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Covid-19: कोरोना महामारी से बच्चों की मानसिक सेहत पर भी असर; माता-पिता, अध्यापक इन बातों पर दें ध्यान

महामारी से उपजे हालात की वजह से वयस्कों की तरह ही बच्चों को भी तनाव, घबराहट और चिंताएं घेर सकती हैं.

महामारी से उपजे हालात की वजह से वयस्कों की तरह ही बच्चों को भी तनाव, घबराहट और चिंताएं घेर सकती हैं.

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The positivity rate in the country has, however, gone down to 1.98%.

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Covid-19 impact on mental health: कोरोना महामारी ने सभी लोगों को प्रभावित किया है. इससे लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा है. किसी वयस्क की तरह महामारी जैसी परिस्थिति में बच्चों को भी तनाव, घबराहट और चिंताएं घेर सकती हैं.

कुछ चुनौतियां जिनका बच्चे इस महामारी के दौरान सामना कर रहे हैं, वे हैं:

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  • दिनचर्या में बदलाव, अपने दोस्तों से न मुलाकात कर पाना.
  • स्कूल, पढ़ाई में रुकावट.
  • हेल्थ चेकअप नहीं करवा पाना.
  • स्क्रीन टाइम में बढ़ोतरी और दूसरों के साथ बाचतीत कम होना.
  • जन्मदिन, त्योहार या किसी और पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाना.
  • माता-पिता या किसी रिश्तेदार की कोरोना से मौत.
  • माता-पिता की नौकरी चले जाना.
  • घर पर अस्थिरता.

तनाव क्यों होता है?

डिजिटल तकनीक के इस दौर में अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स के जरिए बच्चों की पहुंच ऐसी सूचनाओं तक होती है, जिनसे उन्हें तनाव हो सकता है. अगर आप बाहर नहीं निकल पाते, अपने दोस्तों से नहीं मिलते, स्कूल नहीं जा पाते, तो यह और तनाव बढ़ता है. माता-पिता भी तनाव में होते हैं और वे जब उसे दिखाते हैं, तो इसका भी बच्चों पर असर पड़ता है.

तीन साल से कम उम्र के बच्चों पर असर

  • बातचीत कम होना, बोलने में देरी.
  • डिप्रेशन- घर पर रहना पसंद करना.
  • गुस्सा और हाइपर-एक्टिविटी.
  • माता-पिता के आइसोलेशन या क्वारंटीन में होने पर घबराहट.
  • लगातार डर और बहुत ज्यादा दुखी होना.

स्कूल जाने वाले बच्चे

  • दिनचर्या बदलने और दोस्तों, हम-उम्र बच्चों से संपर्क और बातचीत घटने की वजह से गुस्सा और हाइपर-एक्टिविटी.
  • स्क्रीन टाइम बढ़ना, हिंसक तस्वीरें देखने से हिंसक व्यवहार बढ़ना.
  • फोन पर ज्यादा समय बिताने की वजह से असामान्य व्यवहार करना.
  • अनिश्चय की वजह से घबराहट.
  • नींद कम आना या नींद आने में परेशानी.

वयस्क

  • गुस्सा
  • टकराव
  • परीक्षाओं और उनके भविष्य के बारे में निश्चितता नहीं होने की वजह से घबराहट
  • बुरे सपने
  • नींद नहीं आना
  • पैनिक अटैक

तनाव से निपटने में बच्चों की मदद

शांत रहकर और उनकी चिंताओं को चुनना और उनको आश्वासन देना चाहिए.

माता-पिता की भूमिका

  • माता-पिता की मुख्य भूमिका और जिम्मेदारी सुरक्षित और बेहतर माहौल देने की है, जहां वे अपनी तरह से रह सकें.
  • बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए.
  • घर पर दूसरे सदस्यों के साथ भी शांत रहें और किसी मौखिक, शारीरिक हिंसा से बचें.
  • सही समय पर सही जानकारी से उन्हें अवगत कराएं.
  • बच्चों की उम्र के आधार पर उन्हें घर के कामों में शामिल करें.
  • स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए आर्ट्स और क्राफ्ट में समय देना.
  • परिवार के साथ लंच या डिनर करना.
  • डाइनिंग टेबल से गैजेट अलग रखें.
  • यह ध्यान रखें कि बच्चे टीवी या स्क्रीन पर क्या देख रहे हैं.
  • सोने का समय निश्चित करें.

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अध्यापकों की भूमिका

  • सही जानकारी देना.
  • मिथकों को दूर करना.
  • किसी भी असामान्य व्यवहार की पहचान करना.
  • क्लास के दौरान स्क्रीन टाइम में छोटे-छोटे ब्रेक देना.
  • क्लास में गैर-एकैडमिक चीजों को प्रोत्साहन देना.
  • माता-पिता के साथ नियमित तौर पर बातचीत.

(By Dr. Suresh Kumar Panuganti, Lead Consultant – Pediatric Critical Care and Pediatrics, Yashoda Hospitals, Hyderabad.)

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