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डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला होगा गैर जमानती अपराध, जेल और जुर्माने का भी प्रावधान

मोदी सरकार ने डॉक्टर और अन्य मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा की दिशा में बड़ा फैसला किया है.

मोदी सरकार ने डॉक्टर और अन्य मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा की दिशा में बड़ा फैसला किया है.

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Cabinet Decisions, Modi cabinet, Union cabinet meeting, Prakash javdekar

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मोदी सरकार ने कोरोना वायरस से लोगों को बचाने में जुटे डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा की दिशा में बड़ा फैसला किया है. सरकार ने अध्यादेश पारित किया है कि मेडिकल वर्कर्स के साथ अनैतिक व्यवहार, हिंसा या शोषण के मामले में अपराधी को 7 साल तक की जेल और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है.

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कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि केंद्र सरकार महामारी बीमारी कानून 1897 के तहत इसमें बदलाव करके अध्यादेश लाई है. इसके तहत प्रावधान किया गया है कि स्वास्थ्यकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार के मामले में केस की जांच 30 दिन के अंदर पूरी होगी और केस का फैसला 1 साल में निर्धारित होगा. अपराधी साबित होने वाले व्यक्ति को 3 माह से 7 साल तक की जेल और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा नहीं की जाएगी बर्दाश्त

सरकार ने यह साफ किया है कि स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लाए गए इस अध्यादेश पर राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद यह कानून की शक्ल ले लेगा. इस कानून में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला आपराधिक और गैर जमानती मामला होगा.

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50 हजार से शुरू होगा जुर्माना

जावड़ेकर ने बताया कि सरकार ने डॉक्टर, नर्स व अन्य मेडिकल स्टाफ के साथ बुरे बर्ताव को को गैरजमानती बना दिया है. डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने पर 3 महीने से 5 साल तक सजा हो सकती है. साथ ही 50 हजार से 2 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. यदि गंभीर हमला है तो 6 महीने से 7 साल तक सजा का प्रावधान है. ऐसे मामलों में जुर्माना 1 लाख से 5 लाख रुपये तक है. इसके अलावा, यदि डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी की गाड़ी या क्लिनिक का नुकसान हुआ है, तो नुकसान की बाजार वैल्यू का दोगुना वसूला जाएगा.