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Congress on women reservation bill : मोदी सरकार के महिला आरक्षण बिल को कांग्रेस ने बताया चुनावी जुमला, कहा- महिलाओं की उम्मीदों के साथ हुआ धोखा

Congress dubs women reservation bill jumla: कांग्रेस का दावा, बिल में महिला आरक्षण को जनगणना और डी-लिमिटेशन के बाद लागू करने का प्रावधान, लिहाजा 2029 से पहले लागू नहीं हो पाएगा महिला आरक्षण.

Congress dubs women reservation bill jumla: कांग्रेस का दावा, बिल में महिला आरक्षण को जनगणना और डी-लिमिटेशन के बाद लागू करने का प्रावधान, लिहाजा 2029 से पहले लागू नहीं हो पाएगा महिला आरक्षण.

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FE Hindi Desk
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कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद के विशेष सत्र में पेश महिला आरक्षण बिल पर मोदी सरकार से सफाई मांगी है. (Photo : PTI)

Congress dubs Women Reservation Bill jumla and huge betrayal of women : कांग्रेस ने मोदी सरकार द्वारा नारी शक्ति वंदन विधेयक के नाम से पेश महिला आरक्षण बिल को ''चुनावी जुमला'' और ''महिलाओं की उम्मीदों के साथ बड़ा धोखा'' करार दिया है. कांग्रेस का दावा है कि मोदी सरकार की तरफ से पेश बिल को ऐसे प्रावधान के साथ पेश किया गया है, जिससे महिला आरक्षण को अगली जनगणना और डीलिमिटेशन यानी परिसीमन के पूरा होने के बाद ही लागू किया जा सकेगा. कांग्रेस सांसद और महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री का इरादा वाकई महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता देने का होता, तो महिला आरक्षण विधेयक बिना कोई किंतु-परंतु या शर्त लगाए फौरन लागू कर दिया जाता. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के लिए यह केवल एक चुनावी जुमला है.

भाजपा सरकार को स्पष्टीकरण देना चाहिए : खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में दिए अपने भाषण में कहा कि कांग्रेस ने महिला आरक्षण विधेयक का हमेशा से समर्थन किया है और कांग्रेस-यूपीए की सरकार ने ही 2010 में राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पास भी करवाया था. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राजनीति में जिस तरह SC-ST वर्ग को संवैधानिक अवसर मिला है, उसी प्रकार अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की महिलाओं समेत सभी को इस विधेयक से समान मौका मिलना चाहिए. खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार जो विधेयक लाई है, उसको गौर से देखने की ज़रूरत है. विधेयक के मौजूदा ड्राफ्ट में लिखा है कि ये हर दस साल पर होने वाली जनगणना (Decadal Census) और परिसीमन (Delimitation) के बाद ही लागू किया जाएगा. इसका मतलब ये हुआ कि मोदी सरकार ने शायद 2029 तक महिला आरक्षण के दरवाजे बंद कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए.

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महिला आरक्षण बिल की क्रोनोलॉजी समझिए : कांग्रेस

कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया एकाउंट पर जारी एक पोस्ट में मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए लिखा है, “महिला आरक्षण बिल की क्रोनोलॉजी समझिए. यह बिल आज पेश जरूर हुआ लेकिन हमारे देश की महिलाओं को इसका फायदा जल्द मिलते नहीं दिखता. ऐसा क्यों? क्योंकि यह बिल जनगणना के बाद ही लागू होगा. आपको बता दें 2021 में ही जनगणना होनी थी, जो कि आज तक नहीं हो पाई. आगे यह जनगणना कब होगी इसकी भी कोई जानकारी नहीं है. खबरों में कहीं 2027 तो कहीं 2028 की बात कही गई है. इस जनगणना के बाद ही परिसीमन या निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण होगा, तब जाकर महिला आरक्षण बिल लागू होगा. मतलब पीएम मोदी ने चुनाव से पहले एक और जुमला फेंका है और यह जुमला अब तक का सबसे बड़ा जुमला है. मोदी सरकार ने हमारे देश की महिलाओं के साथ विश्वासघात किया है, उनकी उम्मीदों को तोड़ा है.” ऐसी ही एक और पोस्ट में कांग्रेस ने लिखा है, “अभी लागू नहीं होगा महिला आरक्षण बिल. जानें क्यों?

