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मोबाइल और इलेक्ट्रानिक्स इंडडस्ट्री की तरह घरेलू लाइटिंग इंडस्ट्री पर भी कोरोना संकट का असर देखा जा रहा है.
मोबाइल और इलेक्ट्रानिक्स इंडडस्ट्री की तरह घरेलू लाइटिंग इंडस्ट्री पर भी कोरोना संकट का असर देखा जा रहा है.कोरोना संकट के साइड इफैक्ट आर्थिक मोर्चे पर भी दिखने शुरू हो गए हैं. भारत भी इससे अछूता नहीं है. कोरोना के कहर के चलते भारत में अब LED बल्ब और लाइट्स के दाम 10 फीसदी तक बढ़ने जा रहे हैं. घरेलू इंडस्ट्री का कहना है कोरोनावायरस संकट के चलते मैन्युफैक्चरर्स को इलेक्ट्रिक कम्पोनेंट की सप्लाई घट गई है. इलेक्ट्रिक लैम्प एंड कम्पोनेंट मैन्युैक्चरर्स एसोसिएशन (ELCOMA) इंडिया का कहना है कि चीन में शटडाउन के चलते इलेक्ट्रिक कम्पोनेंट की सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है. मोबाइल और इलेक्ट्रानिक्स इंडडस्ट्री की तरह घरेलू लाइटिंग इंडस्ट्री पर भी कोरोना संकट का असर देखा जा रहा है. इसका असर कनेक्टेड लाइटिंग सॉल्यूशंस और प्रोफेशनल्स लाइटिंग सेगमेंट पर ज्यादा पड़ सकता है क्योंकि आयात होने वाले कम्पोनेंट में इनकी हिस्सेदारी काफी अधिक है.
डिमांड-सप्लाई समीकरण नहीं कर रहा काम
ELCOMA के वाइस प्रेसिडेंट सुमित पदमाकर जोशी ने पीटीआई को बताया कि कोरोनावायरस के चलते हम इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेंट्स खासकर चिप की बड़े पैमाने पर कमी की आशंका देख रहे हैं. डिमांड सप्लाई समीकरण काम नहीं कर रहा है. यानी, डिमांड के अनुरूप सप्लाई नहीं हो पा रही है.
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जोशी के अनुसार, भारत में बनने वाले एलईडी बल्ब के 60 फीसदी कम्पोनेंट (मैकेनिकल) की घरेलू सप्लाई होती है, जबकि 30 फीसदी जिनमें चिप समेत इलेक्ट्रानिक ड्राइवर्स की जरूरत पड़ती है, उनका आयात चीन के वेंडर्स से होता है. इनकी अब कमी हो गई है.
जोशी ने कहा, ''मेरा मानना है कि सप्लाई बाधित होने के चलते लाइटिंग प्रोडक्ट्स की कीमतों में तेजी आ सकती है. ग्राहकों पर इसका असर 8 से 10 फीसदी पड़ सकता है.'' अधिकांश कंपनियों के पास फरवरी तक की इंवेंटरी है. मार्च के बाद मार्केट में बढ़ी कीमतों पर प्रोडक्ट्स मिलेंगे.
मौजूदा इन्वेंटी खत्म होने की कगार पर
दरअसल, दिक्कतें जनवरी से ही शुरू हो गई थी और इंडस्ट्री इसे एक महीने तक संभालने में सक्षम थी. उम्मीद थी कि जल्द चीजें सामान्य हो जाएंगी लेकिन ऐसा नहीं हो सकता. हर गुजरते सप्ताह के साथ हालात और बिगड़ते गए और मौजूदा इन्वेंटी अब लगभग खत्म होने की कगार पर है. जोशी का कहना है कि फरवरी से कम्पोनेंट की कमी फरवरी से शुरू हो गई थी. मार्च से अब जो प्रोडक्ट बाजार में आएंगे, उनकी कीमतें बढ़ी हुई होंगी.
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