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The drug, to be administered orally, showed efficacy in trial stages to reduce oxygen dependence of hospitalsed Covid-19 patients and enable their faster recovery, including quicker RT-PCR-negative conversion.
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बहुत खतरनाक साबित हो रही है और हर दिन 4 लाख से अधिक रिकॉर्ड मामले सामने आ रहे हैं. संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच शनिवार को एक राहत भरी खबर आई है. दवा नियामक DGCI ने कोरोना के इलाज के लिए एक दवा के आपातकालीन प्रयोग को मंजूरी दी है. इस दवा को DRDO ने विकसित किया है. ड्रग2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) को डीआरडीओ ने प्रमुख दवा कंपनी डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के सहयोग से तैयार किया गया है. इस दवा को कोरोना वायरस के ग्रोथ को नियंत्रित करने में प्रभावी पाया गया है. डीजीसीआई के मुताबिक इस दवा के प्रयोग से वायरस के ग्रोथ पर प्रभावी नियंत्रण से अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों के स्वास्थ्य में तेजी से रिकवरी हुई. इसके अलावा यह मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत को कम करता है.
इस दवा को डीआरडीओ ने पिछले साल विकसित किया था और अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच इसके तीन चरण के क्लीनिकल ट्रॉयल हो चुके हैं. इस दवा का उत्पादन जल्द से जल्द बड़े स्तर पर किया जा सकता है यानी कि कोरोना संक्रमितों के इलाज में इसकी शॉर्टेज आड़े नहीं आएगी. यह एक पाउडर के रूप में आती है और इसे पानी में घोलकर मरीजों को दिया जा सकता है.
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अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच तीन क्लीनिकल ट्रॉयल
- दवा के पहले फेज का ट्रॉयल अप्रैल-मई 2020 में पूरी हुआ था. इसमें लैब में दवा पर एक्सपेरिमेंट किए गए.
- मई 2020 से अक्टूबर 2020 के बीच दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रॉयल के लिए डीसीजीआई ने मंजूरी दी. दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रॉयल में देश के 11 अस्पतालों में भर्ती 110 मरीजों को शामिल किया गया. ट्रॉयल में शामिल मरीज अन्य मरीजों की तुलना में 2.5 दिन पहले ही ठीक हो गए.
- डीआरडीओ ने नवंबर 2020 में दवा के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रॉयल के लिए आवेदन किया. इसके लिए दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच ट्रॉयल को मंजूरी मिली. इस चरण में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में स्थित 27 अस्पतालों में 220 मरीजों पर इस दवा का परीक्षण किया गया. इस परीक्षण में पाया गया कि 2-डीजी के इस्तेमाल से 42 फीसदी मरीजों को तीसरे दिन से मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत नहीं रही जबकि जिन मरीजों को यह दवा नहीं दी गई, उनमें से सिर्फ 31 मरीजों को ही तीसरे दिन से मेडिकल ऑक्सीजन पर निर्भरता खत्म हुई. दवा का समान प्रभाव 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों पर भी दिखा.