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SC on Manipur Violence: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मणिपुर में कानून-व्यवस्था और संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह ध्वस्त, डीजीपी को किया तलब

SC castigates Manipur police: मणिपुर में 3 महीने से जारी हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की पुलिस को लगाई कड़ी फटकार, डीजीपी को 5 अगस्त को निजी तौर पर पेश होने का आदेश.

SC castigates Manipur police: मणिपुर में 3 महीने से जारी हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की पुलिस को लगाई कड़ी फटकार, डीजीपी को 5 अगस्त को निजी तौर पर पेश होने का आदेश.

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Viplav Rahi
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Manipur Violence: मणिपुर की राजधानी इंफाल में आगजनी की एक वारदात के दौरान कुकी-जो आदिवासियों के घरों के साथ ही साथ नागालैंड, बिहार और हरियाणा से आए प्रवासियों के करीब एक दर्जन मकान भी जल गए. (PTI Photo, 1 अगस्त 2023)

Supreme Court castigates Manipur police over Violence: मणिपुर में कानून व्यवस्था और संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है. पिछले तीन महीने से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर के हालात पर यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने की है. इसके साथ ही देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस मामले में 5 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई पर राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को निजी तौर पर पेश होने का आदेश भी दिया है. इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई के दौरान राज्य पुलिस की जांच को बेहद सुस्त बताते हुए यह सवाल भी किया कि क्या उसने अब तक उन पुलिस वालों से पूछताछ की है, जिन पर महिलाओं को भीड़ के हवाले करने का आरोप लगा है?

जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच कर रही है सुनवाई

भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने ये तमाम बातें मंगलवार को मणिपुर में जारी हिंसा के मसले पर दायर कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए कहीं. इन याचिकाओं में मणिपुर की यौन हिंसा पीड़ित महिलाओं की तरफ से दायर याचिकाएं भी शामिल हैं. पिछले महीने सामने आए एक भयानक वीडियो ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, जिसमें हैवानियक पर उतारू बर्बर भीड़ दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र करके उनकी परेड निकाल रही थी. इस दौरान कुछ दरिंदे उन पर लगातार यौन हमला भी कर रहे थे.

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महिलाओं से दरिंदगी के वीडियो ने पूरे देश को दहलाया

4 मई की वारदात का यह वीडियो जुलाई के अंत में सामने आया तो देश भर में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. इसी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पहली बार मणिपुर हिंसा पर अपनी चुप्पी कुछ सेकेंड के लिए तोड़नी पड़ी. इसके बाद मणिपुर सरकार और पुलिस की नींद भी टूटी और उसने दो महीने पुराने मामले में ताबड़तोड़ कुछ गिरफ्तारियां भी कीं. उसके बाद यह मामला सीबीआई को सौंपा जा चुका है. हालांकि दोनों पीड़ित महिलाओं ने यह मामला सीबीआई को सौंपे जाने का विरोध करते हुए जांच के लिए स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किए जाने की मांग की है.

केंद्र और मणिपुर की सरकारों की तरफ से कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य पुलिस ने मणिपुर वीडियो केस में 'जीरो एफआईआर' दर्ज की है और एक नाबालिग समेत सात आरोपियों को गिरफ्तार भी किया है. मणिपुर की दिल दहलाने वाली वारदात का वीडियो इतने लंबे समय बाद सामने आने के लिए राज्य में इंटरनेट पर लगातार पाबंदी लगाए जाने को भी जिम्मेदार माना जा रहा है.

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मणिपुर पुलिस पूरी तरह अक्षम साबित हुई : सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस जेपी परदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मणिपुर के हालात पर नाराजगी जाहिर करते हुए सवाल किया कि अगर कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार मशीनरी लोगों की रक्षा नहीं कर पाएगी, तो नागरिकों का क्या होगा? खंडपीठ ने कहा, "एक बात बिलकुल साफ है कि वीडियो वाले मामले में एफआईआर दर्ज करने में बहुत देर की गई." कोर्ट ने कहा कि राज्य पुलिस जांच करने में अक्षम साबित हुई है और हालात पर उसका कोई नियंत्रण नहीं रह गया है." सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मणिपुर में कानून-व्यवस्था और संवैधानिक मशीनरी के पूरी तरह ध्वस्त होने की बात कहकर इस सवाल को और भी प्रासंगिक बना दिया है कि क्या राज्य में अब राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा? या फिर मोदी सरकार कोई कड़ा कदम उठाने के लिए अभी और इंतजार करेगी?

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