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सेक्टर ने बजट में मार्केट डेवलपमेंट फंड का कम से कम 50 फीसदी MSME के लिए निर्धारित करने की मांग की है.
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Budget 2020: MSME एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिये सेक्टर ने बजट में मार्केट डेवलपमेंट फंड का कम से कम 50 फीसदी MSME के लिए निर्धारित करने की मांग की है. भारत के निर्यात में इस सेक्टर का योगदान 50 फीसदी के करीब है. MSME मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में लिखित जवाब में बताया कि डायरक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टेटिसटिक्स से मिली जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2019 में यह योगदान 48.10 फीसदी रहा है.
क्या है MSME सेक्टर की मांगें ?
फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट से पहले अपनी उम्मीदों के बारे में बताया है कि MSME सेक्टर के निर्यातकों को मानकों और परीक्षणों में खरा उतरने के लिए सार्वजनिक संस्थानों की मदद चाहिए. उनके मुताबिक एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (EPC) और बोर्ड इन चुनौतियों को समझने में असफल रहे हैं. इसलिए, बदलते आर्थिक हालातों के बीच इस सेक्टर की मदद करने के लिए EPC और एग्जिम बैंक की भूमिका के बारे में लाभार्थी समूह के साथ परामर्श करके समीक्षा की जानी चाहिए.
इसके अलावा समय पर जीएसटी का रिफंड देना और निर्यातकों को इसमें किसी भी तरह की देरी को लाइव डैशबोर्ड से ट्रैक करने का भी सुझाव दिया गया है. इस साल अगस्त में निर्मला सीतारमण ने MSME को जीएसटी रिफंड का भुगतान आवेदन करने के 60 दिनों के भीतर करने का ऐलान किया था. सरकारी विभागों, PSU और बड़े संस्थानों से MSME को भुगतान में होने वाली देरी की वजह छोटे कारोबारों के लिए अपनी बिजनेस साइकिल को बरकरार रखने के लिए बाधा रहती है.
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MSME की कुल निर्यात में हिस्सेदारी बढ़ी
वित्त मंत्री को यह भी सुझाव दिया गया है कि पीएसयू अपना सप्लाई बेस को विकसित करें जिसमें MSME भी शामिल हैं. FISME के मुताबिक इसका घरेलू और निर्यात दोनों मोर्चों पर असर होगा. MSME की निर्यात में हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2018 में कुल निर्यात का 7.5 फीसदी रहा. जो 2016 और 2017 में क्रमश: 5.9 फीसदी और 4.8 फीसदी रहा. ट्रेड फाइनेंस कंपनी ड्रिप कैपिटल की रिसर्च के मुताबिक, 98 फीसदी भारतीय निर्यातक MSME हैं. इनमें से 83 फीसदी माइक्रो इंटरप्राइजेज हैं.