/financial-express-hindi/media/post_banners/o0tR7JcnGyCxG9aC88zI.jpg)
कैबिनेट ने आज आवश्यक वस्तु अधिनियम यानी एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में बदलाव पर मुहर लगा दी है.
कैबिनेट ने आज आवश्यक वस्तु अधिनियम यानी एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में बदलाव पर मुहर लगा दी है.Agriculture Sector: आत्मनिर्भर भारत के तहत पिछले दिनों वित्त मंत्री ने 1955 से जारी आवश्यक वस्तु अधिनियम यानी एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में बदलाव करने की बात कही थी. कैबिनेट ने आज इस फैसले पर मुहर लगा दी है. यानी 65 साल से चला आ रहा यह अधिनियम अब बदला जाएगा. इसके तहत अब पूरे देश में किसानों के लिए वन नेशन वन मार्केट होगा. यानी वे अपनी पैदावार कहीं भी बेच सकेंगे. कैबिनेट की मुहर के बाद अब आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव के लिए सरकार अध्यादेश लाएगी.
केंद्रीय कानून तैयार होगा
किसानों की उपज को अच्छा मूल्य उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त विकल्प प्रदान करने को एक केंद्रीय कानून तैयार किया जाएगा. इसके संकेत पिछले दिनों ही सरकार द्वारा दिए गए थे. इससे बाधा रहित अंतरराज्यीय व्यापार और कृषि उपज के ई-ट्रेडिंग की रूपरेखा तैयार की जा सकेगी. ऐसा हो जाने के बाद किसान अपनी उपज को कहीं भी बेच सकेंगे. बता दें कि आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. हालांकि किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने की जरूरत के लिहाज से इसमें बदलाव किया जाएगा. इससे कृषि सेक्टर को ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी.
आपसी समझौते के तहत बेचने की सुविधा
अगर कोई निर्यातक है, कोई प्रोसेसर है, कोई दूसरे पदार्थों का उत्पादक है तो उसको कृषि उपज आपसी समझौते के तहत बेचने की सुविधा दी गई है. इससे सप्लाइ चेन खड़ी होगी. भारत में पहली बार ऐसा कदम उठाया गया है.
खास परिस्थिति को छोड़कर स्टॉक लिमिट नहीं
अब तिलहन, एडिबल आयल, आयल सीड्स, दलहन, अनाज, आलू और प्याज को अब अनियमित यानी डिरेगुलेट किया जाएगा. बहुत जरूरी होने पर ही इन पर स्टॉक लिमिट लगाई जाएगी. ऐसी स्थितियों में राष्ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियां शामिल हैं. प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. यह उनकी क्षमता के अधीन होगा.
निर्यात करने वालों को भी दिक्कत न हो. इसका राष्ट्रीय आपदा और सूखा के हालात में सरकार कदम उठा सकती है. वित्त मंत्री ने एग्रीकल्चर मार्केटिंग रिफॉर्म्स में सुधार का एलान किया है. पहले किसानों को सिर्फ APMC को बेचना पड़ता था लेकिन अब यह मजबूरी खत्म हो गई. इससे किसानों को अच्छी कीमत मिल सकती है.
एक्ट के तहत अबतक क्या होता था
इस एक्ट के तहत जो भी चीजें आती हैं केंद्र सरकार उनकी बिक्री, दाम, सप्लाई और डिस्ट्रीब्यूशन को कंट्रोल करती है. उसका अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) तय कर देती है. कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं, जो जीवन के लिए जरूरी हैं. ऐसी चीजों को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट में शामिल किया जाता है. केंद्र सरकार को जब भी यह पता चल जाए कि एक तय वस्तु की आवक मार्केट में मांग के मुताबिक काफी कम है और इसकी कीमत लगातार बढ़ रही है तो वो एक निश्चित समय के लिए एक्ट को उस पर लागू कर देती है.
उसकी स्टॉक सीमा तय कर देती है. जो भी विक्रेता इस वस्तु को बेचता है, चाहे वह थोक व्यापारी हो, खुदरा विक्रेता या फिर आयातक हो, सभी को एक निश्चित मात्रा से ज्यादा स्टॉक करने से रोका जाता है ताकि कालाबाजारी न हो और दाम ऊपर ना चढ़ें.
/financial-express-hindi/media/agency_attachments/PJD59wtzyQ2B4fdzFqpn.png)
Follow Us