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चंद्रयान 3 श्रीहरिकोटा से हुआ लॉन्च, अंतरिक्ष में इतिहास रचने को तैयार भारत

Moon Mission: अगर भारत इस मिशन में सफल होता है तो दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा.

Moon Mission: अगर भारत इस मिशन में सफल होता है तो दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा.

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FE Hindi Desk
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ISRO Chandrayaan 3 Mission

Moon Mission: चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में फैट बॉय’ LVM3-M4 (बाहुबली) नाम का रॉकेट लेकर जा रहा है.

Chandrayan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज यानी शुक्रवार को मोस्ट अवेटेड चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च कर दिया है. चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में फैट बॉय’ LVM3-M4 नामक रॉकेट लेकर जा रहा है. 23-24 अगस्त को इसकी लैंडिंग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव यानी साउथ पोल पर होगी. अगर भारत इस मिशन में सफल होता है तो साउथ पोल पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा. साल 2019 में भी भारत चंद्रयान-2 पर उतरने की कोशिश कर चुका है.

इस बार फेल नहीं होगा मिशन

पिछली बार की गलतियों से सीखते हुए इसरो ने इस बार कई बदलाव किए हैं. इसरो के पूर्व चीफ माधवन नायर का कहना है कि इंसानी रूप से जो कुछ भी संभव था, वो किया जा चुका है. मुझे मिशन चंद्रयान-3 फेल होने का कोई कारण नहीं दिख रहा है. दूसरी तरफ इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने के लिए करीब 200 स्कूली छात्र भी श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पहुंचे हैं. खबरों के मुताबिक रॉकेट की अधिकतम रफ्तार 36,968 किमी प्रति घंटे होगी और लॉन्च होने के मात्र 16 मिनट बाद ये पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो जाएगा. लॉन्च के वक्त इसकी रफ्तार 1627 किमी प्रति घंटा होगी और मात्र 108 सेकंड बाद इसकी रफ्तार 6437 किमी प्रति घंटा हो जाएगी.

क्या है मिशन का मकसद?

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चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य इंटर-प्लेनेटरी मिशनों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करना है. सबसे बड़े और भारी LVM3 रॉकेट (पूर्व में GSLV MkIII) ने लगातार छह सफल मिशन पूरे किए हैं. इसे इसकी हेवीलिफ्ट क्षमता के लिए इसरो वैज्ञानिकों द्वारा ‘फैट बॉय’ कहा जाता है. शुक्रवार का मिशन LVM3 की चौथी ऑपरेशनल उड़ान है जिसका उद्देश्य चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को जियो ट्रांसफर ऑर्बिट में लॉन्च करना है. लॉन्च विंडो चंद्रयान-2 मिशन (22 जुलाई, 2019) के समान जुलाई के लिए तय की गई है क्योंकि इस दौरान पृथ्वी और चंद्रमा एक-दूसरे के करीब होते हैं.

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