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दिल्ली में पंडित नेहरू की 133वीं जयंती के मौके पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे. (Screenshot of Video Shared by @INCIndia)
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार और उसकी नीतियों पर करारा हमला किया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार की विचारधारा देश के लिए मारक है. खड़गे ने कहा कि आज देश में ऐसी सरकार है, जो डेमोक्रेटिक नहीं है. ये डेमोक्रेसी की बात तो करते हैं, लेकिन उस विचार पर अमल नहीं करते. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस सरकार की नीति सिर्फ बांटो और राज करो की है और इसीलिए राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं. ये देश तोड़ने की बात करते हैं हम जोड़ने की बात करते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि मोदी सरकार काम करने में नहीं, सिर्फ नाम बदलने में यकीन करती है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने ये बातें देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती के मौके पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा दिल्ली में आयोजित सेमिनार में कहीं.
16 करोड़ नौकरियां कहां गईं : खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष ने बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा, संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक देश में 30 लाख वेकेंसी खाली पड़ी हैं. उन्हीं में से प्रधानमंत्री 75 हजार नौकरियों का नियुक्ति पत्र बांटकर वाहवाही लूटते हैं. लेकिन बाकी नौकरियां कहां हैं? और आपको तो 8 साल में 16 करोड़ नौकरियां देनी थीं, वो कहां गईं? उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार खुद काम करने की जगह सिर्फ नाम बदलकर पिछली कांग्रेस सरकारों के किए कामकाज का श्रेय लेने में लगी रहती है.
मेरी चलाई ट्रेन को पीएम मोदी ने फिर से हरी झंडी दिखा दी : खड़गे
खड़गे ने रेल मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के एक वाकये का जिक्र करते हुए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, इनका तरीका है सिर्फ नाम बदलो. मैं जब रेलवे मिनिस्टर था तो एक बार वाराणसी गया था. वहां कर्नाटक के वीर शैव लिंगायत समुदाय के एक स्वामी जी मिले, उन्होंने कहा कि हमारे मैसूर से काशी के लिए कोई ट्रेन नहीं है. उसके बाद मैंने बेंगलुरू से काशी के लिए ट्रेन चलवाई. इतना ही नहीं, उसी के साथ वैष्णो देवी और अजमेर के लिए भी ट्रेनें चलवाईं. एक ही महीने में ये तीनों ट्रेनें शुरू करवाईं. इन्हें मेरे कार्यकाल में मैने खुद हरी झंडी दिखाकर शुरू किया था. लेकिन अब कुछ दिन पहले मोदी जी गए और एलान किया कि बेंगलूरु से वाराणसी की ट्रेन चला रहा हूं. हरी झंडी भी दिखाई. जबकि ये ट्रेन तो मैं अपने कार्यकाल में शुरू करवा चुका था. मोदी साहब बड़े होशियार हैं, ये कहा कि इसको हमने फास्ट ट्रेन बना दिया है. तो ऐसे वो हर चीज को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं. इतने झूठ बोलते हैं, जिसका हिसाब ही नहीं है.
LIVE: Nehru Memorial Lecture - Commemoration of 133rd Birth Anniversary of Pt. Jawaharlal Nehru chaired by Congress President Shri @kharge at Jawahar Bhawan. #हिंद_के_जवाहरhttps://t.co/uzJy77ZQiJ
— Congress (@INCIndia) November 14, 2022
पंडित नेहरू पर रिजिजू के आरोपों का जवाब
कांग्रेस द्वारा आयोजित इसी सेमिनार के मंच से केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू के उन आरोपों का जवाब भी दिया गया, जो उन्होंने पंडित नेहरू पर लगाए हैं. रिजिजू ने अपने एक लेख में आरोप लगाया है कि कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने जुलाई 1947 में पंडित नेहरू को भारत में विलय का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन नेहरू ने उसे नहीं माना. इसके बाद भी महाराजा ने कई बार विलय की कोशिश की, लेकिन पंडित नेहरू ने इसमें देर की, जिसका खामियाजा भारत आज तक भुगत रहा है.
रिजिजू के इन आरोपों का जवाब देते हुए इतिहासकार और लेखक प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा कि जुलाई 1947 में महाराजा हरिसिंह ने जो प्रस्ताव भेजा था, वो विलय का नहीं था, स्टैंड-स्टिल का प्रस्ताव था. सेमिनार के मुख्य वक्ता प्रोफेसर अग्रवाल ने दावा किया कि महाराजा हरिसिंह ने स्टैंड-स्टिल का वैसा ही प्रस्ताव भारत के साथ-साथ पाकिस्तान को भी भेजा था. उनकी इस पेशकश को पाकिस्तान ने तुरंत स्वीकार कर लिया, लेकिन भारत ने नहीं माना और ऐसा करके बिलकुल सही फैसला किया. प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि अगर भारत ने स्टैंड स्टिल का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता, तो बाद में कबायलियों की आड़ में पाकिस्तान का हमला होने पर भारत उसमें दखल देना मुश्किल हो जाता. प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि देश के कानून मंत्री को विलय के प्रस्ताव और स्टैंड-स्टिल के प्रस्ताव का फर्क मालूम होना चाहिए. रिजिजू पर तीखा हमला करते हुए उन्होंने कहा, नेहरू को ट्रोल के चक्कर में आप स्टैंड-स्टिल और विलय प्रस्ताव का फर्क भुला दें, ऐसा नहीं होना चाहिए.
डॉ मुखर्जी ने नेहरू सरकार से इस्तीफा क्यों नहीं दिया : प्रोफेसर अग्रवाल
भारत की आजादी के बाद बनी देश की पहली सरकार की कश्मीर नीति पर लगाए जा रहे आरोपों का जवाब देते हुए प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा, हमें ध्यान रखना चाहिए कि उस वक्त की कश्मीर नीति सिर्फ पंडित नेहरू की नहीं, बल्कि तत्कालीन भारत सरकार की नीति थी. उस सरकार में सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर से लेकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे नेता भी मंत्री के तौर पर शामिल थे, जिनकी अपनी हैसियत होती थी. अगर सरकार की कश्मीर नीति इतनी गलत थी तो डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस मुद्दे पर नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा क्यों नहीं दिया? प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि जिस धारा 370 को लेकर नेहरू को निशाना बनाया जाता है, दरअसल उसे तो संविधान में सरदार पटेल की अगुवाई में शामिल कराया गया था. नेहरू तो उस समय देश में ही नहीं थे. पटेल ने ये सुनिश्चित किया था कि धारा 370 संविधान में आसानी से जुड़ जाए. उन्होंने कहा कि धारा 35 ए तो खुद महाराजा हरिसिंह के आग्रह पर लाई गई थी.
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