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Rajiv Gandhi assassination: केंद्र सरकार ने दोषियों की रिहाई के मामले में किया सुप्रीम कोर्ट का रुख, दायर की पुनर्विचार याचिका

केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि इस मामले में एक पक्षकार होने के बावजूद उसे सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिए बिना आदेश पारित किया गया है.

केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि इस मामले में एक पक्षकार होने के बावजूद उसे सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिए बिना आदेश पारित किया गया है.

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FE Hindi Desk
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Rajiv Gandhi assassination

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को समय से पहले रिहा करने के मामले में कांग्रेस की आलोचना का सामना कर रही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

Rajiv Gandhi: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को समय से पहले रिहा करने के मामले में कांग्रेस की आलोचना का सामना कर रही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. केंद्र सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. केंद्र सरकार का कहना है कि इस मामले में एक पक्षकार होने के बावजूद उसे सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिए बिना आदेश पारित किया गया है. सरकार ने इसे प्रक्रियात्मक चूक बताया और कहा है कि रिहाई की मांग करने वाले दोषियों ने औपचारिक रूप से केंद्र को एक पक्ष के रूप में शामिल नहीं किया, नतीजनत सुनवाई में भारत सरकार की भागीदारी नहीं रही.

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पिछले हफ्ते सभी दोषियों को किया गया था रिहा

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते राजीव गांधी हत्या मामले में नलिनी श्रीहरन और आर पी रविचंद्रन सहित शेष छह दोषियों की समय पूर्व रिहाई का निर्देश दिया था. कोर्ट का कहना था कि दोषी 30 साल से ज्यादा समय तक जेल में रहे हैं और सजा के दौरान उनका बर्ताव ठीक था. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरम्बुदूर में एक महिला आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी, जिसकी पहचान धनु के रूप में की गई.

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सिलसिलेवार तरीके से समझिए मामला

  • 21 मई 1991: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरम्बुदूर में एक महिला आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी, जिसकी पहचान धनु के रूप में की गई.
  • 24 मई 1991: मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष जांच दल(एसआईटी) को सौंपी गई.
  • 11 जून 1991: सीबीआई ने ए जी पेरारिवलन (19) को गिरफ्तार किया, उसके खिलाफ आतंकवाद एवं विध्वंसकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) के तहत मामला दर्ज किया.
  • 28 जनवरी 1998: टाडा अदालत ने पेरारिवलन सहित 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई.
  • 11 मई 1999: उच्चतम न्यायालय ने पेरारिवलन की दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा.
  • आठ अक्टूबर 1999: उच्चतम न्यायालय ने पेरारिवलन की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी.
  • अप्रैल 2020: तमिलनाडु के राज्यपाल ने राज्य सरकार की सिफारिश और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष एवं राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी की अपील पर मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया.
  • 12 अगस्त 2011:पेरारिवलन ने संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद, पेरारिवलन ने मद्रास उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की.
  • एक मई 2012: उच्च न्यायालय ने मामला उच्चतम न्यायालय को स्थानांतरित कर दिया.
  • 18 फरवरी 2014: उच्चतम न्यायालय ने पेरारिवलन के साथ-साथ दो अन्य कैदियों--संथन और मुरूगन--की मौत की सजा को इस आधार पर उम्रकैद में तब्दील कर दिया कि केंद्र ने उनकी दया याचिका पर विचार करने में 11 वर्षों की देरी की.
  • 30 दिसंबर 2015: पेरारिवलन ने अपनी सजा घटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत याचिका दायर की.
  • नौ सितंबर 2018: तमिलनाडु मंत्रिमंडल ने पेरारिवलन की रिहाई की सिफारिश करते हुए प्रस्ताव पारित किया, जिसे राज्यपाल को भेजा गया.
  • 25 जनवरी 2021: उच्चतम न्यायालय ने पेरारिवलन के 31 साल से अधिक समय जेल में बिताने पर गौर करते हुए उसे जमानत पर रिहा कर दिया.
  • 18 मई 2022: उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया.
  • 12 अगस्त 2022: नलिनी श्रीहरन और रविचंद्रन ने उच्चतम न्यायालय का रुख कर समय से पहले रिहाई का अनुरोध किया.
  • 26 सितंबर 2022: उच्चतम न्यायालय नलिनी और रविचंद्रन की समय पूर्व रिहाई की अर्जी पर केंद्र, तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया.
  • 11 नवंबर 2022: उच्चतम न्यायालय ने मामले में नलिनी श्रीहरन और रविचंद्रन सहित शेष छह दोषियों की समय पूर्व रिहाई का निर्देश देते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार ने उनकी कैद की अवधि घटाने की सिफारिश की है.
Supreme Court Rajiv Gandhi