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PMGKAY 5 year extension : मध्य प्रदेश के सिवनी में रविवार को एक चुनावी सभा को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (PTI Photo)
PMGKAY extended for 5 years, how much this free ration scheme costs government exchequer: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक चुनावी रैली में एलान किया कि देश के करीब 80 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त अनाज देने की योजना और 5 साल के लिए बढ़ाई जा रही है. सरकार के पिछले एलान के मुताबिक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) इसी साल दिसंबर में खत्म होने वाली थी. लेकिन 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के बीच पीएम मोदी ने इसे पूरे 5 साल के लिए आगे बढ़ाने का एलान करके एक बड़ा चुनावी दांव चल दिया है. पीएम के इस एलान के बाद कांग्रेस ने उनके 'मुफ्त की रेवड़ी' वाले पिछले बयानों की याद दिलाते हुए दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया है. लेकिन इस सियासी बयानबाजी के बीच, सवाल यह है कि आखिर पीएम मोदी के इस एलान की वजह से सरकारी खजाने पर कितना बोझ पड़ेगा?
यह मोदी की गारंटी है : पीएम मोदी
दरअसल पीएम मोदी ने शनिवार और रविवार को छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की चुनावी रैलियों के दौरान मुफ्त अनाज स्कीम को आगे बढ़ाने का एलान करते हुए कहा, "मैंने निश्चय कर लिया है कि देश के 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन देने वाली योजना को भाजपा सरकार अब 5 साल के लिए और बढ़ाएगी. आपका प्यार और आशीर्वाद मुझे हमेशा पवित्र निर्णय लेने की ताकत देता है." उन्होंने कहा, "पिछले तीन साल से देश के गरीबों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है. हालांकि यह स्कीम जल्द ही खत्म होने जा रही है, लेकिन मोदी का कमिटमेंट है कि इसे और 5 साल के लिए बढ़ाया जाए. अगले 5 साल तक मेरे देश के गरीबों के चूल्हे जलते रहेंगे. यह मोदी की गारंटी है."
कांग्रेस ने याद दिलाए 'रेवड़ी' वाले बयान
पीएम मोदी के इस एलान पर कांग्रेस ने जमकर निशाना साधा. पार्टी ने पीएम मोदी के 'रेवड़ी' वाले पुराने बयानों की याद दिलाते हुए इसे प्रधानमंत्री की 'हिपोक्रेसी' यानी दोहरे मानदंड की मिसाल तक बता दिया. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, "मोदी सरकार की असंवेदनशील और जनविरोधी आर्थिक नीतियों से पीड़ित करोड़ों परिवारों को राहत और सहायता प्रदान करने के लिए कांग्रेस पार्टी 'गारंटी' देती है. प्रधानमंत्री क़रीब एक वर्ष से इन गारंटियों की रेवड़ी कहकर आलोचना करते रहे हैं. अब, उनकी पार्टी बेशर्मी से कांग्रेस की नकल कर रही है. उन्होंने जो चुनावी वादे किए हैं वे स्वघोषित विश्वगुरु की किताब के मुताबिक़ 'रेवड़ी' हैं. मुख्य अंतर यह है, और यह आश्चर्यजनक नहीं है कि इन्हें 'मोदी की गारंटी' के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. इनका वर्णन वास्तव में 'मोदी के जुमले' के रूप में किया जाना चाहिए. यह 'मोदी है तो हिपोक्रेसी की कोई सीमा नहीं है' का एक और उदाहरण है."
