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CBI Raid Rabri Residence: बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव
CBI Raid Rabri Residence: सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी सीबीआई (CBI) की एक टीम ने नौकरी के बदले जमीन के कथित घोटाला मामले की जांच के सिलसिले में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से उनके आवास पर सोमवार को पूछताछ की. वहीं बीजेपी की बिहार इकाई के नेताओं ने कहा कि सीबीआई राष्ट्रीय जनता दल यानी राजद (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के खिलाफ दर्ज मामलों में एक ‘स्वतंत्र एजेंसी’ के रूप में ‘अपना काम’ कर रही है और लालू ने ‘जो बोया था, वही काट रहे हैं'. अधिकारियों ने बताया कि आवास पर कोई तलाशी नहीं हुई या कोई छापा नहीं मारा जा रहा. उन्होंने बताया कि सीबीआई ने इस मामले में पहले ही आरोपपत्र दाखिल कर दिया है और स्पेशल कोर्ट ने पूर्व रेलवे मंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्य और अन्य लोगों को 15 मार्च को अदालत में पेश होने के लिए सम्मन भेजा है.
अधिकारियों ने कहा कि जांच एजेंसी कथित घोटाला मामले में जांच कर रही है. सीबीआई का दल मामले में आगे की जांच के सिलसिले में ही पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से पूछताछ कर रहा है. उन्होंने बताया कि सीबीआई की टीम मामले में लालू प्रसाद के परिवार से कुछ और दस्तावेज भी मांग सकता है. यह मामला लालू प्रसाद के परिवार को तोहफे में जमीन दे कर या जमीन बेचने के बदले में रेलवे में कथित तौर पर नौकरी दिए जाने से संबंधित है.
राबड़ी के आवास पर पहुंची CBI, नहीं हुई कोई तलाशी या छापेमारी
सीबीआई अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि टीम रेलवे में नौकरी के बदले जमीन मामले में ‘आगे की जांच’ के सिलसिले में राबड़ी के आवास पर पहुंची है और वहां कोई तलाशी या छापेमारी नहीं हो रही है. यह मामला लालू के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की पहली सरकार (संप्रग-1) में रेल मंत्री रहने के दौरान का है. इस मामले में सीबीआई की टीम राजभवन से चंद कदम की दूरी पर 10, सर्कुलर रोड स्थित पूर्व मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पहुंची है. सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि जांच एजेंसी कथित घोटाले में आगे की जांच जारी रखी है. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई टीम का यह दौरा मामले में आगे की जांच के सिलसिले में है.
2004-2009 के बीच का है ये मामला
यह मामला तब का है जब प्रसाद 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री थे. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि कुछ लोगों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित रेलवे के विभिन्न जोन में 2004 से 2009 के दौरान ग्रुप-डी पदों पर नियुक्त किया गया और इसके बदले में उन लोगों ने या उनके परिवार के सदस्यों ने प्रसाद और एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के नाम पर अपनी जमीन स्थानांतरित की. बाद में इस कंपनी का स्वामित्व प्रसाद के परिवार के सदस्यों ने अपने हाथ में ले लिया था. यह भी आरोप लगाया गया है कि पटना में लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों ने पांच बिक्री सौदों, दो उपहार सौदों के माध्यम से 1,05,292 वर्ग फुट जमीन लोगों से ली. इसके लिए विक्रेताओं को नगद भुगतान करने को कहा गया. इस जमीन की कीमत मौजूदा सर्किल रेट के अनुसार 4.32 करोड़ रुपये है लेकिन लालू प्रसाद के परिवार को यह जमीन इससे बहुत कम दाम में बेची गई. साथ ही आरोप है कि नियुक्तियों के लिए रेलवे प्राधिकरण की ओर से जारी दिशानिर्देशों और आवश्यक प्रक्रियाओं को दरकिनार कर कथित लाभार्थियों की सेवाएं नियमित की गईं.
लालू ने जो बोया था, वही काट रहे हैं : बीजेपी
भाजपा नेताओं ने रेलवे में नौकरी के बदले जमीन मामले में ‘आगे की जांच’ के सिलसिले में सीबीआई की एक टीम के लालू की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के पटना स्थित आवास पर पहुंचने पर सोमवार को कहा कि सीबीआई राष्ट्रीय जनता दल यानी राजद (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के खिलाफ दर्ज मामलों में एक ‘स्वतंत्र एजेंसी’ के रूप में ‘अपना काम’ कर रही है और लालू ने ‘जो बोया था, वही काट रहे हैं'. भाजपा के एक अन्य नेता और पूर्व मंत्री जिबेश कुमार मिश्रा ने कहा कि लालू प्रसाद को पहली बार 2013 में चारा घोटाले के मामले में दोषी ठहराया गया था. उस समय केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार थी, जिसमें उनकी पार्टी भी शामिल थी. सीबीआई को एक स्वतंत्र एजेंसी बताते हुए जिबेश मिश्रा ने कहा कि जांच एजेंसी अपना काम कर रही है. राजनीतिक प्रतिशोध के आरोप निराधार हैं. लालू प्रसाद और उनका परिवार वही काट रहा है, जो उन्होंने बोया है. जैसी करनी वैसी भरनी.
भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मंत्री नितिन नबीन ने कहा कि लालू प्रसाद का सीबीआई से लंबे समय से पाला पड़ता आया है. चारा घोटाला से जुड़े मामले, जिनमें उन्हें दोषी ठहराया गया है, भाजपा के सत्ता में आने से बहुत पहले दर्ज किए गए थे. उन्होंने कहा, “चारा घोटाला से जुड़े मामले तब दर्ज किए गए थे, जब केंद्र में राष्ट्रीय मोर्चे का शासन था, जिसका लालू खुद एक हिस्सा थे. शिकायतकर्ताओं में शिवानंद तिवारी और राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन शामिल थे. तिवारी जहां अब लालू की पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, वहीं राजीव रंजन राजद की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रमुख हैं.