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Chandrayaan 3 Mission: चांद पर इतिहास रचने उतरेगा ISRO का चंद्रयान-3, बुधवार को इतने बजे से देख सकेंगे सीधा प्रसारण

Chandrayaan 3 Mission: चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर उतरने का सीधा प्रसारण बेंगलुरू से बुधवार 23 अगस्त की शाम 5 बजकर 20 मिनट से शुरू किया जाएगा.

Chandrayaan 3 Mission: चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर उतरने का सीधा प्रसारण बेंगलुरू से बुधवार 23 अगस्त की शाम 5 बजकर 20 मिनट से शुरू किया जाएगा.

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FE Hindi Desk
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Chandrayaan 3 Mission

Chandrayaan-3 soft landing: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बुधवार को दक्षिण अफ्रीका से चंद्रयान-3 लैंडिंग कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए.

Chandrayaan 3 Mission: चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर उतरने का सीधा प्रसारण बेंगलुरू स्थित एमओएक्स/आईएसटीआरएसी (MOX/ISTRAC) से बुधवार 23 अगस्त की शाम 5 बजकर 20 मिनट से शुरू किया जाएगा. इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए मंगलवार को यह जानकारी दी. कल यानी बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद के सॉउथ पोल पर चंद्रयान-3 के लैंडिंग की उम्मीद है.

इसरो ने चंद्रयान-3 के लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने के तय समय से एक दिन पहले बताया कि चंद्रयान-3 मिशन तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ रहा है. ‘इसरो के बेंगलुरु स्थित ‘मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स’ में उत्साह का माहौल है. इसरो ने बताया कि प्रणालियों की नियमित जांच की जा रही है.

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UGC ने की देशभर के यूनिवर्सिटी-कालेजों से ये अपील

यूजीसी ने देश के यूनिवर्सिटी एवं कालेजों से कहा है कि वे 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर लैंडिंग की लाइव स्ट्रीमिंग देखने के लिए छात्रों एवं शिक्षकों को प्रोत्साहित करें. यूजीसी के सचिव मनीष जोशी ने इस संबंध में 21 अगस्त को सभी विश्वविद्यालयों एवं कालेजों से आग्रह किया है. इसमें कहा गया है कि छात्रों और शिक्षक संकाय के लिए एक विशेष सभा का आयोजन किया जाए जिससे वे भी इस गौरवशाली क्षण का हिस्सा बन सकें. चंद्रयान-3 बुधवार शाम चांद की सतह पर लैंड करेगा. इस ऐतिहासिक पल के गवाह छात्र भी बन सकें इसके लिए यूजीसी ने एक कदम उठाया है. 

23 अगस्त को दिक्कत हुई तो टल जाएगी लैंडिंग की तारीख

चंद्रयान-3 स्पेस क्राफ्ट के चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की तैयारियों के बीच लैंडर मॉड्यूल के तकनीकी मानक ‘‘असामान्य’’ पाये जाने की स्थिति में इसकी ‘लैंडिंग’ 27 अगस्त तक के लिए टाली जा सकती है. यह जानकारी सोमवार को अहमदाबाद स्थित इसरो स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के डायरेक्टर नीलेश देसाई ने दी. उनके मुताबिक, वैज्ञानिकों का ध्यान चंद्रमा की सतह के ऊपर अंतरिक्ष यान की गति को कम करने पर होगा.

डायरेक्टर नीलेश देसाई ने अहमदाबाद में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘लैंडर 23 अगस्त को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा और उस समय इसकी गति 1.68 किलोमीटर प्रति सेकंड होगी. हमारा ध्यान उस गति को कम करने पर होगा क्योंकि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल भी इसमें भूमिका होगी. उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम उस गति को नियंत्रित नहीं करते हैं, तो ‘क्रैश लैंडिंग’ की आशंका होगी. फिलहाल इसरो ने चंद्रयान-3 के लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने के तय समय से एक दिन पहले मंगलवार को कहा कि चंद्रयान-3 मिशन निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ रहा है.

