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24 मार्च से 11 मई के दरम्यान केयर रेटिंग्स ने देश के विकास दर अनुमान में 2 फीसदी की कटौती कर दी है.
FY22 Growth Forecast: नोमुरा और मूडीज़ के साथ ही साथ अब भारतीय रेटिंग एजेंसी केयर ने भी देश की जीडीपी विकास दर में एक बार फिर से कटौती कर दी है. मंगलवार को जारी अनुमान में केयर रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश की जीडीपी में 9.2 फीसदी की दर से बढ़ोतरी होने की उम्मीद जाहिर की है. 24 मार्च से अब तक यानी करीब डेढ़ महीने में केयर रेटिंग्स ने भारत की जीडीपी विकास दर के अनुमान में चौथी बार कटौती की है.
इससे पहले 21 अप्रैल को केयर रेटिंग्स ने भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 10.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. उससे कुछ ही दिनों पहले 5 अप्रैल को केयर ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी विकास दर 10.7 रहेगी. जबकि 24 मार्च को जारी अनुमान में कंपनी ने ग्रोथ रेट 11.2 फीसदी रहने की उम्मीद जताई थी. इस तरह देखें तो 24 मार्च से 11 मई के दरम्यान केयर रेटिंग्स देश के विकास दर अनुमान को दो फीसदी घटा चुकी है. मंगलवार को ही जापानी ब्रोकरेज नोमुरा ने भी भारत की जीडीपी विकास दर के अनुमान में लगभग इतनी ही कटौती की है.
अभी और कम हो सकती है विकास दर
केयर रेटिंग्स के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान ग्रोथ रेट 9.2 फीसदी रहने के इस अनुमान के अभी और नीचे जाने का जोखिम भी बना हुआ है. कंपनी ने ग्रोथ रेट में इस गिरावट के लिए कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण लॉकडाउन जैसे हालात और उनके कारण आर्थिक गतिविधियों में आई गिरावट को जिम्मेदार बताया है. इसके साथ ही कंपनी ने कहा है कि मौजूदा हालात में कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर मंडराता खतरा इस आर्थिक संकट को और गहरा बना रहा है.
कर्मचारियों की खराब सेहत बड़ा जोखिम
केयर रेटिंग्स की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश में कोरोना के 37 लाख एक्टिव मामलों का एक मतलब यह भी है कि करीब 1 करोड़ परिवार इसकी चपेट में हैं. कुल मिलाकर करीब 1.9 करोड़ लोग अब तक ठीक हो चुके हैं, जिसका अर्थ है कम से कम 6-7 करोड़ परिवार अब तक इस महामारी से प्रभावित हुए हैं. केयर रेटिंग्स के मुताबिक ऐसा माना जा सकता है कि इन सभी प्रभावित परिवारों को कोरोना के इलाज पर काफी पैसे खर्च करने पड़े होंगे. जिसका असर उनकी क्रय क्षमता पर पड़ा होगा.
पिछले साल जैसी नहीं होगी डिमांड में रिकवरी
केयर रेटिंग्स का मानना है कि इन हालात में इस बार हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि महामारी के काबू में आने के बाद पिछले साल की तरह इस बार भी 'पेंट अप डिमाांड' यानी दबी हुई मांग अचानक से बाजार में तेजी ला देगी. इस बार महामारी से प्रभावित लोगों की तादाद पिछले साल के मुकाबले इतनी ज्यादा है कि आर्थिक रिकवरी की प्रक्रिया में काफी वक्त लग सकता है.
सरकारी घाटा बढ़ने की भी आशंका
एजेंसी के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश की कृषि विकास दर 3.3 से 3.5 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद है. इस दौरान औद्योगिक विकास दर 9.5 से 10 फीसदी के बीच और सर्विस सेक्टर की ग्रोथ 9 से 9.5 फीसदी के दरम्यान रहने के आसार हैं.
केयर रेटिंग्स के मुताबिक आर्थिक हालात में गिरावट का असर सरकार के बजट पर भी पड़ेगा. कंपनी का अनुमान है कि ग्रोथ रेट में कमी के कारण केंद्र सरकार का टैक्स कलेक्शन भी 15.45 लाख करोड़ की बजाय 15.11 लाख करोड़ रुपये ही रह जाएगा. आमदनी में कमी और कोरोना के कारण बढ़े खर्चों की वजह से वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सरकार का फिस्कल डेफिसिट यानी राजकोषीय घाटा जीडीपी के 7.15 फीसदी तक पहुंचने की आशंका है.