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Chandrayaan-3 : चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर बुधवार की शाम 6.04 बजे चांद की सतह पर उतर गया. (Photo shared by ISRO on X)
India walks on the moon as Pragyan rover rolls into the lunar surface : चांद पर ऐतिहासिक लैंडिंग करने वाले चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर से अब प्रज्ञान रोवर भी कामयाबी के साथ बाहर आ गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इसका एलान करते हुए एक्स (ट्विटर) पर लिखा, "भारत ने शुरू की चांद पर चहलकदमी". रोवर ने चंद्रमा की सतह के कुछ क्लोज़अप शॉट्स भी भेजे हैं, जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक्स (ट्विटर) पर शेयर किया है.
धरती पर डेटा भेज रहा है 'प्रज्ञान'
बुधवार की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग करने वाले विक्रम लैंडर और उससे बाहर निकल कर सतह पर चहलकदमी कर रहे प्रज्ञान रोवर, दोनों पूरी तरह ठीक हैं और धरती पर डेटा भेजना शुरू कर चुके हैं. इसरो अपने आधिकारिक एक्स (ट्विटर) हैंडल पर लिखा, "रोवर रैंप के जरिए नीचे आ चुका है."
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 24, 2023
Chandrayaan-3 ROVER:
Made in India 🇮🇳
Made for the MOON🌖!
The Ch-3 Rover ramped down from the Lander and
India took a walk on the moon !
More updates soon.#Chandrayaan_3#Ch3
रैंप के जरिए बाहर आया 26 किलो का रोवर
26 किलोग्राम का 6 पहियों वाला रोवर प्रज्ञान विक्रम लैंडर के भीतर से निकलकर चंद्रमा की सतह पर आया. इसके लिए लैंडर के एक साइड पैनल को रैंप के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का कुल वजन 1,752 किलोग्राम है. इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ बता चुके हैं कि इन्हें चांद पर मौजूद तमाम चीजों और वहां के वातावरण का करीब 14 दिनों तक अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है. चांद के एक दिन और एक रात की अवधि लगभग इतनी ही होती है. हालांकि इसरो के अधिकारियों के मुताबिक संभावना यह भी है कि यह लगभग और 14 दिनों तक काम करता रहे. रोवर चांद पर अपनी सक्रियता के दौरान वहां की सतह का रासायनिक रासायनिक विश्लेषण भी करेगा.
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चांद पर रहकर क्या करेगा रोवर
लैंडर और रोवर दोनों के पास चांद की सतह पर प्रयोग करने के लिए वैज्ञानिक पेलोड मौजूद हैं. रोवर अपने पेलोड - अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) - के माध्यम से चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा, ताकि उसके केमिकल स्ट्रक्चर की जानकारी हासिल की जा सके. इससे चांद पर मौजूद खनिजों के बारे में भी और उपयोगी जानकारी मिलेगी. प्रज्ञान रोवर के पास अपने आसपास मौजूद मिट्टी और चट्टानों की संरचना का विश्लेषण करने के लिए एक और पेलोड - लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) भी है.
बुधवार को भारत ने चांद पर लहराया झंडा
भारत के चंद्रायन-3 मिशन के तहत भेजे गए विक्रम लैंडर ने बुधवार की शाम 6.04 बजे चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास कदम रखकर इतिहास रच दिया. इसके साथ ही चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया. कुछ दिनों पहले रूस ने भी चांद के साउथ पोल पर उतरने के लिए अपना रोवर भेजा था लेकिन उसका मिशन नाकाम हो गया.