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Property Sales : पुरानी प्रॉपर्टी की बिक्री करते समय महंगाई के समायोजन पर विचार नहीं किए जाने से निवेशकों को नुकसान हो सकता है.
Budget Impact : पुरानी प्रॉपर्टी की बिक्री करते समय महंगाई के समायोजन पर विचार नहीं किए जाने से निवेशकों को नुकसान हो सकता है. केंद्र सरकार ने मंगलवार को आम बजट में अचल संपत्तियों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) टैक्स को 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी करने और इंडेक्सेशन से जुड़े बेनेफिट हटाने का प्रस्ताव रखा है. हालांकि विशेषज्ञों ने इस कदम को रियल एस्टेट यानी प्रॉपर्टी में निवेश करने वालों के लिए ‘निगेटिव’ बताया है.
टैक्सपेयर्स को झटका
इस प्रस्ताव पर डेलॉयट इंडिया की साझेदार आरती रावते ने कहा कि ‘इंडेक्सेशन’ के बिना एलटीसीजी का टैक्सपेयर्स पर गहरा असर होगा. उन्होंने कहा कि इस बदलाव के साथ अब टैकसपेयर्स वास्तविक लागत और बिक्री मूल्य के बीच के अंतर पर टैक्स का भुगतान करेंगे, जो उल्लेखनीय होगा. उन्होंने कहा कि अगर महंगाई के एडजस्टमेंट पर विचार नहीं किया गया तो निवेशकों को नुकसान होगा.
रियल एस्टेट के लिए निगेटिव
इक्रा की वाइस प्रेसिडेंट और को-ग्रुप हेड (कॉरपोरेट रेटिंग्स) अनुपमा रेड्डी ने भी कहा कि एलटीसीजी टैक्स की दर में कमी के बावजूद आवासीय रियल एस्टेट सेक्टर पर लॉन्ग टर्म रिटर्न को देखते हुए, प्रॉपर्टी की बिक्री के समय ‘इंडेक्सेशन’ लाभ को हटाने से टैक्स में बढ़ोतरी होने की संभावना है. रेड्डी ने कहा कि इसलिए, यह रियल एस्टेट सेक्टर के लिए निगेटिव है.
पुरानी प्रॉपर्टी पर ज्यादा नुकसान
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के निदेशक (रिसर्च) अनिकेत दानी ने कहा कि इंडेक्सेशन बेनेफिट को हटाना उन लोगों के लिए काफी हद तक निगेटिव है जो अपनी पुरानी प्रॉपर्टी बेचने की योजना बना रहे हैं. वहीं रियल एस्टेट निकाय क्रेडाई के पूर्व अध्यक्ष जैक्सय शाह ने कहा कि अगर यह मान लिया जाए कि चार साल से अधिक की अवधि के लिए पॉपर्टी पर औसत ‘रिटर्न’ 12 फीसदी है और महंगाई 5 फीसदी है, तो प्रस्तावित परिवर्तनों का प्रभाव तटस्थ होगा. दूसरी ओर अगर निवेश पर औसत ‘रिटर्न’ 12 फीसदी से अधिक है और महंगाई दर 5 फीसदी है तो वर्तमान टैक्स रेट की तुलना में प्रस्तावित संशोधन के अनुसार टैक्स बचत होगी.
बजट में ये एलान हैं पॉजिटव
एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक के फाउंडर, एमडी एंड सीईओ, संजय अग्रवाल का कहना है कि एमएसएमई के लिए प्रमुख कदमों में नई क्रेडिट गारंटी, ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म टीआरईडीएस में शामिल होने की गुंजाइश बढ़ाना, मुद्रा लोन को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख करना और स्टार्टअप में सभी वर्ग के निवेशकों के लिए "एंजेल टैक्स" को समाप्त करना शामिल है, जो इस सेक्टर के लिए अच्छा संकेत है. पीएम आवास योजना शहरी 2.0 के लिए 10 लाख करोड़ के आवंटन से 1 करोड़ शहरी गरीबों को सहायता मिलेगी. वहीं पीएलआई योजनाओं से फार्मास्युटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य प्रसंस्करण और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों को कवर करने का फायदा आगे मिलेगा.
संजय अग्रवाल का कहना है कि रोजगार से जुड़े इंसेंटिव, इंटर्नशिप कार्यक्रमों और आईटीआई के अपग्रेडेशन के जरिए रोजगार और स्किल डेवलपमेंट के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का आवंटन न सिर्फ भारत के डेमोग्राफिक्स डिविडेंड का लाभ उठाएगा, बल्कि स्थायी प्राइवेट कंजम्पशन यानी निजी खपत को भी बढ़ावा देगा. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फिस्कल एडजस्टमेंट की क्वालिटी से समझौता किए बिना मुख्य फिस्कल डेफिसिट के लक्ष्य को इंटरिम बजट अनुमान की तुलना में 20 बीपीएस घटाकर जीडीपी का 4.9 फीसदी करना और कैपेक्स के लक्ष्य को जीडीपी के 3.4 फीसदी पर बनाए रखना, इंटरेस्ट रेट और संभावित सॉवरेन अपग्रेड के लिए अच्छा संकेत है.