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Budget 2021 For Social Sector: बजट में सभी कर्मियों को न्यूनतम वेतन दिए जाने का प्रस्ताव, पहली बार डिजिटली जनगणना का एलान

Union Budget 2021 For Social Sector: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश किया.

Union Budget 2021 For Social Sector: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश किया.

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Jeevan Deep Vishawakarma
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Union Budget 2021 For Social Sector:  केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट पेश किया. इस बजट में उन्होंने शहरों से लेकर गांवों तक के लिए कई घोषणाएं की. शहरों में सबसे अधिक जोर स्वच्छता पर रहा. प्रदूषण को लेकर भी वित्त मंत्री गंभीर रहीं और वायु प्रदूषण के लिए बजट आवंटित किया. इसके अलावा अगली जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी जिसके लिए बजट में 3726 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

इसके अलावा उबेर, ओला स्विगी और जोमैटो जैसे ई-कॉमर्स बिजनस में काम करने वाले कर्मियों को वेतन नहीं मिलता है और उन्हें प्रोविडेंट फंड, ग्रुप इंश्योरेंस व पेंशन जैसी सोशल सिक्योरिटी स्कीम का फायदा नहीं मिलता है. इन लोगों के लिए वित्त मंत्री ने बजट में घोषणा की है कि ऐसे कर्मियों के लिए न्यूनतम वेतन सुनिश्चित की जाएगी और कर्मचारी राज्य बीमा निगम के तहत लाया जाएगा.

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बजट में हुई ये घोषणाएं

  • पोषकता को बढ़ाने के लिए सप्लीमेंट्री न्यूट्रीशन प्रोग्राम (पोषक कार्यक्रम) और पोषण अभियान को विलय कर मिशन पोषण 2.0 शुरू करने का प्रस्ताव रखा है. इसके तहत 112 जिलों पोषकता को बढ़ावा देने के लिए बेहतरीन रणनीति तैयार की जाएगी.
  • जल जीवन मिशन (शहरी) लांच किया जाएगा. इसके जरिए सभी 4378 शहरी स्थानीय निकायों में 2.86 करोड़ घरेलू नल कनेक्शनों के जरिए पानी की सप्लाई सुनिश्चित की जाएगी. इसके अलावा 50 अमृत शहरों में लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था की जाएगी. इसके लिए 2.87 लाख करोड़ के साथ 5 साल का समय निर्धारित किया गया है.
  • शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत 2021-2026 से 5 वर्ष की अवधि में 1,41,678 करोड़ रुपये के वित्तीय आवंटन से कार्यान्वित किया जाएगा.
  • वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 42 शहरों केंद्रों को 2217 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने का प्रस्ताव रखा गया.
  • अगली जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी. इसके लिए बजट में 3726 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
  • वित्त मंत्री ने समुद्रों में शोध के लिए बजट में Deap Ocean Mission को लांच किए जाने की घोषणा की. इसके तहत गहरे समुद्र में सर्वे और शोध किए जाएंगे. इसके अलावा गहरे समुद्र की जैवविविधता को संरक्षित करने के लिए परियोजनाओं को संचालित किया जाएगा.
  • बजट में नेशनल नर्सिंग एंड मिडवाइफ कमीशन बिल लाने का प्रस्ताव रखा गया.
  • सभी श्रेणियों के कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन का नियम लागू किया जाएगा और उन्हें कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अंतर्गत लाया जाएगा. महिलाओं को सभी श्रेणियों में काम कर सकेंगी और उनको पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाएगी.
  • एससी-एसटी और महिलाओं के लिए चलाई गई स्टैंड अप इंडिया के तहत मार्जिन मनी की जरूरत को 25 फीसदी से कम करे 15 फीसदी किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है. इसमें एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए दिए जाने वाले कर्ज को भी शामिल किया गया है.
  • 15 हजार से अधिक स्कूलों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक सुधार किया जाएगा.
  • गैर सरकारी संगठनों, निजी स्कूलों , राज्यों के साथ भागीदारी में 100 नए स्कूल स्थापित किए जाएंगे.
  • लेह में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी.
  • जनजातीय इलाकों में 750 एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल्स बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा एक स्कूल की लागत को 20 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 38 करोड़ रुपये किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है. पहाड़ी और दुर्गम इलाकों के लिए 48 करोड़ की यूनिट कॉस्ट का प्रस्ताव रखा गया है.
  • 4 करोड़ एससी छात्रों के लिए 2025-26 तक 6 साल की अवधि के लिए 35219 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

पिछले बजट में खास ऐलान नहीं

बजट 2020 में सोशल सेक्टर के लिए खास बड़े ऐलान नहीं हुए थे लेकिन स्वच्छता को प्रोत्साहन और हर घर मे स्वच्छ पानी पहुंचाना सरकार की प्रतिबद्धता में शामिल रहा. बजट में ‘जल जीवन मिशन’ के तहत दस लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों में सभी घरो में पाइप से शुद्ध पेय जल की सुविधा करने की योजना के लिए 2020-21 में 11,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल के करीब समझी जाने वाली योजना ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के लिए आम बजट 2020-21 में 12,300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. बजट 2020 में अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्गों के कल्याण की दिशा में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए लगभग 85000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था और अनुसूचित जनजाति के विकास व कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए 53700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था.

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