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टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स में राहत मिलने की उम्मीद कर रहे हैं.
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Union Budget 2020: आगामी 1 फरवरी को मोदी सरकार बजट पेश करेगी. बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए कुछ प्रस्ताव ला सकती हैं. अगर बजट में इनकम टैक्स स्लैब का विस्तार होता है, तो लोगों की बचत में इजाफा होगा. लोगों के हाथ में पैसा बढ़ेगा. इससे लोगों को अपने लॉन्ग-टर्म फाइनेंशियल गोल को पूरा करने में आसानी भी होगी. Nangia Andersen LLP के डायरेक्टर संदीप झुंझनवाला का कहना है कि हर साल सरकार डायरेक्ट टैक्स कानून के प्रावधानों में बदलाव करती है और टैक्सपेयर्स पर बोझ को कम करने की कोशिश करती है. इस साल टैक्सपेयर्स की उम्मीदें कुछ ज्यादा हैं. सरकार की ओर से कॉरपोरेट टैक्स में कटौती करने के बाद से टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स में भी राहत की उम्मीद कर रहे हैं. FE.com के साथ अपने ई-मेल इंटरव्यू में संदीप झुनझुनवाला ने 2020-21 के बजट को लेकर अपनी उम्मीदें बताईं.
क्या सैलरीड मिडिल क्लास के टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव हुआ है?
मिडिल क्लास की आमदनी कम होती है और उन पर टैक्स का बोझ ज्यादा रहता है. वर्तमान में मौजूद टैक्स स्लैब के मुताबिक, 60 साल से कम उम्र का व्यक्ति जिसकी कमाई 2.5 लाख से 5 लाख के बीच है, उसे 5 फीसदी की दर से टैक्स का भुगतान करना होता है. जबकि, जो टैक्सपेयर्स 5 लाख से 10 लाख तक के बीच कमा रहे हैं, उन्हें 20 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है. 5 लाख से ज्यादा की आय पर 5 फीसदी से 20 फीसदी की उछाल उन टैक्सपेयर्स के लिए कठोर होती है जिन्हें टैक्स डिडक्शन के बाद सैलरी मिलती है. अर्थव्यवस्था में महंगाई की वजह से लोगों के पास कम आमदनी बचती है.
2020 के बजट में क्या मिडिल क्लास कोई राहत की उम्मीद कर सकता है ?
सरकार से बजट में टैक्सपेयर्स की परेशानियों को दूर करने के लिए फैसले लेने की उम्मीद है. डायरेक्ट टैक्स कोड (DTC) ने निजी टैक्स स्लैब में बदलाव करने के लिए बड़े बदलावों का सुझाव दिया है. बजट 2020 में टैक्स स्लैब का दायरा बढ़ाया जा सकता है, इसके साथ 2.5 लाख रुपये की बेसिक छूट सीमा को बरकरार रखने की उम्मीद है.
ऐसी उम्मीद है कि टास्क फोर्स के सुझावों के मुताबिक, पहली स्लैब के दायरे को बढ़ाकर इसमें 2.5 लाख से 10 लाख रुपये की आय वाले लोगों को शामिल किया जा सकता है. इस पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जा सकता है. 10 लाख से 20 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों के लिए 20 फीसदी की दर से टैक्स रेट के लिए एक स्लैब का प्रस्ताव किया जा सकता है. इससे मिडिल क्लास के लोगों को राहत मिल सकती है.
आपकी उम्मीदों के मुताबिक, ज्यादा कमाई वाले लोगों पर कितना टैक्स लगेगा ?
वर्तमान में सबसे ऊंचा टैक्स रेट 10 लाख या उससे ज्यादा की आय वाले लोगों पर 30 फीसदी का है. हालांकि, दूसरे देशों में जिस आय पर सबसे ऊंचा टैक्स लगता है, वह यहां की तुलना में ज्यादा है. इसके अलावा इनकम लेवल जीवन-यापन के खर्च के हिसाब से नहीं है. इसलिए बजट में सबसे ऊंचे टैक्स रेट की आमदनी को बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जा सकता है. टास्क फोर्स ने एक चौथी टैक्स स्लैब का सुझाव दिया है जिसमें सुपर रिच जिसमें 2 करोड़ से ज्यादा की आय पर 35 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा.
क्या पर्सनल इनकम टैक्स में बदलाव से आर्थिक विकास में मदद मिलेगी ?
टैक्सपेयर्स के हाथ में ज्यादा आमदनी होने से उनकी खरीदारी की क्षमता में बढ़ोतरी होगी. जिससे ज्यादा खपत और बाजार में मनी का फ्लो बढ़ेगा. इससे अर्थव्यवस्था की विकास दर बढ़ेगी जो अभी स्लोडाउन का सामना कर रही है.
क्या सैलरी लेने वाले लोगों को टैक्स बचाने के लिए ज्यादा प्रोत्साहन मिलना चाहिए? सेक्शन 80C में किन बदलावों की उम्मीद की जा सकती है?
इनकम टैक्स एक्ट बिजनेस और पेशे वाले लोगों को खर्च पर टैक्स कटौती के तौर पर लाभ देता है. हालांकि, सैलरी वाला वर्ग केवल ग्रोस सैलरी पर ही टैक्स का भुगतान करता है. ट्रांस्पोर्ट अलाउंस और मेडिकल अलाउंस के हटाने के बाद उसकी जगह लाया गया 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन समान राहत नहीं देता है.
सभी सैलरी लेवल के लिए एक फिक्स्ड स्टैंडर्ड डिडक्शन सही नहीं है और इनकम लेवल के साथ इसमें भी बढ़ोतरी होनी चाहिए. शिक्षा, स्वास्थ्य, ट्रैवल और दूसरों पर औसत खर्च में काफी इजाफा हुआ है. इसी के साथ इनकम टैक्स एक्ट में सैलरी लेने वाले वर्ग के लिए अलाउंसेज और कंशेशन पर्याप्त नहीं है.
उदाहरण के लिए, चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस बहुत ही ज्यादा कम है. इसकी सीमा को 100 रुपये प्रति महीने से बढ़ाकर कम से कम 1000 रुपये प्रति महीना अधिकतम दो बच्चों को लिए, या वास्तविक खर्च, जो भी कम हो किया जाना चाहिए.
इसके अलावा टैक्स सेविंग ऑप्शन्स जैसे 80 C ऊपरी सीमा के साथ आते हैं. 1.5 लाख की सीमा जो तीनों सेक्शन के लिए मान्य है, पर्याप्त नहीं है. कई राहत को एक सेक्शन के अंदर दिया गया है, जिससे टैक्सपेयर्स इन फायदों का पूरा फायदा नहीं ले पाते हैं. ऊपरी सीमा में बढ़ोतरी से टैक्सपेयर्स को फायदा होगा और इसके साथ ही सरकार टैक्सपेयर्स के फंड को निवेश में लगा पाएगी.
स्टोरी: सुनील धवन