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परीक्षा में विधि से लेकर बाजार तक के प्रश्न होंगे. (Image-Bloomberg)
परीक्षा में विधि से लेकर बाजार तक के प्रश्न होंगे. (Image-Bloomberg)Modi 2.0: अपनी दूसरी पारी में प्रधानमंत्री मोदी अब देश के कॉरपोरेट गवर्नेंस सिस्टम को बदलने की कोशिश कर रहे हैं. अपने पहले कार्यकाल में कॉरपोरेट सेक्टर में फर्जीवाड़े की कई घटनाओं के सामने आने के बाद पीएम मोदी की कोशिश है कि कॉरपोरेट सेक्टर के गवर्नेंस सिस्टम में बड़ा बदलाव किया जाए ताकि फर्जीवाड़े पर रोकथाम लगे. इस योजना के तहत जल्द ही कंपनी के बोर्ड में नियुक्त होने से पहले स्वतंत्र निदेशकों को एक परीक्षा पास करनी होगी. यह जानकारी कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में सचिव इंजेती श्रीनिवास ने दिया.
इसके अलावा केंद्र सरकार Deloitte Haskins & Sells पर बैन लगाने की भी योजना बना रही है क्योंकि यह बड़े शैडो लेंडर के वित्तीय संकट की चेतावनी देने में असफल रही.
दो महीने में हो सकती है शुरुआत
इंजेती श्रीनिवास ने कहा कि वे स्वतंत्र निदेशकों से जुड़े मिथ को खत्म करना चाहते हैं. स्वतंत्र निदेशकों के बारे में माना जाता है कि उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं होती है. श्रीनिवास का कहना है कि अब वे कॉरपोरेट लिटरेसी शुरू करेंगे जिससे वे अपने कर्तव्यों, भूमिका और जिम्मेदारियों से जागरुक हों. श्रीनिवास के मुताबिक इस नए कार्यक्रम को दो महीनों के भीतर शुरू किया जा सकता है.
परीक्षा में कानून से लेकर बाजार तक के होंगे सवाल
कंपनी के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक पद के लिए ऑनलाइन एग्जाम होगा. इसमें इंडियन कंपनी लॉ, एथिक्स और कैपटिल मार्केट नॉर्म्स से जुड़े बेसिक्स पूछे जाएंगे. इंजेती श्रीनिवास ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि स्वतंत्र निदेशक बनने की चाह रखने वाले निदेशकों को एक निश्चित टाइम फ्रेम के भीतर ही एग्जाम में बैठने की अनुमति दी जाएगी लेकिन वे इस टाइम फ्रेम के भीतर अनगिनत बार परीक्षा में शामिल हो सकते हैं.
वर्तमान निदेशकों को परीक्षा से छूट लेकिन रजिस्ट्रेशन जरूरी
इंजेती श्रीनिवास ने बताया कि इस समय कंपनी के बोर्ड में शामिल अनुभवी निदेशकों को इस परीक्षा में फिलहाल बैठने की जरूरत नहीं होगी. हालांकि सरकार स्वतंत्र निदेशकों का जो डेटाबेस तैयार कर रही है, उसमें उन्हें खुद को रजिस्टर करवाना होगा. इस डेटाबेस में उन सभी की जानकारी होगी जो स्वतंत्र निदेशक के तौर पर किसी कंपनी के बोर्ड से जुड़ना चाहते हैं और कंपनियों इस प्लेटफॉर्म के जरिए सीधे उनसे जुड़ सकेगी.
वर्तमान नियम के अनुसार देश में लिस्टेड कंपनियों को अपने बोर्ड में कुल क्षमता का एक तिहाई इंडेपेडेंट डायरेक्टर रखना होता है. उनका मुख्य कार्य यह होता है कि वे बाहर से कंपनी पर नजर बनाए रखें और कंपनी के जो छोटे शेयरधारक हैं, उनके हितों की रक्षा कर सकें.
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