मोदी सरकार की असंवेदनशील और जनविरोधी आर्थिक नीतियों से पीड़ित करोड़ों परिवारों को राहत और सहायता प्रदान करने के लिए कांग्रेस पार्टी 'गारंटी' देती है। प्रधानमंत्री क़रीब एक वर्ष से इन गारंटियों की रेवड़ी कहकर आलोचना करते रहे हैं।
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 5, 2023
अब, उनकी पार्टी बेशर्मी से कांग्रेस की नकल कर रही…
2022 में गुजरात, हिमाचल चुनाव से पहले बढ़ाई गई थी योजना
मोदी सरकार ने इससे पहले 2022 में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों से पहले PMGKAY को दिसंबर 2022 तक के लिए बढ़ाया था. उसके बाद जनवरी 2023 से इसे नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) के के तहत सस्ता अनाज देने वाली योजनाओं के साथ मिलाकर एक साल के लिए बढ़ा दिया गया. फिलहाल PMGKAY और NFSA को मिलाकर चलाई जा रही यह योजना दिसंबर 2023 में खत्म होने वाली है. NFSA की शुरुआत यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुई थी, जिसमें लाभार्थियों को टार्गेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (TPDS) के तहत 3 रुपये किलो चावल, 2 रुपये किलो गेहूं और 1 रुपये किलो मोटा अनाज देने का प्रावधान था. NFSA के तहत दो तरह के परिवार शामिल थे - अंत्योदय अन्न योजना (AAY) और प्रायोरिटी हाउसहोल्ड (PHH) . AAY में शामिल हर परिवार को हर महीने 35 किलो अनाज दिया जाता था, जबकि PHH में शामिल परिवारों को हर सदस्य पर हर महीने 5 किलो अन्न मिलता था. इस साल जनवरी से इन स्कीमों को मर्ज कर दिया गया.
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सरकारी खजाने पर कितना पड़ेगा बोझ?
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 साल के लिए आगे बढ़ाने के एलान की वजह से सरकारी खजाने पर कितना बोझ बढ़ेगा, इसका अनुमान लगाने के लिए यह जानना जरूरी है कि इन योजनाओं पर अब तक सरकारी खजाने से कितनी रकम खर्च होती रही है. 2020 में यह स्कीम लॉन्च होने के बाद से 31 दिसंबर 2022 तक 1118 लाख मीट्रिक टन अनाज PMGKAY के लिए आवंटित किया गया था. इस अनाज के प्रोक्योरमेंट पर सरकार को कुल 3.9 लाख करोड़ रुपये से कुछ ज्यादा रकम खर्च करनी पड़ी थी. इसके बाद जनवरी 2023 से PMGKAY को NFSA के साथ मर्ज करने के बाद AAY और PHH योजना में आने वाले परिवारों को मुफ्त राशन दिया जाने लगा और महामारी के दौरान किए गए अतिरिक्त आवंटन को बंद कर दिया गया. एक अनुमान के मुताबिक इससे सरकार का खर्च हर महीने 15 हजार करोड़ रुपये यानी साल में 1.80 लाख करोड़ रुपये कम हो गया. इसके साथ ही सरकार को वो रकम मिलनी भी बंद हो गयी, जो NFSA के तहत सस्ता अनाज बेचने से मिलती थी. यह रकम साल में 13,900 करोड़ रुपये थी.
PMGKAY और NFSA को मिलाने से घटा फूड सब्सिडी बिल
सरकार के कुल फूड सब्सिडी बिल को देखें तो कोविड महामारी के दौरान वित्त वर्ष 2020-21 में यह 5.41 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया था. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान यह रकम 2.89 लाख करोड़ रुपये और 2022-23 में 2.87 लाख करोड़ रुपये रही. PMGKAY और NFSA को मिलाने के बाद 2023-24 में यह बिल घटकर 1.97 लाख करोड़ रुपये के आसपास रहने का अनुमान है. जाहिर है कि पीएम मोदी के एलान के मुताबिक मुफ्त राशन योजना का विस्तार होने पर अगले 5 साल में इस स्कीम पर मौजूदा कीमतों के हिसाब से ही तकरीबन 10 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. लेकिन सरकार की तरफ से समय-समय पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में किए जाने वाले इजाफे और डिस्ट्रीब्यूशन की लागतों में होने वाली बढ़ोतरी को ध्यान में रखें, तो यह रकम इससे कहीं ज्यादा हो सकती है.
कल्याणकारी राज्य में गरीबों की मदद गलत कैसे?
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जमाने से कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर चलने वाले भारत में सरकार के इस खर्च को किसी भी हाल में गलत नहीं कहा जा सकता. लेकिन खुद प्रधानमंत्री मोदी समेत बीजेपी के बड़े नेताओं ने विपक्षी दलों की ऐसी घोषणाओं को 'मुफ्त की रेवड़ी' बताकर जो बहस पिछले कुछ अरसे के दौरान छेड़ी है, उसकी वजह से चुनावी माहौल में किए गए पीएम मोदी के इस एलान पर सवाल उठना कोई हैरानी की बात नहीं है.