इसरो ने कहा, ‘‘मिशन तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ रहा है. प्रणालियों की नियमित जांच की जा रही है. सुचारू संचालन जारी है.’’ चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल की चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ भारत को अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन जैसे देशों की कतार में शामिल कर देगी, जिन्होंने चांद की सतह तक पहुंचने की उपलब्धि हासिल की है. हालांकि इस मिशन में कामयाब होने के बाद भारत पहला देश होगा जो चांद के साउथ पोल पर परचम लहराएगा.

चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर ने भेजी तस्वीरें

इसके अलावा, 70 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रयान-3 मिशन के ‘लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरे’ (एनपीडीसी) से ली गई चंद्रमा की तस्वीरें इसरो ने मंगलवार को जारी कीं. स्पेस एजेंसी ने बताया कि लैंडर कैमरे से ली गई तस्वीरें स्पेस क्रॉफ्ट पर मौजूद चंद्रमा के संदर्भ मानचित्र के साथ मिलान करके इसकी स्थिति निर्धारित करने में चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल की सहायता करती हैं. इससे पहले इसरो ने ‘लैंडर हजार्ड डिटेक्शन एंड एवाइडेंस कैमरा’ (एलएचडीएसी) से ली गई चंद्रमा के सुदूर पार्श्व भाग की तस्वीरें सोमवार को जारी की थीं. अहमदाबाद स्थित ‘स्पेस एप्लिकेशन सेंटर’ द्वारा तैयार किया गया यह कैमरा नीचे उतरते वक्त चांद पर ऐसे सुरक्षित ‘लैंडिंग’ एरिया का पता लगाने में सहायता करता है, जहां चट्टानें या गहरी खाइयां न हों. अहमदाबाद स्थित ‘स्पेस एप्लिकेशन सेंटर इसरो का प्रमुख अनुसंधान एवं विकास केंद्र है. 

बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन को इस साल 14 जुलाई को पूर्वाह्न 2.35 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था. इस मिशन को चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर सफलता से उतरने और विचरण करने की क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए भेजा गया है. इसरो के महत्वाकांक्षी तीसरे मून मिशन के तहत चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल के बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह पर उतरते ही भारत पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक सैटेलाइट के अज्ञात सॉउथ पोल पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बनकर इतिहास रच देगा. अगर चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा पर उतरने और 4 साल के भीतर इसरो की दूसरी कोशिश में एक रोबोटिक चांद रोवर को उतारने में सफल रहता है तो भारत अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.

पहले 2 मून मिशन में ISRO को मिली उदासी

चांद की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं लेकिन इनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चांद के सॉउथ पोल पर नहीं हुई है. चंद्रयान-3 का मकसद चांद की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट-लैंडिंग को दिखाना, उस पर विचरण करना और यथास्थान साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट करना है. करीब चार पहले, इसरो का चंद्रयान-2 मिशन सात सितंबर, 2019 को चंद्रमा पर उतरने की प्रक्रिया के दौरान उस समय असफल हो गया था, जब उसका लैंडर ‘विक्रम’ ब्रेक संबंधी प्रणाली में गड़बड़ी होने के कारण चंद्रमा की सतह से टकरा गया था. भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 को 2008 में प्रक्षेपित किया गया था. 

600 करोड़ से अधिक है चंद्रयान 3 मिशन का बजट

भारत ने इस साल 14 जुलाई को ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3’ (एलवीएम3) रॉकेट के जरिए लगभग 615 करोड़ रुपए की लागत वाले अपने तीसरे चंद्र मिशन-‘चंद्रयान-3’ का प्रक्षेपण किया था. इस अभियान के तहत चंद्रयान-3 स्पेस क्रॉफ्ट 41 दिन की अपनी यात्रा में चांद के साउथ पोल पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का एक बार फिर प्रयास करेगा. जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. इससे पहले इसरो ने 20 अगस्त को फाइनल डीबूस्टिंग की कवायद के बाद चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल को चांद की कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया. 

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