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राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथग्रहण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. (Image: PTI)
महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बने. राष्ट्रपति भवन में शपथग्रहण समारोह का आयोजन हुआ, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जे.पी. नड्डा, नितिन गडकरी समेत तमाम दिग्गज मौजूद रहे. समारोह में पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, वेकैंया नायडू और हामिद अंसारी भी नजर आए.
67 साल के राधाकृष्णन ने इसी सोमवार 9 सितंबर को संसद भवन में हुए चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों से हराकर उपराष्ट्रपति चुने जाने का गौरव हासिल किया. यह चुनाव तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को अचानक इस्तीफे के बाद कराया गया. उपराष्ट्रपति बनने से पहले राधाकृष्णन महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे. उपराष्ट्रपति चुनाव में चुने जाने के बाद उन्होंने इसी गुरूवार को राज्यपाल का पद छोड़ दिया.
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उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन राष्ट्रपति भवन में हुआ. उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दिलाई. इस मौके पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री के अलावा ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माजी, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ प्रशासक गुलाब चंद कटारिया, झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव मौजूद रहे.
राधाकृष्णन, जिन्हें NDA ने उम्मीदवार बनाया था, मंगलवार को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में चुने गए. उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार और पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी के मुकाबले 452 वोट हासिल किए, जबकि रेड्डी को 300 वोट मिले.
राज्यसभा सचिवालय और रिटर्निंग ऑफिसर पी.सी. मोदी ने बताया कि 781 सांसदों में से 767 ने मतदान किया, यानी मतदान का प्रतिशत 98.2 प्रतिशत रहा. इनमें से 752 वोट वैध और 15 अमान्य पाए गए, जिससे पहली पसंद के बहुमत के लिए आवश्यक वोटों की संख्या 377 रह गई.
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जहां NDA को कागज पर 427 सांसदों का समर्थन मिला था, वहीं YSRCP के 11 सांसदों ने भी राधाकृष्णन को वोट दिया. दिलचस्प बात यह है कि NDA उम्मीदवार को अपेक्षा से 14 वोट अधिक मिले, जिससे विपक्ष के बीच क्रॉस वोटिंग की अटकलें लग रही हैं.
इसके अलावा, 13 सांसदों ने मतदान में भाग नहीं लिया, जिनमें बीजू जनता दल के 7 सांसद, भारत राष्ट्र समिति के 4 सांसद, शिरोमणि अकाली दल के 1 सांसद और 1 स्वतंत्र सांसद शामिल हैं.