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जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस लंबे समय से यह कहती आ रही है कि सुप्रीम कोर्ट की समिति का बहुत ही सीमित अधिकार क्षेत्र है और शायद यह ‘मोदानी घोटाले’ की जटिलता को देखते हुए इसको बेनकाब नहीं कर सके. (फोटो : IE/REUTERS)
कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में जो निष्कर्ष निकाले गए हैं वे पूर्वानुमान के अनुसार हैं, लेकिन यह बात फर्जी है कि अडानी ग्रुप (Adani Group) को क्लीचिट मिल गई है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने यह भी कहा कि रिपोर्ट में कुछ ऐसी बातें की गई हैं जिनसे ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी जेपीसी की जांच की मांग को बल मिलता है. उन्होने एक बयान में कहा कि कांग्रेस लंबे समय से यह कहती आ रही है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति का बहुत ही सीमित अधिकार क्षेत्र है और शायद यह ‘मोदानी घोटाले’ की जटिलता को देखते हुए इसको बेनकाब नहीं कर सके.
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी स्पष्ट निष्कर्ष पर पहुंचने में रही विफल: जयराम रमेश
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति समिति अडानी ग्रुप द्वारा सेबी (SEBI) के कानूनों का उल्लंघन किए जाने के संदर्भ में किसी स्पष्ट निष्कर्ष पर पहुंचने में सफल नहीं रही. जब कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं निकला तो समिति ने यह निष्कर्ष निकाला कि सेबी की तरफ से कोई नियामकीय विफलता नहीं हुई है. पार्टी महासचिव रमेश का कहना है कि हम इस रिपोर्ट के पृष्ठ संख्या 106 और 144 में दिए गए दो बिंदुओं का उल्लेख करना चाहते हैं जिससे जेपीसी के औचित्य को बल मिलता है.
The Congress has all along been saying that the Expert Committee appointed by the Supreme Court has extremely limited terms of reference and will simply be unable(and perhaps unwilling too) to unravel the Modani scam in all its complexity. However, we have the following 5… pic.twitter.com/bHiSwgGAdm
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 19, 2023
कांग्रेस नेता का दावा सुप्रीम कोर्ट कमेटी की रिपोर्ट पर सेबी संतुष्ट नहीं
रमेश ने रिपोर्ट के एक अंश जिक्र करते हुए कहा कि सेबी इसको लेकर संतुष्ट नहीं है कि एफपीआई यानी विदेशी निवेशकों को धन देने वाले लोगों का अडानी से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने दावा किया कि रिपोर्ट में की गई इस बात से कांग्रेस के इस सवाल की पुष्टि होती है कि 20 हजार करोड़ रुपये कहां से आए? रमेश के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी (LIC) ने अडानी के 4.8 करोड़ शेयर उस समय ख्ररीदे जब यह 1031 रुपये से बढ़कर 3859 रुपये हो गया था. उन्होंने कहा कि इससे सवाल खड़ा होता है कि एलआईसी के किसके हितों की पूर्ति कर रही थी? रमेश ने कहा कि समिति के निष्कर्ष अनुमान के मुताबिक हैं. समिति की रिपोर्ट को अडाणी को क्लिनचिट दिए जाने की बात करना पूरी तरह फर्जी है.
सुप्रीम कोर्ट की एक विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि वह अडानी ग्रुप के शेयरों में हुई तेजी को लेकर किसी तरह की नियामकीय विफलता का निष्कर्ष नहीं निकाल सकती है. समिति ने यह भी कहा है कि सेबी विदेशी संस्थाओं से धन प्रवाह के कथित उल्लंघन की अपनी जांच में कोई सबूत नहीं जुटा सकी है. 6 सदस्यीय समिति ने हालांकि कहा कि अमेरिका की फाइनेंशियल रिसर्च और इनवेस्टमेंट कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट से पहले अडानी ग्रुप के शेयरों में ‘शॉर्ट पोजीशन’ (भाव गिरने पर मुनाफा कमाना) बनाने का एक सबूत था और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भाव गिरने पर इन सौदों में मुनाफा दर्ज किया गया. एक अन्य कांग्रेस नेता ने ट्वीट के जरिए कहा कि सारी कहानी तो यही 13 विदेशी कम्पनियों और 42 निवेशकों से जुड़ी है, उसी की जानकारी सेबी के पास पर्याप्त नहीं है. इस पर से पर्दा उठाते तब कहते कि सब ठीक है कि नहीं. अभी तो रहस्य बरकरार है, SEBI को उसको खंगालना है अभी!