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Congress on Adani Group: रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस का अडानी पर हमला, दाल में कुछ तो काला है. (IE Photo)
Congress on Adani Group: ऑडिटर एंड कंसल्टेंसी कंपनी डेलॉयट (Deloitte) ने अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन के खातों पर अपनी टिप्पणी में तीन सौदों को लेकर सवाल खड़ा किया है. इसमें कांट्रेक्टर से वसूली जाने वाली राशि शामिल है जिसका जिक्र हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) में भी किया गया है. वहीं, इस मामले के बाद कांग्रेस (Congress) एक बार फिर अडानी ग्रुप पर हमलावर हो गई है. कांग्रेस ने एक अंतरराष्ट्रीय ऑडिटर की राय का हवाला देते हुए बुधवार को दावा किया कि अगर अडानी समूह की नजर में सबकुछ ठीक है तो आरोपों की जांच में किसी स्वतंत्र इकाई को शामिल क्यों नहीं किया गया? पार्टी महासचिव जयराम रमेश (Congress Leader Jairam Ramesh) ने यह कहने के साथ ही दावा भी किया कि दाल में कुछ तो काला है.
डेलॉयट हासकिन्स एंड सेल्स ने क्या कहा?
डेलॉयट हासकिन्स एंड सेल्स ने वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही और पूरे वित्त वर्ष के ऑडिट के बारे में अपनी रिपोर्ट में तीन इकाइयों के साथ सौदे के लेकर टिप्पणी की है. इसके बारे में कंपनी का कहना है कि इन इकाइयों का समूह की कंपनियों से कोई लेना-देना नहीं है. हालांकि, ऑडिटर ने कहा कि वह कंपनी के बयान को वेरिफाई नहीं कर सकती क्योंकि इसके वेरिफिकेशन को लेकर कोई स्वतंत्र जांच नहीं हुई है. डेलॉयट ने कहा कि अडानी समूह ने अपने आकलन और सेबी द्वारा चल रही जांच के कारण इन आरोपों की स्वतंत्र बाहरी जांच करना आवश्यक नहीं समझा.
ऑडिटर डेलॉइट हास्किन्स एंड सेल्स स्पष्ट रूप से अडानी के खोखले "क्लीन चिट" के दावों को नहीं मान रहा है, यहां तक कि SEBI की भी जांच जारी है। इसने कहा है कि तीन संस्थाओं के साथ अडानी पोर्ट्स के लेन-देन को असंबंधित पार्टियों के साथ नहीं दिखाया जा सकता है और इसीलिए इसने कंपनी के खातों… https://t.co/MfzBmiOdeR
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 31, 2023
कांग्रेस हुई हमलावर
अमेरिकी संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस लगातार इस मामले में उठाते हुए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से इसकी जांच कराने की मांग कर रही है. जयराम रमेश ने बुधवार को ट्वीट किया कि ऑडिटर ‘डेलॉइट हास्किन्स एंड सेल्स’ स्पष्ट रूप से अडानी के खोखले ‘क्लीन चिट’ के दावों को नहीं मान रहा है, यहां तक कि सेबी की भी जांच जारी है. इसने कहा है कि तीन संस्थाओं के साथ अडानी पोर्ट्स के लेन-देन को असंबंधित पार्टियों के साथ नहीं दिखाया जा सकता है और इसीलिए इसने कंपनी के खातों पर ‘क्वालिफाइड ओपिनियन’ (प्रमाणित राय) जारी की है. इसमें आगे कहा गया है कि अडाणी ने ‘एक स्वतंत्र बाहरी जांच करवाने से इंकार कर दिया है.' उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में सवाल उठता है कि अडानी पोर्ट्स क्या छुपा रहा है? दावे के अनुसार अगर सब कुछ ठीक है तो आपने ऑडिटर की चिंताओं को दूर करने के लिए एक स्वतंत्र इकाई को जांच में शामिल क्यों नहीं किया? दाल में कुछ तो काला है.’’
क्या है मामला?
गौरतलब है कि अमेरिकी वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह पर धोखाधड़ी, शेयरों में हेराफेरी और मनी लांड्रिंग का आरोप लगाया था. हालांकि, अडानी समूह ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए उसे पूरी तरह से आधारहीन बताया है. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर5 द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने भी अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा कि उसे रेगुलेटरी विफलता या अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों के दाम में गड़बड़ी को लेकर कोई संकेत नहीं मिले हैं.