चुनावी मौसम में सबसे बड़ा जुमला : जयराम रमेश

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आश्चर्य जताया कि क्या जनगणना और परिसीमन 2024 के चुनावों से पहले किया जाएगा. एक्स (Twitter) पर लिखी एक पोस्ट में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “चुनावी जुमलों के इस मौसम में, यह सबसे बड़ा जुमला है! यह देश की करोड़ों महिलाओं और लड़कियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है. हमने पहले भी बताया है कि मोदी सरकार ने अभी तक 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना नहीं की है. भारत G20 का एकमात्र देश है जो जनगणना कराने में विफल रहा है. अब कहा गया है कि महिला आरक्षण विधेयक के अधिनियम बनने के बाद, जो पहली दशकीय जनगणना होगी, उसके उपरांत ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा. यह जनगणना कब होगी? विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया के बाद प्रभावी होगा. क्या 2024 चुनाव से पहले जनगणना और परिसीमन हो जाएगा? यह विधेयक आज सिर्फ हेडलाइन बनाने के लिए है, जबकि इसका कार्यान्वयन बहुत बाद में हो सकता है. यह कुछ और नहीं बल्कि EVM - EVent Management है.”

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विधेयक के क्लॉज 334A पर उठा सवाल

साल 2010 में महिला आरक्षण विधेयक के राज्यसभा में पारित होने के समय देश के कानून मंत्री रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अंतिम समय में विधेयक लाकर भाजपा सोचती है कि उन्हें कुछ राजनीतिक लाभ मिल सकता है. उन्होंने कहा, ''इसका एक सामाजिक पहलू है. देश की 50 प्रतिशत आबादी को सामाजिक न्याय मिलना चाहिए. उस तरह की प्रतिबद्धता एनडीए और भाजपा सरकार द्वारा प्रदर्शित नहीं की गई है.'' कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ वकील मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार द्वारा पेश किया गया बिल "महिला आंदोलन के साथ विश्वासघात" है. उन्होंने कहा कि विधेयक की धारा (clause) 334A कहती है कि संविधान संशोधन पारित होने के बाद होने वाली पहली जनगणना और उसके बाद परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही आरक्षण लागू होगा. इसका साफ मतलब है कि 2029 से पहले कोई महिला आरक्षण लागू नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसके प्रति गंभीर थी, तो उसे महिला आरक्षण तत्काल प्रभाव से लागू करना चाहिए था.

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मोदी जी की नीति और नीयत दोनों में खोट : सुप्रिया

कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ''मोदी जी ने अपने जुमलों से इस देश की महिलाओं को भी नहीं बख्शा. महिला आरक्षण विधेयक से उनके (भाजपा) संदिग्ध इरादे स्पष्ट हो गए हैं. “यदि आप वास्तव में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते थे, तो आप 2010 में राज्यसभा में पारित विधेयक को लोकसभा में लाते. श्रीनेत ने कहा, आधी आबादी के लिए यह जुमला सही नहीं है. श्रीनेत ने सोशल मीडिया पर जारी बयान में कहा है, “महिला आरक्षण को लेकर मोदी जी की नीति और नीयत दोनों में खोट है.”

नए संसद भवन में पेश पहला विधेयक

सरकार ने मंगलवार को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया है. सरकार ने इसे नारी शक्ति वंदन विधेयक का नाम दिया है. यह नए संसद भवन में पेश किया गया पहला विधेयक है. सरकार का दावा है कि यह विधेयक राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में महिलाओं भागीदारी को बढ़ाने और 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्य को हासिल करने करने में मदद करेगा.

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