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चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर 2019) के दौरान चालू खाते का घाटा (CAD) कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.9 फीसदी रह गया. एक साल पहले इसी अवधि में यह जीडीपी के मुकाबले 2.9 फीसदी पर था. रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. इसमें कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के आखिर में चालू खाते का घाटा कम होकर 0.9 फीसदी यानी 6.3 अरब डॉलर रह गया.
एक साल पहले इसी अवधि में यह 2.9 फीसदी या 19 अरब डॉलर रहा था. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून 2019) में यह घाटा जीडीपी के दो फीसदी यानी 14.2 अरब डॉलर पर रहा था. कैड फॉरेन एक्सचेंज इनफ्लो और आउटफ्लो का अंतर होता है.
कम व्यापार घाटा है वजह
रिजर्व बैंक ने बयान में कहा है कि कैड में आई यह कमी प्राथमिक तौर पर 38.1 अरब डॉलर के निम्न व्यापार घाटे की वजह से है. व्यापार घाटा आयात और निर्यात के बीच का अंतर होता है. एक साल पहले व्यापार घाटा 50 अरब डॉलर की ऊंचाई पर था. दूसरी तिमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 7.4 अरब डॉलर रहा. यह 2018-19 की समान अवधि वाले स्तर के ही आसपास है.
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अप्रैल-सितंबर का आंकड़ा
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही की यदि बात की जाए तो चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 1.5 फीसदी यानी 84.3 अरब डॉलर रह गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में यह 2.6 फीसदी यानी 95.8 अरब डॉलर रहा था.