फीसदी और 15 लाख से ज्यादा 30 फीसदी की दर से टैक्स का प्रावधान है. निश्वित रूप से इस स्लैब में टैक्स रेट मौजूदा व्यवस्था से कम है. लेकिन इसमें शर्त यह है कि करदाताओं को नई व्यवस्था स्वीकार करने पर कर में कटौती छोड़नी पड़ेगी. यानी उसे, 80सी, 80डी, 80ई समेत अन्य मदों में मिलने वाली कर छूट नहीं मिलेगी.
किसानों को क्या मिला?
मोदी सरकार 2022 तक किसानों को आमदनी दोगुनी करने की अपनी दृढ़ता को एक बार फिर दोहराया है. बजट 2020 के एलानों में भी किसान केंद्र बिंदू में रहा. वित्त मंत्री ने किसानों के लिए कई बड़े एलान किए. इसमें सूखाग्रस्त इलाकों के लिए पीएम कुसुम स्कीम का एलान किया है. इस स्कीम के तहत देश के सूखा ग्रस्त इलाकों में 20 लाख किसानों को सोलर पंप दिए जाएंगे. इससे उन्हें सूखे से निपटने में मदद मिलेगी. इसके अलावा वित्त मंत्री ने पीपीपी मॉडल पर 'किसान रेल' चलाने का एलान किया है. वहीं, कृषि उड़ान का भी एलान हुआ है, जिससे नॉर्थ ईस्ट के किसानों को फायदा होगा. Budget 2020: यह है सरकार का 16 एक्शन प्लान, जिससे 2022 तक किसानों की आय होगी डबल
बजट में किसान क्रेडिट के लिए सरकार ने 15 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. कृषि और इससे जुड़े सेक्टर के लिए सरकार ने 2.83 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
युवाओं को क्या मिला?
मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती रोजगार के नए अवसर पैदा करने की रही है. आर्थिक सुस्ती के दौर में यह संकट और गहरा गया है. सरकार यह अच्छी तरह जानी है कि सरकारी और कॉरपोरेट नौकरियों के जरिए रोजगार की बढ़ती मांग को पूरा नहीं किया जा सकता है. इसलिए जरूरी है कि आंत्रप्रेन्योरशिप, कौशल विकास और उन्नत शिक्षा व्यवस्था को बढ़ावा दिया जाए. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में इसकी कोशिश बखूबी रही. Budget 2020 for Youth: स्किल डेवलपमेंट को मिलेगा बढ़ावा
स्किल डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री ने 3000 करोड़ की राशि देने का एलान किया है. एजुकेशन सेक्टर के लिए 99,300 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. वहीं, वित्त मंत्री राष्ट्रीय पुलिस विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय फॉरेंसिक विश्वविद्यालय का प्रस्ताव लेकर आई हैं. मेडिकल कॉलेज को जिला अस्पताल से जोड़ने की बात कही. वित्त मंत्री ने नई शिक्षा नीति लाने के साथ-साथ एजुकेशन सेक्टर के लिए FDI और ECB को मंजूरी दी जाएगी. इससे साफ है कि शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी पूंजी जरूरी है. इसके अलावा युवा इंजीनियरों को इंटर्नशिप का अवसर देने, मार्च 2021 तक डिप्लोमा के लिए 150 नए संस्थान खोलने, गरीब छात्रों के लिए ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम लाने के अलावा 'स्डटी इन इंडिया' प्रोग्राम लॉन्च करने का एलान किया.
MSME, स्टार्टअप्स को क्या मिला?
रोजगार पैदा करने के लिहाज से देश का MSME सेक्टर काफी अहम है. वित्त मंत्री ने बजट में इस सेक्टर को राहत देने की कोशिश जरूर की है. यहां यह बता दें, नोटबंदी और जीएसटी का सबसे नकारात्मक असर छोटे और मझोले उद्योगों पर ही हुआ था. जिसके चलते लाखों नौकरियां खत्म हो गई थीं. वहीं सरकार, आंत्रप्रेन्योरशिप को प्रमोट करने के लिए स्टार्टअप्स को भी बूस्ट देना चाहती है.
वित्त मंत्री ने एमएसएमई उद्यमों के आडिट के लिए टर्नओवर लिमिट 5 गुना बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये कर दी. फिहाल यह थ्रेसहोल्ड लिमिट 1 करोड़ रुपये है. वित्त मंत्री का कहना है कि लेस कैश इकोनॉमी को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से यह बढ़ाई गई थ्रेसहोल्ड टर्नओवर लिमिट केवल उन्हीं उद्यमों पर लागू होगी, जिनके कारोबार में कैश ट्रांजैक्शन की हिस्सेदारी 5 फीसदी से कम है. मौजूदा व्यवस्था के तहत जिन कारोबारियों का टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से अधिक है उन्हें अपने खाते-बही का आडिट किसी अकाउंटेंट से कराना होता है.
बिजनेस में इनोवेशन का दारोमदार स्टार्टअप्स इकोसिस्टम पर ही टिका है. बजट में वित्त मंत्री ने स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के मकसद से कर्मचारियों के लिए कर-बोझ में राहत देने के लिए ईएसओपी पर टैक्स भुगतान को 5 साल के लिए टाल दिया है. बजट में साफ तौर पर कहा गया है कि स्टार्टअप भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास इंजन के रूप में उभरकर सामने आए हैं.
सरकार ने स्टार्टअप्स के लिए एक और राहत दी. इसके अंतर्गत 100 करोड़ रुपये के सालाना टर्नओवर वाले बड़े स्टार्टअप्स को 100 फीसदी टैक्स छूट का प्रावधान किया गया है. पहले टर्नओवर लिमिट 25 करोड़ रुपये थी. अभी तक कुल कारोबार करने वाले पात्र स्टार्टअप को यदि कुल कारोबार 25 करोड़ रुपये से अधिक न हो, तो सात वर्षों में से लगातार तीन एसेसमेंट ईयर के लिए अपने लाभ की 100 फीसदी की कटौती मिलती है. इसके अलावा बजट में डिडक्शन क्लेम की अवधि मौजूदा 7 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का प्रस्ताव किया गया है.
'न्यू इकोनॉमी' के लिए क्या?
मोदी सरकार को जोर हमेशा से न्यू इंडिया पर रहा है. जाहिर है न्यू इंडिया के लिए न्यू इकोनॉमी जरूरी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 'न्यू इकोनॉमी' का उल्लेख करते हुए कहा कि निजी क्षेत्र देश भर में डेटा सेंटर पार्कों का निर्माण कर सके, इसके लिए जल्द ही एक पॉलिसी लाई जाएगी. वित्त मंत्री ने ‘भारतनेट’ के जरिए एक लाख ग्राम पंचायतों को इस साल आपस में जोड़ने का लक्ष्य रखा है.
वित्त वर्ष 2020-21 में भारतनेट प्रोग्राम के लिए मोदी सरकार ने 6000 करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही है. वहीं, नेशनल क्वांटम प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग मिशन के लिए 5 वर्षों की अवधि के दौरान 8,000 करोड़ रुपये देने का एलान वित्त मंत्री ने किया है. अब इन एलानों का धरातल पर किस तरह असर दिखता है, वही न्यू इकोनॉमी का रास्ता तय करेंगे.