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डेयरी कंपनी क्वालिटी लिमिटेड पर 1400 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप, CBI ने मामला दर्ज कर शुरू की जांच

CBI ने सोमवार को दिल्ली में आधारित डेयरी प्रोडक्ट्स कंपनी क्वालिटी लिमिटेड और उसके निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया.

CBI ने सोमवार को दिल्ली में आधारित डेयरी प्रोडक्ट्स कंपनी क्वालिटी लिमिटेड और उसके निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया.

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PTI
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CBI files case against case against dairy company kwality limited in 1400 crore fraud case and investigation underway

CBI ने सोमवार को दिल्ली में आधारित डेयरी प्रोडक्ट्स कंपनी क्वालिटी लिमिटेड और उसके निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया.

CBI ने सोमवार को दिल्ली में आधारित डेयरी प्रोडक्ट्स कंपनी क्वालिटी लिमिटेड और उसके निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया और उसके बाद उसकी आठ जगहों पर छापेमारी भी की है. अधिकारियों ने कहा कि यह कार्रवाई बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई वाले एक कंसोर्टियम की धोखाधड़ी के आरोप में की गई है, जिससे 1400 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि सीबीआई ने क्वालिटी लिमिटेड और उसके निदेशकों संजय ढिंगरा, सिद्धांत गुप्ता, अरुण श्रीवास्तव के अलावा दूसरे अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई वाले कंसोर्टियम के साथ फ्रॉड

सीबीआई के प्रवक्ता आर. के. गौड़ ने बताया कि शिकायत में आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई वाले कंसोर्टियम को करीब 1400.62 करोड़ रुपये का चूना लगाया. इस कंसोर्टियम में कैनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, धन लक्ष्मी बैंक और सिंडिकेट बैंक भी शामिल हैं.

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गौड़ ने बताया कि बैंकों से राशि लेकर डायवर्जन किया, संबंधित पक्षों से फर्जी लेन-देन दिखाकर, फर्जी दस्तावेज/रसीद और गलत बहीखाते के जरिए कथित धोखाधड़ी की गई और फर्जी संपत्ति, देनदारी आदि दिखाई गई. कर्ज देने वाले 10 बैंकों की अगुवाई कर रहे बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि कंपनी ने ऋण के लिए फर्जी वित्तीय दस्तावेज और कारोबार को बढ़ा-चढाकर कर दिखाया. बैंक ने कर्ज चुकता करने में असफल होने की स्थिति में कंपनी का फॉरेसिक ऑडिट कराया.

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बैंक ऑफ इंडिया में आरोप में क्या कहा ?

बैंक ऑफ इंडिया में आरोप लगाया है कि कंपनी की ओर से कुल 13,147.25 करोड़ रुपये की बिक्री की गई थी लेकिन कर्जदाता बैंकों के कंसोर्टियम के खातों से केवल 7,017.23 करोड़ रुपये से ही दिखाया गया. बैंक ने कहा कि कारोबार, बिक्री और खरीद की बड़ी राशि बिना वास्तविक रसीद को उसी फैक्टरी के परिसर से की गई और हाथोंहाथ लेनदेन की गई. बैंक ने कहा कि कंपनी के आपूर्तिकर्ताओं से ग्राहकों की आपूर्ति सीधे तौर प्रभावित हुई है. क्योंकि इन वस्तुओं को टैक्स से छूट मिली थी इसलिए ये वैट या जीएसटी के दायरे में भी नहीं आती.

शिकायत के मुताबिक ये आपूर्तिकर्ता और ग्राहक असंगठित प्रवृत्ति के हैं और इतने बड़े पैमाने पर कारोबार करने में वित्तीय रूप से कमजोर प्रतीत होते हैं. बैंक ने आरोप लगाया कि खरीद और बिक्री की बड़ी राशि का निपटारा कंपनी द्वारा वास्तविक भुगतान के जरिए किया गया. मामले में दर्ज शिकायत के मुताबिक मिली हुई राशि और बची हुई राशि में भारी अंतर है. कंपनी द्वारा 1,807.57 करोड़ रुपये पार्टी से मिलने की बात की गई जबकि 972.82 करोड़ रुपये की ही पुष्टि हुई. इससे संकेत मिलता है कि 834.75 करोड़ रुपये बढ़ा कर बताया गया था.

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